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पंजाब में भ्रष्ट पुलिस अफसरों के जिम्मे एंटी करप्शन मूवमैंट!, स्टेट रैंक अफसरों के हवाले जिलों की कमान पर उठा सवाल, हाईकोर्ट में जनहित याचिका केंद्र-पंजाब को नोटिस, पढि़ए खबर

By RAJESH KAPIL, EDITOR IN CHIEF

Published on 21 Aug, 2025 02:11 PM.

  • - अनफिट-दागी अफसरों को मिल रही फील्ड आप्रेशनल पोस्टिंग 
  • - क्रिमिनल केसों में अंडर ट्रायल अफसरों को प्रमोशन-अवार्ड-सम्मान
  • - परिणाम, बार्डर जिलों में तेजी से बढ़ रही आतंकवादी गतिविधियां
  • - अवैध हथियार, बम, नशा तस्करी की बरामदगी होना चिंताजनक

 
                 जय हिन्द न्यूज/चंडीगढ़


पंजाब में एंटी करप्शन मूवमैंट को लेकर छाती पीटने वाली और प्रशासनिक सुधार के बड़े दावे करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार को जालंधर के सोशल एवं आरटीआई एक्टिविस्ट सिमनजीत सिंह ने एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है।

 


सिंह ने राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी देख रही पंजाब पुलिस के कई सारे बड़े अफसरों की पोस्टिंग को विवादित करार देते हुए माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दायर की है।

 

 

जानकारी मिली है कि चीफ जस्टिस पर आधारित डबल बेंच में शामिल जस्टिस सुश्री रमेश कुमारी ने PIL पर सुनवाई करते हुए आज केंद्र सरकार व पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जबाव तलब किया है।

 

 


याचिका में सिंह ने केंद्र सरकार के अलावा पंजाब सरकार के चीफ सैक्रेटरी, होम सैक्रेटरी, डीजीपी पंजाब समेत अन्य कई जिम्मेदार बड़े अफसरों को याचिका में पार्टी बनाया है। पटीशन पर अगली सुनवाई अब 12.10.2025 को होगी।

 

 


सिंह ने जनहित याचिका में जहां दागी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को पब्लिक डीलिंग पोस्ट से हटाने की मांग रखी है, वहीं स्टेट रैंक पीपीएस पुलिस अधिकारियों को कैडर पोस्ट से हटाकर वहां आईपीएस अफसर तैनात करने का तार्किक मुद्दा उठाया है।

 

 

 


सुनवाई के बाद मीडिया से मुखातिब सिंह ने बताया कि उन्होंने दायर की जनहित याचिका में कुछ उच्चतम अदालतों के आदेश-निर्देशों का भी हवाला दिया है। वहीं, याचिका के जरिए राज्य सरकार के ध्यान में यह लाया है कि पंजाब पुलिस के अहम पदों पर वो अफसर तैनात है जिनकी छवि आम जनता में धूमिल है।

 

 


सिंह ने याचिका में कुछ पुलिस अफसरों के नाम भी उनके क्रिमिनल रिकार्ड समेत पेश किए है जो संगीन अपराधों के तहत नामजद होने के बाद अंडर ट्रायल हैं लेकिन वो फील्ड में आप्रेशनल पोस्टिंग पर तैनात है। सिंह ने जालंधर में तैनात डीसीपी नरेश डोगरा का नाम गिनाया, वहीं डीसीपी मनप्रीत सिंह ढिल्लो भी पद के लिए योग्य नहीं तथा स्पोर्टस कोटे वाले पीपीएस परमिंदर भंडाल व हरपाल सिंह को लुधियाना में DCP लगाने पर ऐतराज जताया है।

 

 

 

याची सिंह ने याचिका में कुछ अनफिट अफसरों का नाम देते हुए कहा कि पंजाब में कानून का मजाक बनाया जा रहा है। कैडर पोस्ट जहां आईपीएस की तैनाती होनी चाहिए वहां पर पीपीएस अधिकारियों को तैनात किया हुआ है। परिणाम स्टेट के सीमावर्ती जिलों में आतंकवादी एवं नशा व अवैध हथियारों की तस्करी बढ़ती जा रही है।

 

 


सिंह ने याचिका में कहा कि दलजिंदर सिंह ढिल्लों पीपीएस को एसएसपी पठानकोट, भूपिंदर सिंह पीपीएस को एसएसपी फिरोजपुर, हरविंदर सिंह विर्क को एसएसपी ग्रामीण जालंधर, गुरमीत सिंह पीपीएस को एसएसपी फाजिल्का, जशनदीप सिंह को एसएसपी मोगा, गगनदीप सिंह पीपीएस को एसएसपी मलेरकोटला (खेल कोटे से) के पद पर नियुक्त किया गया है।

 

 

 

सिंह ने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर विचार करने की आवश्यकता है। कई अन्य पीपीएस अधिकारी भी हैं जिन्हें भारतीय पुलिस सेवा कैडर नियम 1954 और भारतीय पुलिस सेवा कैडर संख्या निर्धारण विनियम 1955 का उल्लंघन करते हुए विभिन्न जिलों के एसएसपी के रूप में तैनात किया गया है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय केवल भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों के संबंध में कैडर नियंत्रण प्राधिकरण है और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों सहित आईपीएस अधिकारियों की नोडल एजेंसी है।

 

 

 

सिंह ने बताया कि पुलिस सेवा (आईपीएस) नियम 8 और 9 में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि कैडर पदों को आईपीएस अधिकारियों द्वारा भरा जाना है। इस संबंध में, आईपीएस नियम और केरल उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा ओ.पी. संख्या 16978/2001, लगेश दीवान बनाम केरल राज्य, 23.8.2001 को दिए गए निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आईपीएस कैडर के पद केवल आईपीएस अधिकारियों द्वारा ही भरे जाने हैं। इस संबंध में, राज्य सरकार ने आईपीएस संवर्ग नियमों का उल्लंघन करते हुए, इन पदों पर कुछ पीपीएस अधिकारियों को तैनात किया है।
 

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