-डीआईजी रखता था मृतक की पत्नी पर बुरी नजर
-दीवार पर सच लिखकर 5सदस्यों ने की थी खुदकुशी
एडिशनल सेशन जज संदीप सिंह बाजवा की अदालत ने सामूहिक खुदकुशी के मामले में पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह, मौजूदा डीएसपी हरदेव सिंह समेत छह व्यक्तियों को दोषी करार कर दिया है। अदालत के आदेशों के बाद सभी को हिरासत में ले लिया गया है। अब सजा 19 फरवरी को सुनाई जाएगी। कानूनी विशेषग्यों की मानें तो इन्हें दस साल तक की कैद भी हो सकती है।
बता दें कि 30 अक्तूबर 2004 को चौक मोनी के रहने वाले हरदीप सिंह समेत उसके परिवा के पांच सदस्यों ने सामूहिक खुदकुशी कर ली थी।पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह तब एसएसपी अमृतसर थे और मौजूदा डीएसपी हरदेव सिंह तब कोतवाली थाने के एसएचओ थे। चौक मोनी के रहने वाले हरदीप सिंह के पिता की मौत हो गई थी। रिश्तेदारों ने हरदीप पर ही पिता की हत्या का आरोप लगाकर उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। परेशानी से बचने के लिए किसी दोस्त ने हरदीप सिंह की मुलाकात तत्कालीन एसएसपी कुलतार सिंह से करवा दी थी।
एसएसपी के आश्वासन पर हरदीप को लगने लगा था कि वह जल्द उक्त मुश्किल से उभर जाएगा। एक दिन हरदीप अपनी पत्नी रोमी को लेकर एसएसपी कार्यालय चला गया था। आरोप है कि एसएसपी रोमी पर बुरी नजर रखने लगा था। मौका पाकर एसएसपी ने रोमी से दुष्कर्म भी किया। आरोप है कि एसएसपी अब हरदीप सिंह से पिता की हत्या का मामला दबाने की एवज में रिश्वत की मांग भी करने लगा था।
रिपोर्ट के मुताबिक 30 अक्तूबर की रात हरदीप सिंह ने अपनी पत्नी रोमी, मां जसवंत कौर, बच्चे सनमीत और इमरत के साथ मिलकर घर में सामूहिक आत्महत्या कर ली थी। वारदात से पहले हरदीप ने घर की दीवारों पर सारी कहानी लिख दी थी। अगले दिन जब पुलिस को घटना के बारे में पता चला तो अधिकारियों के पैरों तले से जमीन खिसक गई थी। तत्कालीन इंस्पेक्टर हरदीप सिंह ने दीवारों पर लिखे सुसाइड नोट को मिटाने का प्रयास किया था। मीडिया कर्मियों के वहां पहुंचने पर सारा मामला उजागर हो गया था।