राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की टीम में शामिल न जाने कितने कांग्रेस नेता और हैं जिन्होंने केंद्रीय सत्ता में रहते जमकर ब्लैकमनी की फसलों को काटकर ठिकाने लगा रखा है। उक्त सवाल इन दिनों राज्य की जनता के जेहन में है। पहले तो खुद उनके पुत्र रणइंद्र सिंह आरोपों का सामना कर रहे थे लेकिन एकाएक ब्लैकमनी के पक्के सबूत जुटाकर एक्शन लेने वाली केंद्रीय जांच एजैंसी एनफोर्समैंट डायरैक्टोरेट यानि ईडी ऑफ सैंट्रल रेवेन्यू एक-एक करके कांग्रेस नेताओं को ग्रिल कर रही है। हाल ही में ईडी की जांच और सवालों के घेरे में देहाती कांग्रेस के प्रधान सुखविंदर सिंह उर्फ लाली के बाद अब अगला नंबर विधानसभा हलका शाहकोट के विधायक हरदेव सिंह लाडी शेरोवालिया का लगने के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि ईडी के पास लाडी के खिलाफ कुछ पुख्ता यानि कि दस्तावेजी सबूत हाथ लगे है। इनमें कुछ फर्जी जे फोर्म भी शामिल है जिसको कार्रवाई का आधार बनाया जा सकता है। आयकर कानून की जानकारी रखने वाले तो जे-फोर्म का आधार समझते ही है लेकिन बता दे कि यह वहीं फार्म है जिसके बल पर कालेधन को सफेद बनाने की घोषणा की जाती है और आयकर विभाग और विभिन्न एजैंसियों की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की जाती है। चूंकि विधायक लाडी की अधिकतर जमीनों को कृषि जमीन बताया गया है और उसकी फसल की कमाई को दिखाने के लिए जे-फोर्म पेश किया जाता है जिसमें फर्जीवाडा किए जाने की शिकायत को सबूतों समेत पेश किया गया है ताकि कालेधन को सफेद किया जा सके। जांच का वजन इसलिए भी भारी बताया जा रहा है क्योंकि शिकायत करने वाला व्यक्ति कोई आम नागरिक नहीं बल्कि वकील और ऊपर से जिला बार संघ का प्रधान रह चुका है। ज्ञात हुआ है कि विधायक होने के कारण लाडी के खिलाफ प्रत्येक शिकायत को तस्दीकशुदा दस्तावेजी सबूतों के साथ ही डायरी किया गया है ताकि राजनीतिक रंगत के आरोप लगने पर उसको काट किया जा सके। सूत्रों की माने तो विधायक लाडी शेरोवालिया को ईडी ने बहुत पहले ही ग्रिल कर लेना था लेकिन सबूतों की तकनीकी जांच और उनका कनेक्शन विदेश बैठे कुछ लोगों के साथ होने के कारण ईडी टीम ने सभी को शामिल तफ्तीश कर लिया है जबकि कुछ लोगों ने लिखित में अपना पक्ष प्रस्तुत किया है। ऐसा माना जा रहा है कि जिस प्रकार से शिकायत में दस्तावेजी सबूत पेश किए गए है, उससे विधायक लाडी शेरोवालिया के लिए जेल का रास्ता खुल भी सकता है। बहरहाल, यह ईडी के एक्शन पर निर्भर करता है कि वो इस मामले में क्या और कब अपना कदम उठाया है लेकिन पेश सबूतों से संकेत मिल रहे हैं कि ईडी का केस पककर पूरा तैयार हो चुका है। बस रेड करके उसकी टोपिंग करना बाकी है। अब देखना शेष होगा कि ईडी अब शाहकोट के विधायक लाली को हाथ कब डालता है या फिर क्लीनचिट देता है। फिलहाल तो शिकायतकर्ता केपीएस गिल और पूर्व मंत्री बृज भुपिंदर सिंह लाली पक्ष को इस मामले से जुड़ी खबरों का बड़ी बेसब्री से इंतजार है।
यह है लाडी शेरोवालियों के खिलाफ जांच के इनपुट
उपरोक्त सभी इनपुट आरोपों पर आधारित है जिसकी सत्यता जांच होने तक अपुष्ट की श्रेणी में ही रहेगी लेकिन इतने संगीन आरोपों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि धुआं उठा है, कहीं आग तो लगी ही होगी।