राजेश कपिल/जालंधर
पंजाब में विदेश भेजने, वीजा-टिकट आदि दिलाने वालों के लिए पंजाब ट्रेवल प्रोफैशनल्स रेगुलेशन एक्ट लागू किया जा चुका है। इसी कानून के तहत जिला मैजिस्ट्रेट की ओर से ट्रेवल कारोबारियों को लाइसैंस जारी किए जा रहे हैं और नियम भी यही लागू है कि इसका उल्लघंन होने की सूरत में इसी कानून की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान लागू है। मगर यह क्या, जिला मोगा की पुलिस इस कानून को जरा भी तरजीह नहीं दे रही।
सिटी थाना पुलिस ने हाल ही में स्थानीय स्टडी वीजा कंपनी ओ.ई.सी.सी. के संचालक जोकि मूलत: लुधियाना की गुरु अंगद देव कालोनी निवासी प्रभसिमरन सिंह का है, को एक शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 420, 120-बी के तहत नामजद किया है। पुलिस ने केस में कंपनी के मैनेजर सुखदेव सिंह को भी नामजद किया है लेकिन थाना पुलिस ने इस केस में पंजाब ट्रेवल प्रोफैशनल्स रेगुलेशन एक्ट की धारा को शामिल नहीं किया है।
यहां बता दे कि एक्ट की लगभग सभी धाराओं के तहत 7 से 1० साल तक की सजा का प्रावधान है। अमूमन कोर्ट्स भी इस धारा के तहत दर्ज मामलों में आरोपी को जल्द राहत नहीं देते हैं। मगर ताजा मामले से साफ झलक रहा है कि मोगा थाना सिटी पुलिस ने आरोपी पक्ष को प्रत्यक्ष तौर पर पाक्षिक राहत प्रदान की है कि उनकी जमानत की संभावना प्रबल हो जाए। बहरहाल, दोनों नामजद आरोपी फरार बताए जा रहे हैं और जानकारी यह भी मिली है कि दोनों आरोपियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए स्थानीय सैशन कोर्ट में अग्रिम जमानत हासिल करने की अर्जी दायर करके राहत की गुहार भी लगाई है।
यहां उल्लेखनीय है कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पंजाब सरकार की ओर से उठाए सख्त कदमों के बावजूद भी राज्य के ट्रेवल एजैंट लोगों को लूटने से बाज नहीं आ रहे हैं। शातिर एजैंट सख्त नियमों को बावजूद भी किसी न किसी ढंग से लोगों को चूना लगाने में लगे हैं। ताजा मामले में एक नर्स बठिंडा की किरणप्रीत कौर को विदेश भेजने के मामले में ठगे जाने का आरोप है। पुलिस ने जांच में कंपनी के उस मैनेजर सुखदेव सिंह को भी दोषी मानकर नामजद किया है जिसने कैश पेमेंट डील की और फाइल को डील करने के दौरान शिकायतकर्ता के साथ झूठ बोलकर उसे काफी दिन अंधेरे में रखा। यही नहीं वसूल की रकम काम न होने पर लौटाने में आनाकानी की। बताया जा रहा है कि पीड़ित पक्ष पूरे मामले को उच्च अधिकारियों के ध्यान में लाने जा रहा है ताकि आरोपी पक्ष के खिलाफ दर्ज केस में एक्ट व धारा को बढ़ाया जा सके।