राजेश कपिल/जालंधर।
स्थानीय नकोदर रोड स्थित सरकारी जमीन हड़पने के मामले में कानूनी राहत का इंतजार कर रहे लैंडग्रेबर राजन चोपड़ा जल्द नए कानूनी झमेले में फंसने जा रहे हैं। 66 फुटी रोड स्थित एनआरआई की जमीन को लेकर हुए विवाद के कारण एक बार फिर चर्चा में आए ठगी व जालसाजी के आरोपी राजन चोपड़ा खुद के साथ ठगी का शोर मचाकर अब खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं। परिवारिक पेशे से सैंट सोल्जर स्कूल, कालेज व डिग्री कालेज तक का संचालन करने वाले आरोपी राजन चोपड़ा की माने तो जमीन की खरीदो-फरोख्त में उनके साथ ठगी हुई जबकि जमीनी दस्तावेज ने तो उनकी शैक्षणिक योग्यता पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। सबसे बड़ा सवाल यह उठा है कि क्या शिक्षा संस्थान चलाने वाले लैंडग्रेबर राजन चोपड़ा को अंग्रेजी पढ़नी नहीं आती?
जी हां, यह दस्तावेजी प्रमाण है कि राजन चोपड़ा को अंग्रेजी पढ़नी नहीं आती। यदि ऐसा नहीं, तो फिर दस्तावेज प्रत्यक्ष तौर पर आरोपी राजन चोपड़ा की कथित साजिश का इशारा कर रहे है, जो उन्होंने अपने कुछ स्थानीय साथियों के साथ मिलकर एक एनआरआई की जमीन हड़पने के लिए की। हालांकि इस साजिश में एनआरआई का रिश्तेदार भी शामिल है जिसको एक उच्च स्तरीय स्पैशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) की ओर से दोषी करार दे दिया गया है।कथित आरोपी राजन चोपड़ा की कमजोर अंग्रेजी वाले इशू को एसआईटी की ओर से भी विचारीय होगा क्योंकि यह पूरा विवाद 2०० करोड़ रुपए की जमीन के मालिक एनआरआई अमृतपाल सिंह की ओर से दी गई एक पावर ऑफ अटार्नी पर आधारित है।
उक्त अटार्नी में अंग्रेजी भाषा में साफ-साफ लिखा है कि उन्होंने कौन सा हिस्सा बेचने के लिए उसे अधिकृत किया था। अब चूंकि खरीददार आरोपी लैंडग्रेबर राजन चोपड़ा एंड कंपनी जिसमें अन्य कथित साजिशकर्ता शामिल है, सभी ने उसे पढ़ने के बाद ही सौदा किया होगा। इस बात से तो वो इंकार कर ही नहीं रहे हैं और ऐसा हो भी नहीं सकता। यही सवाल डाक्यूमैंट्स रजिस्टर्ड करने वाले तत्कालीन राजस्व अधिकारी राजीव वर्मा से भी हर जांच के समय पूछा जा रहा है। संभवत: यही कारण रहा है कि पहले जमानतों की सुनवाई के दौरान लैंडग्रेबर राजन चोपड़ा एंड कंपनी तथा सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच पर सवाल उठाते हुए मामला उच्च पुलिस अधिकारियों के ध्यान में लाया गया।
पहले एक एसआईटी को तो इन लोगों ने मैनेज कर लिया क्योंकि इस कथित मामले में खुलेआम चर्चा हो रहा है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, उसका हाईप्रोफाइल करिंदा बिजनेसमैन तथा कुछ राजनीतिज्ञ भी गिरोह में शामिल है जिसका हिस्सा-पत्ता यह लोग रखते है और एक गैंग की तरह सारा खेल आप्रेट करते हैं, मगर अभी इसकी पुष्टि नहीं। मगर दूसरी बार हुई एसआईटी की जांच में सारे के सारे गैंग को राजन चोपड़ा समेत लपेट लिया गया है। अब चूंकि राजन चोपड़ा एंड लूट कंपनी के नाम एफआईआर में शामिल होने थे जिससे घबराए आरोपी राजन चोपड़ा ने हाईकोर्ट की शरण ले ली।
बहरहाल, वहां एसआईटी की जांच का अध्ययन होने तक इन लोगों को अगले आदेश तक राहत मिल गई है लेकिन दस्तावेजों को कानूनी दृष्टि से देखा जाए तो इस गिरोह की कलई खुल रही है। यही कारण है कि इनकी किसी भी अथारिटी की ओर से सुनवाई नहीं हो रही है और अपनी करतूतें छिपाने के लिए यह गिरोह अब पूर्व मंत्री राणा गुरजीत सिंह पर आरोप लगाकर गुमराह करने पर लगा है। कानूनी विशेषज्ञों की माने तो दस्तावेजों के आधार पर लैंडग्रेबर राजन चोपड़ा और उसके साथियों का जेल जाना तय है लेकिन यह अभी भविष्य के गर्भ में सुरक्षित है।
उधर, लैंडग्रेबर आरोपी राजन चोपड़ा इन सवालों का जबाव देने से लगातार बचते फिर रहे हैं। कैमरे के सामने दस्तावेज रखकर डिबेट करने के लिए आरोपी राजन चोपड़ा को काफी बार आमंत्रित किया जा चुका है लेकिन वो हर बार टाल रहे हैं।