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सांसदों और विधायकों के हक में आया एक और फैंसला, पढ़िए किसने दी राहत

By Rajesh Kapil (JNN Chief)

Published on 25 Sep, 2018 05:49 PM.

जय हिन्द न्यूज/नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को व्यवस्था दी कि सांसदों/विधायकों को वकालत का पेशा करने से रोका नहीं जा सकता। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूॢत ए एम खानविलकर और न्यायमूॢत डी वाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने भाजपा नेता एवं पेशे से वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की संबंधित याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) की नियमावली का नियम-49 केवल वेतनभोगी फुलटाइम कर्मचारी पर लागू होता है। इसके दायरे में सांसद एवं विधायक नहीं आते हैं। उपाध्याय ने अपनी याचिका में मांग की थी कि बीसीआई नियमावली के खंड-छह की भावना के अनुरूप माननीयों को सांसद और विधायक रहने की अवधि के दौरान वकालत पेशा से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उन्होंने इसी परिप्रेक्ष्य में नियमावली के नियम-49 को असंवैधानिक करार देने की भी मांग की थी। उपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाडे ने दलील दी थी कि सांसदों और विधायकों को भी वेतनमान मिलता है और उन्हें प्रैक्टिस करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस पर बीसीआई ने भी सांसदों और विधायकों को नोटिस जारी किये थे। केंद्र सरकार की ओर से एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने, हालांकि इस याचिका का यह कहते हुए विरोध किया था कि सांसद और विधायक सार्वजनिक सेवा करते हैं। वे निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं इसलिए उन्हें सरकार का फुलटाइम कर्मचारी नहीं माना जा सकता। फलस्वरूप उन्हें वकालत पेशे से भी नहीं रोका जा सकता।

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