मुंबई: स्पाइसजेट के शेयर हस्तांतरण विवाद में इसके पिछले स्वामित्व धारक कलानिधि मारन को मध्यस्थता न्यायाधिकरण यानि आर्बिट्रेशन से तगड़ा झटका लगा है। न्यायाधिकरण ने स्पाइसजेट से 1,323 करोड़ रुपए हर्जाने और कंपनी में नियंत्रक हिस्सेदारी हासिल करने की मारन तथा उनकी कंपनी केएएल एयरवेज के दावे को खारिज कर दिया है। न्यायाधिकरण ने मारन को निर्देश दिया है कि वह सिंह और स्पाइसजेट को 29 करोड़ रुपये के दंड ब्याज का भुगतान करें। साथ ही सिंह को निर्देश है कि वे मारन द्वारा जमा कराए गए 579 करोड़ रुपये ब्याज सहित उन्हें वापस करें। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर 2016 के अंत में शेयर हस्तांतरण विवाद का फैसला करने के लिये इस ट्रिब्यूनल का गठन किया गया था। स्पाइसजेट ने शेयर बाजारों को बताया कि न्यायाधिकरण ने मारन और उनकी कंपनी के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्हें इस एयरलाइन के परिवर्तनीय वारंट और तरजीह शेयर जारी नहीं किए जाने के कारण नुकसान हुआ है और इसके लिए उन्हें 1,323 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति की जाए।
अजय सिंह ने संभाली थी दोबारा स्पाइसजेट की कमान
स्पाइसजेट के संस्थापक अजय सिंह ने करीब-करीब बैठ चुकी इस एयरलाइन की कमान दोबारा 2015 में संभाली थी। निर्णय ट्रिब्यूनल में उच्चतम न्यायालय के तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीश अरिजीत पसायत, हेमंत लक्ष्मण गोखले और केएसपी राधाकृष्णन शामिल थे। इसने न्यायाधिकरण की मध्यस्थता प्रक्रिया गत अप्रैल में सम्पन्न हो गयी थी।