पंजाब के कैप्टन अमरिेंदर सिंह सरकार को गवर्नर वीपी सिंह बदनौर ने झटका देते हुए विधायकों को बोर्ड व निगमों का चेयरमैन बनाने के बारे में तैयार अध्यादेश को लौटा दिया। राज्यपाल ने कहा है कि इस संबंध में अध्यादेश लाने की बजाए विधानसभा का सत्र बुलाकर इसको पास किया जाए। राज्यपाल द्वारा अध्यादेश लौटाने संबंधी मुख्यमंत्री कार्यालय और संसदीय कार्य विभाग की ओर से पुष्टि की गई है। राज्यपाल द्वारा अध्यादेश लौटाने के बाद अब विधायकों को बोर्ड व निगमों का चेयरमैन बनने के लिए विधानसभा के सत्र का इंतजार करना पड़ेगा। विधानसभा में पास होने के बाद बिल को मंजूरी के लिए फिर से राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उल्लेखनीय है कि मंत्री बनने से वंचित रह गए वरिष्ठ विधायक बोर्ड व निगमों का चेयरमैन बनने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन यह लाभ का पद (ऑफिस ऑफ प्रॉफिट) होने के कारण बाधा बना हुआ था। अध्यादेश द्वारा सरकार इसे लाभ का पद श्रेणी से हटाना चाहती थी।पंजाब कैबिनेट ने 27 जून को हुई बैठक में पंजाब स्टेट लेजिस्लेचर प्रिवेंशन ऑफ डिस्क्वालिफिकेशन एक्ट 1952 में संशोधन करने का अध्यादेश लाने को मंजूरी दे दी थी। जब यह राज्यपाल की मंजूरी के लिए गया तो उन्होंने कहा कि इसे विधानसभा में विधिवत रूप से पास करवाकर बिल के रूप में भेजें। सरकार की ओर से राज्यपाल को यह आग्रह किया गया था कि पंजाब में मानसून सत्र बुलाने की परंपरा नहीं है। अब होगा यह कि चूंकि मार्च में बजट सत्र के बाद पंजाब में सीधे सितंबर में ही सत्र बुलाया जाता है। अब यदि सरकार विधानसभा का विशेष सत्र नहीं बुलाती है तो सितंबर में नियमित तौर पर बुलाए जाने वाले सत्र में ही सरकार को बिल पारित करवाना होगा।