जय हिन्द न्यूज/नई दिल्ली> पंजाब कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से जुड़े रोडरेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 3० साल पुराने मामले में बरी कर दिया। सिद्धू और उनके एक साथी रुपिंदर सिंह संधू पर सड़èक पर एक व्यक्ति के साथ मारपीट का आरोप था, जिसकी बाद में मौत हो गई थी। हाईकोर्ट की ओर से तीन साल की सजा सुनाए जाने के बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को इनकी याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। दो वरिष्ठ जज चेलेमेश्वर और संजय किशन कौल की खंडपीठ मामले की सुनवाई की। निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते हुए साल 1999 में बरी कर दिया था। लेकिन पीड़ित पक्ष निचली अदालत के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया था। साल 2००6 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। गौर करने वाली बात यह है कि जिस सरकार में नवजोत सिंह सिद्धू मंत्री है, वही पंजाब सरकार उनके खिलाफ केस लड़ रही है। अपने ही मंत्री की सजा को बरकरार रखे जाने का शपथपत्र दायर होने पर जमकर राजनीति भी की गई थी लेकिन कानून अपने हिसाब से काम करता रहा।