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जालंधर सैशन कोर्ट में हुई AMBIKA OVERSEAS की हार, पैकिंग कंपनी को मिलेगी मरी हुई पेमेंट, पढि़ए रईस घराने का एक और कारनामा

Published on 22 May, 2025 03:33 PM.

         जय हिन्द न्यूज/जालंधर


शहर के एक रईस घराने का अपने मिडल क्लास बिजनेस सप्लायर के साथ किए बुरे सलूक का मामला अदालत के एक फैसले से सामने आया है। माननीय सैशन कोर्ट ने एक्सपोर्ट हाऊस अंबिका ओवरसीज के संचालकों को आदेश दिया है कि वो अपने सप्लायर बस्ती गुजा जालंधर स्थित बद्रर बॉक्स फैक्टरी के मालिक वयोवृद ओम प्रकाश को 8.62 लाख रुपए की राशि ब्याज सहित अदा करे।

 

 

 

सैशन कोर्ट के समक्ष जाने-माने वकील भुपेश वैद ने अपने क्लाइंट की ओर से दलीलें पेश की कि निचली कोर्ट ने जिस आधार पर दावा खारिज किया है, वो न्यायोचित नहीं है। सैशन कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद तार्किक किया कि असल बिल, रिकार्ड स्टेटमैंट और अकांऊटैंट के बयान पेश करने के बाद पेश दावा 65-बी के सटीर्फिकेट के अभाव में खारिज करना उचित नहीं था।   

 

 

 

दरअसल, ओम प्रकाश की फर्म ने अंबिका ओवरसीज को 2018 से 2019 तक उनके उत्पाद की पैकिंग वाली बाक्स की खेप समीर भंडारी के आर्डर पर सप्लाई किए थे। हुण रब्ब जाने आलीशान कोठी का निर्माण कर रहे समीर भंडारी के मन में खोट आ गया, उसने उनको पेमेंट देने से इंकार कर दिया। बकौल ओम प्रकाश, माल लेकर समीर भंडारी मुकर ही गया कि माल उनको सप्लाई ही नहीं किया।

 

 

 

ओमप्रकाश की माने तो वो केस करने से पहले कंपनी के चेयरमैन माणकरण भंडारी और पार्टनर रणधीर भंडारी से भी मिले लेकिन फिर भी समीर भंडारी ने पेमेंट नहीं की। अत: ओम प्रकाश ने कोर्ट में अपने वकील भुपेश वैद के जरिए केस दायर किया। हालांकि निचली कोर्ट ने अंबिका ओवरसीज को जारी किए बिलों की सत्यता 65-बी सटीर्फिकेट के साथ पेश न करने के आधार पर केस डिसमिस कर दिया था।


अन्य केस भी हारे समीर भंडारी
रईस खानदान का मिडिल क्लास सप्लायर के साथ बुरे सलूक का एक और प्रमाण भी सामने आया है। अन्य केस में स्थानीय सिविल कोर्ट ने ओम प्रकाश की याचिका पर समीर भंडारी के खिलाफ फैसला सुनाया है। यह तथ्य सामने आया है कि समीर भंडारी न केवल अपने पिता की विरासत वाली फर्म अंबिका ओवरसीज में ओम प्रकाश से बाक्स सप्लाई लेकर मुकर गया बल्कि अपनी खुद की मलकीयत वाली फर्म ऐवरैस्ट टूल्ज इंडिया में भी उसने ओमप्रकाश के साथ ऐसा ही सलूक किया था। साल 2018-2019 के दौरान ओमप्रकाश ने समीर भंडारी की इस फर्म को भी बॉक्स सप्लाई करके 1.42 लाख रुपए के बिल जारी किए। इधर भी समीर ने ठीक ऐसा ही किया और पेमेंट देने से मुकर गया। मगर अब कोर्ट के ताजा फैसले के बाद समीर भंडारी को यह रकम 18 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश जारी हुआ है। ओमप्रकाश के वकील भूपेश वैद ने संपर्क करने पर बताया कि फैसला लागू करवाने की याचिका दायर कर दी है जिस पर सुनवाई 2 जुलाई को होगी। बहरहाल, इन दोनों मामलों ने इन कंपनियों को माल सप्लाई करने वालों को चौकन्ना कर दिया है। संभावना जताई जा सकती है कि इन कंपनियों के साथ डील करने वाले लोग अब पहले से भी ज्यादा कानूनी तौर-तरीकों के साथ डीलिंग करेंगे। हालांकि चर्चा सुनने को मिली है कि अंबिका ओवरसीज के संचालक रहे वयोवृद श्री माणकरन भंडारी उद्योग जगत का जाना-माना नाम रहें हैं। उनके संचालक काल के दौरान लोग उनकी एक जुबान पर बिना लिखित किए फर्म के साथ डील करते रहें हैं और कभी कोर्ट-कचहरी की नौबत नहीं आई लेकिन जब से उनके वारिसों ने फर्म को टेकओवर किया है, लोगों की पेमेंट न देने, सरकारी टैक्स चोरी के आरोपों को लेकर कोर्ट-कचहरी के सिलसिले बढ़ते चले जा रहे हैं। अब देखना शेष होगा कि आने वाले समय में इन फर्मो के नाम के साथ विवादों का सिलसिला थमता है या फिर और निकल के सामने आते हैं।

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