जय हिन्द न्यूज/जालंधर
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने लुधियाना की जूनियर डिवीजन सिविल जज विभा राणा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। 10 महीनों में 10 न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ किए एक्शन में यह अनूठा मामला है। हालांकि जज पर आरोपों के बारे में पता नहीं है, लेकिन यह कार्रवाई हाईकोर्ट की ओर से की गई सतर्कता जांच के बाद हुई है।
जज विभा राणा का नाम हाल ही में उस समय चर्चा में आया था जब उनके बैंच पर आधारित कोर्ट ने एक लोकल जनहित याचिका को डील करके बिना प्रतिवादियों को सुने सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक आईपीएस अफसर की महिला के साथ हो रही सैक्स डील वाली वार्तालाप वाली आडियो को ब्लाक करने का आदेश पारित किया था और बाद में माननीय उच्च न्यायालय ने उक्त आदेश पर रोक लगा दी थी।
अपुष्ट सूत्रों से जानकारी यह भी मिली है कि अनुशासनात्मक कार्रवाई के मद्देनजर निलंबन का यह आदेश कुछ दिल्ली निवासियों द्वारा 28 अप्रैल, 2023 को दर्ज की गई शिकायत से संबंधित है। मगर इसकी फिलहाल पुष्टि नहीं हुई है। निलंबन अवधि के दौरान उनका मुख्यालय मोगा निर्धारित किया गया है और उन्हें संबंधित जिला एवं सत्र न्यायाधीश की पूर्व अनुमति के बिना बाहर जाने से रोक दिया गया है।
संविधान के अनुच्छेद 235 और पंजाब सिविल सेवा (दंड और अपील) नियमों के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और न्यायाधीशों द्वारा निलंबन का आदेश दिया गया। राणा का निलंबन कोई अलग कदम नहीं है, बल्कि चीफ जस्टिस शील नागू के नेतृत्व में हाईकोर्ट के त्वरित संस्थागत अभियान का नवीनतम संकेतक है।
यहां बता दे कि पिछले 10 माह में पंजाब से 4 और हरियाणा से 6 न्यायिक अधिकारी जांच के दायरे में आ चुके हैं। पंजाब और हरियाणा के 2-2 सहित 4 अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि 6 को निलंबित कर दिया गया है!
अनुशासनात्मक निर्णय पूर्ण न्यायालय की बैठकों के बाद लिए गए हैं। जिस तीव्र गति से आंतरिक तंत्र समग्र रूप से काम कर रहा है वह महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसी कार्रवाई भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता और आत्मसंतुष्टि को दूर करने के लिए एक सचेत संस्थागत प्रयास को दर्शाती है। पिछले 2 साल में हाईकोर्ट ने 2 दर्जन से ज्यादा न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिससे आंतरिक जवाबदेही का एक मजबूत संदेश गया है।