जय हिन्द न्यूज/जालंधर
अगर आप भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का क्रैडिट कार्ड लेने जा रहे हो तो जरा सावधान हो जाओ, कहीं आप भी बैंक की क्रैडिट कार्ड शाखा के फ्राड-स्कैम का शिकार न हो जाना। जिला उपभोक्ता फोरम (कंज्यूमर कोर्ट) से एक ताजा मामला सामने आया है जिसमें बैंक की घटिया करतूत का पर्दाफाश हुआ है जिसने ग्राहकों को सेवा लेने से पहले सोचने पर मजबूर कर दिया है।
कोर्ट ने गुडग़ांव (हरियाणा) स्थित एसबीआई कार्ड्का एंड पैमेंट सर्विसिज लिमिटेड के एम.डी तथा सीपीपी असिस्टैंस सविर्सिज प्राइवेट लिमिटेड के एम.डी को सेवा में कोताही का दोषी करार देते हुए क्रैडिट कार्ड बिल में मांगी अवैध राशि को निरस्त करार देते हुए 20 हजार रुपए मुआवजा तथा 10 हजार रुपए कानूनी खर्च देने का आदेश जारी किया है।
बैंक के खिलाफ एन.के. 11, बाजार नौहरिया स्थित दौलत राम स्ट्रीट निवासी कविता जैन पत्नी सचिन जैन ने अपने वकील प्रिंस तायल के जरिए शिकायत दायर की थी। कविता ने शिकायत में फोरम को बताया था कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की इमाम नासिर ब्रांच में उनका सैविंग खाता था।
बकौल कविता, बैंक खाते के आधार पर बैंक की कार्डज एंड पैमेंट प्रदाता टीम ने उनको लगातार अपने टारगैट पूरे करने का प्रैशर बनाकर क्रैडिट कार्ड जारी किया था। दावा किया था कि यह कार्ड नि:शुल्क और बिना किसी अन्य एवं वार्षिक चार्जेज वाला है। हालांकि कविता ने उनको हर बार क्रैडिट कार्ड की जरूरत न होने की बात भी कही थी।
अब हुआ यह कि जैसे ही कविता को वो कार्ड मिला, उनको पहला बिल 3242/- रुपए का भेज दिया गया जिसको देखते ही वो चौंक गई क्योंकि उन्होंने कार्ड का इस्तेमाल तक नहीं किया था। कविता बैंक गई और बात की। असंतुष्ट होकर 20.01.2021 को शिकायत दायर दी। मजे की बात यह कि बिल 1062/- रुपए कर दिया गया।
अंतत: कविता ने 27.01.2021 को बैंक को लीगल नोटिस भेजा और बिल राशि निरस्त करके 4 लाख रुपए क्षतिपूर्ति और अवैध राशि का बिल जारी करने के बदले 25 हजार रुपए क्लेम का दावा किया। बैंक वालों का कोई जबाव नहीं आया तो कविता ने कानूनी लड़ाई का मन बना लिया। चार साल तक चली लंबी लड़ाई के बाद अब फैसला आया जिसके बाद बताया जा रहा है कि कविता अब काफी संतुष्ट है।