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बैंक में गिरवी जमीन का सौदा कर 15 लाख की ठगी मारने वालों कोर्ट ने सुनाई दो साल की सजा, पढ़िये किस वकील ने दिलाया इन्साफ

By JAI HIND NEWS/JALANDHAR

Published on 25 Oct, 2024 03:13 PM.

                   जय हिन्द न्यूज/जालंधर

मिट्ठे-प्यारे होकर बैंक में गिरवी जमीन का सौदा करके 15 लाख रुपए की ठगी मारने वालों को जालंधर की अदालत ने दो साल की सश्रम सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषी करार गगनदीप गरेवाल पुत्र बलदेव राज निवासी एन.एम 166 मोहल्ला करार खां जालंधर तथा मंजीत सिंह भाटिया पुत्र जोध सिंह निवासी ग्रीन ऐवेन्यू, बस्ती पीर दाद जालंधर को जुर्माना भी किया है जिसे अदा न करने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।

 

 


दरअसल, आरोपी मंजीत तथा कुलदीप कौर 29.09.2013 को रजिस्टर्ड पेपरों के आधार पर ग्रीन ऐवेन्यू, बस्ती पीर दाद जालंधर स्थित प्रापर्टी नंबर 24 (5 मरला 140 वर्ग फुट) के मालिक थे। आरोपी गगनदीप गरेवाल के पास इस प्रापर्टी की पावर ऑफ अटार्नी थी जिसने 08.05.2013 को एक एग्रीमैंट के आधार पर शिकायतकर्ता जतिंदर पाल सिंह के साथ 15 लाख रुपए लेकर बयाना किया था और यह डील असल मालिकों की जानकारी में थी।

 

 

सौदा 20 लाख रुपए में तय होने के बाद रजिस्ट्री की तारीख 02.05.2016 तय की गई थी। पांच लाख रुपए रजिस्ट्री के समय दिए जाने थे। चूंकि प्रापर्टी पर लोन भी था जिसको लिखित में लाया गया था कि यह लोन भी 02.05.2016 तक क्लीयर हो जाना चाहिए और तीन साल का समय इसके लिए काफी था। अब हुआ यह कि तयशुदा तारीख के मुताबिक जमीन बेचने वाले रजिस्ट्री करवाने सब-रजिस्ट्रार आफिस नहीं पहुंचे।

 

 

 

 

अत: जमीन खरीदने वाले 33 गुरु गोबिंद सिंह नगर, जालंधर निवासी जतिंदर पाल सिंह पुत्र संत सिंह ने अपने वकील जतिंदर कुमार अरोड़ा के जरिए आरोपी पक्ष 166, मोहल्ला करार खां जालंधर निवासी गगनदीप गरेवाल पुत्र बलदेव राज तथा इसकी माता रमेश रानी, 66 ग्रीन ऐवेन्यू जालंधर निवासी मंजीत सिंह भाटिया पुत्र जोध सिंह तथा 64 ग्रीन ऐवेन्यू जालंधर निवासी कुलदीप कौर पत्नी मंजीत सिंह के खिलाफ सीधे कोर्ट में आईपीसी की धारा 406, 420 तथा 120-बी के तहत शिकायत दायर की थी।

 

 

 

सुनवाई के दौरान तलब किए जाने के दौरान रमेश रानी तथा कुलदीप कौर की मौत हो गई जिनके खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी गई जबकि गगनदीप गरेवाल तथा मंजीत सिंह दोनों के खिलाफ सबूतों एवं गवाहों के आधार पर आईपीसी की धारा 420 तथा 120-बी के तहत आरोप साबित हुआ। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि दोषी करार दोनों आरोपियों ने अपराध को जानबूझ कर अंजाम दिया और सजा सुनाई। 

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