भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को सरकार की ओर से क्लीन चिट मिल गया है। एक संक्षिप्त परिचय दें कि SEBI के चेयरपर्सन ने हाल ही में सरकार से निर्दोष प्रमाण प्राप्त किया है, जो हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज करता है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कई कंपनियों पर आरोप लगाए थे, जिनमें प्रमुख रूप से अदानी समूह की कंपनियाँ शामिल हैं। 2023 में, उन्होंने अदानी समूह पर आरोप लगाया कि कंपनी ने अपने वित्तीय आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया है और इसने शेयरधारकों को धोखा देने का काम किया है। हिंडनबर्ग के अनुसार, अदानी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें अत्यधिक बढ़ी हुई थीं और उनके वित्तीय स्वास्थ्य में गंभीर अनियमितताएँ थीं। उन्होंने यह भी बताया कि अदानी समूह ने कथित तौर पर अपनी कंपनियों के बीच व्यापारिक लेन-देन को दिखाकर मुनाफा बढ़ाने का प्रयास किया। इसके अलावा, उन्होंने कंपनी की कर्ज की स्थिति और विदेशी निवेशकों के साथ उसके संबंधों पर भी सवाल उठाए।
इन आरोपों के बाद अदानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई। अदानी समूह ने इन आरोपों को खारिज किया और इसे बाजार में नकारात्मक प्रचार का हिस्सा बताया। । इस खबर के मुताबिक माधबी बुच के खिलाफ आरोपों की जांच में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया। अब वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगी जो फरवरी 2025 में समाप्त होगा। सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च और कांग्रेस पार्टी द्वारा सेबी प्रमुख के खिलाफ हितों के टकराव और वित्तीय कदाचार के गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद जांच जरूरी हो गई थी। बुच को हितों के टकराव और वित्तीय कदाचार के आरोपों पर जांच का सामना करना पड़ा।
हाल ही में हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट में अडानी समूह के साथ बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच पर कई आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। उसने कहा कि ये वही फंड हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अडानी ने पैसों की हेराफेरी करने तथा समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अडानी, अडानी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं। आरोपों के जवाब में माधबी पुरी बुच और उनके पति, धवल बुच ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में दावे "निराधार" और बिना योग्यता के थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके वित्तीय रिकॉर्ड पारदर्शी थे और आरोपों को चरित्र हनन का प्रयास बताया। बुच दंपति ने स्पष्ट किया कि फंड में उनका निवेश, माधबी के सेबी में शामिल होने से दो साल पहले किया गया था। हिंडनबर्ग के हमले के बाद कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां सेबी चेयरपर्सन पर हमलावर हो गईं। इसके साथ ही इस्तीफे की भी मांग की गई।