मोहाली के खरड़ CIA थाना में कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई की इंटरव्यू करवाने और गैंगस्टरों के खिलाफ एक्शन ना लेकर खुद को गैंगस्टर फ्रेंडली कहलवाने वाले पंजाब पुलिस के दागी DSP गुरशेर सिंह संधू के पाप का घड़ा आज भर गया।
एक उच्च स्तरीय जाँच और आदेश के बाद आज इस दागी DSP गुरशेर सिंह संधू के खिलाफ मोहाली के उसी क्राइम ब्राँच थाना में पहली FIR दर्ज़ की गई जहां कभी बैठ कर वो अपनी रिश्वतखोरी की दुकान चलाया करता था। संधू को रिश्वतखोरी जैसे संगीन अपराध की धाराओं के तहत नामजद किया गया है।
मोहाली में तैनाती के दौरान कथित रूप से अवैध गतिविधियों में संलिप्त रहे पूर्व डीएसपी खरड़ सीआईए गुरशेर सिंह संधू के खिलाफ दर्ज़ FIR नंबर 33 में संधू रिश्वतखोरी के अलावा आरोप है कि अपने कार्यकाल के दौरान भोले-भाले लोगों को निशाना बनाया और फर्जी शिकायतें दर्ज करवा कर उनसे जबरन समझौता कराया।
बताया जा रहा है कि जालंधर के रहने वाले आरोपी DSP संधू और उसके सहयोगी बलजिंदर सिंह उर्फ टाला ने साजिश के तहत इन लोगों से उनकी जमीनें सस्ते दामों पर ले लीं और शिकायतों को समझौता दिखाकर खत्म कर दिया।
अतः टाला ने अपनी जान के खतरे की आशंका जताते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि डीएसपी संधू ने उससे शिकायतें दर्ज करवाईं और फिर पीड़ितों से समझौता करवा कर पैसे वसूले।
उधर, पता चला है कि स्टेट विजिलेंस ब्यूरो भी मामले की अलग से जांच कर रहा है, और उन अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कैसे ये शिकायतें डीएसपी गुरशेर सिंह संधू को मार्क होती रहीं और कैसे समझौते के नाम पर फाइल कर दी गईं।
वहीं, इस दागी DSP गुरशेर सिंह संधू पर कानूनी शिकंजा कसे जाने के बाद गैंगस्टरों के उन तमाम कनेक्शनों को भी मुंबई हत्याकांड के साथ जोड़कर देखा जाने लगा है जिसमें एक आरोपी के तार जालंधर से जुड़े पाए गए।
स्वत: ध्यानाकर्षण हो रहा है कि चूँकि आरोपी DSP गुरशेर सिंह संधू भी जालंधर का रहने वाला है और मुंबई बाबा हत्याकांड का आरोपी भी। और उस पर इस दागी DSP का गैंगस्टर फ्रेंडली होना सवाल खड़ा कर रहा है कि कहीं उस गैंगस्टर को तैयार करने में इस DSP की कोई भूमिका तो नहीं रही, जो जाँच का विषय है।
बहरहाल, ताज़ा कार्रवाई ने पंजाब पुलिस की वर्दी एक बार फिर दाग़दार साबित कर दी है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में इस दागी अफसर द्वारा डील किए सभी मामलों की जांच दोबारा हो सकती है। अब देखना शेष होगा कि इस आरोपी दागी DSP की गिरफ़्तारी कब होती है या फिर इसको ज़मानत दिलाने की साजिश हो जाती है।