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INNOCENT HEARTS SCHOOLS AND COLLEGE OF EDUCATION , जालंधर ने 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान के तहत मनाई गांधी जयंती

By jai hind news desk

Published on 04 Oct, 2024 01:46 PM.

इनोसेंट हार्टस के पाँचों स्कूलों (ग्रीन मॉडल टाऊन, लोहारां, नूरपुर रोड, कैंट जंडियाला रोड व कपूरथला रोड), इनोकिड्स तथा इनोसेंट हार्टस कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई। CBSE's द्वारा चलाए गए स्वच्छता पखवाड़ा (under SDG 13) के अंतर्गत पूरे सप्ताह स्वच्छ वातावरण के संदर्भ में स्वच्छता के तीन आयामों 'स्वच्छ मन, स्वस्थ शरीर और स्वस्थ वातावरण' से संबंधित विद्यार्थियों से अनेक गतिविधियाँ करवाई गई, जिसमें उन्होंने बहुत उत्साह से भाग लिया। कक्षा पहली से पाँचवी तक के बच्चों ने स्वच्छता के प्रति सजग रहने और इसके लिए समय देने का संकल्प लेते हुए स्वच्छता शपथ ली। इको क्लब के विद्यार्थियों ने स्कूल के नज़दीक पार्क को स्वच्छ करने में अपना अहम योगदान दिया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखने तथा कूड़ेदान के भिन्न-भिन्न रंगों - हरा गीला, सूखा नीला के अनुसार सूखे और गीले कचरे के डिब्बे की संतृप्ति' के महत्व पर भी  जागरूकता फैलाई। इनोकिड्स के नन्हे बच्चे गांधी जी व शास्त्री जी जैसे परिधानों में सजकर आए और उन्होंने उनके चित्रों पर माला अर्पण किया। इस अवसर पर बच्चों द्वारा दांडी मार्च निकाला गया। कक्षाओं में अध्यापिकाओं ने बच्चों को गांधी जी व शास्त्री जी के जीवन से जुड़ी कहानियाँ सुनाईं तथा उन्हें उनके जीवन से सीख लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बच्चों को स्कूल के प्रांगण की साफ-सफाई तथा अपने आसपास के परिवेश को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक किया।
इनोसेंट हार्ट्स कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन की एनएसएस इकाई ने भावी अध्यापकों के बीच गांधीवादी मूल्यों - "स्वच्छ शरीर, अस्वच्छ शहर में निवास नहीं कर सकता" तथा  गांधीवादी दर्शन 'व्यावसायिक शिक्षा, नई तालीम और अनुभवात्मक शिक्षा' (वेंटेल) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गांधी जयंती मनाई। महात्मा गांधीजी ने शिल्प-केंद्रित शिक्षा पर ज़ोर दिया था, इसलिए कॉलेज में 'बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट' प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसका विषय 'कचरे को धन में बदलना' तथा सिंगल यूज प्लास्टिक (SUP) के विकल्पों को प्रोत्साहित करना था। सभी विद्यार्थी-अध्यापकों ने सक्रिय रूप से हस्तशिल्प जैसे हाथ से बुनाई, मिट्टी के बर्तन बनाना, सजावटी पेपर बैग बनाना, ओरिगेमी, कांच का काम आदि का अभ्यास किया।

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