SUPREME COURT ने मेडिकल और डेंटल कोर्स में NRI कोटो को लेकर PUNJAB GOVERMENT को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें NRI कोटे का धंधा बंद कर देना चाहिए। यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है।
सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल और डेंटल कोर्स में NRI कोटो को लेकर पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें NRI कोटे का धंधा बंद कर देना चाहिए। यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है। इसके साथ ही कोर्ट ने मंगलवार को मेडिकल दाखिले में NRI कोटा बढ़ाने वाले पंजाब सरकार की अधिसूचना को भी रद्द कर दी।
10 SEPTEMBER को PUNJAB और HARYANA HIGH COURT ने भगवंत मान सरकार के 20 अगस्त के उस फैसले को खारिज कर दिया था। जिसमें मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए NRI ग्रुप कोटे को 15 प्रतिशत बढ़ा दिया था। इस बढ़े हुए कोटे में दूर के रिश्तेदारों "जैसे चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई-बहनों" को भी शामिल किया गया था।
इस मामले पर आज फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हमें धोखाधड़ी को समाप्त करना होगा, HIGH COURT का आदेश बिल्कुल सही है। राज्य सरकार के इस नोटिफिकेशन के घातक परिणाम होंगे। जिन सामान्य उम्मीदवारों के नंबर NRI कोटे के छात्र से 3 गुना अधिक हैं, वो सामान्य छात्र लिस्ट से बाहर हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस पर अमल करने की नसीहत दी। COURT ने कहा कि कानून के कुछ सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, हम कानून के सिद्धांत निर्धारित करेंगे।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, यह पैसे कमाने की मशीन के अलावा कुछ नहीं है। पीठ ने कहा, हम सभी याचिकाओं को खारिज कर देंगे। यह एनआरआई व्यवसाय धोखाधड़ी के अलावा कुछ नहीं है। हम इस सब को खत्म कर देंगे... अब तथाकथित मिसालों की जगह कानून को प्राथमिकता देनी होगी। शीर्ष अदालत का कहना है कि वो जल्द ही इस संबंध में गाइडलाइन जारी करेंगे। तब तक के लिए यह फ्रॉड बंद होना चाहिए।
बता दें कि PUNJAB में AAP PARTY की भगवंत मान सरकार ने 20 AUGUST को नोटिस जारी करते हुए सरकार ने नीट के एडमिशन में एनआरआई कोटा देने का ऐलान किया था। पंजाब सरकार ने NRI को 15 प्रतिशत तक आरक्षण देने का ऐलान किया था। जिसके बाद डॉ BRअंबेडकर स्टेट इंस्टीटयूट मेडिकल साइंसेज मोहाली में MBBS की जनरल सीटें कम कर दी गई थी। कम की गई सीटों को NRI कोटे में शामिल कर दिया गया।
जिसके बाद कुल छात्र इस फैसले के खिलाफ HIGH COURT में पहुंच गए। 10 सितंबर को इस मामले पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस कोटे को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही बताते हुए याचिका खारिज कर दी।