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5 बड़े सवाल, KEJRIWAL ने किया इस्तीफा देने का ऐलान , DELHI वासी जिनका जवाब जानना चाहते हैं?

By Jai Hind News Desk

Published on 16 Sep, 2024 01:21 PM.


दिल्ली में 5 MONTH बाद (फरवरी 2025) ही विधानसभा चुनाव होने हैं. यानी चुनाव तक दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है? वो नया चेहरा कौन होगा? क्या दिल्ली के लोगों को बस में मुफ्त सफर और 200 यूनिट तक फ्री बिजली का लाभ मिलता रहेगा? ऐसे 5 बड़े सवाल हैं, जिनके जवाब दिल्ली की जनता जानना चाहती है.



DELHI के CM ARVIND KEJRIWAL ने दो दिन  के अंदर अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है. केजरीवाल ने साफ कहा है कि वो जेल से लौटने के बाद अग्निपरीक्षा देना चाहते हैं और तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे, जब तक जनता उन्हें दोबारा चुनकर नहीं भेजती है. केजरीवाल का कहना था कि चुनाव तक AAP का कोई अन्य विधायक, नया मुख्यमंत्री बनेगा. केजरीवाल की तरह मनीष सिसोदिया ने भी सरकार में मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया है. सिसोदिया का कहना था कि अगर दिल्ली की जनता मेरी ईमानदारी पर मुहर लगाएगी, तभी मैं डिप्टी सीएम-शिक्षा मंत्री की कुर्सी पर बैठूंगा.



  चुनाव तक दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है? वो नया चेहरा कौन होगा? क्या दिल्ली के लोगों को बस में मुफ्त सफर और 200 यूनिट तक फ्री बिजली का लाभ मिलता रहेगा? ऐसे 5 बड़े सवाल हैं, जिनके जवाब दिल्ली की जनता जानना चाहती है. आइए समझते हैं...
 

AAP चुनाव से ठीक पहले (4 MARCH 2024) DELHI सरकार ने अपना 10वां बजट पेश किया. इसमें महिलाओं को लेकर बड़े ऐलान किए गए. CM KEJRIWAL ने कहा, वे 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान' योजना ला रहे हैं. इस योजना के तहत 18 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये दिए जाएंगे. ये पैसे सीधे उनके बैंक अकाउंट आएंगे. जो महिलाएं सरकारी नौकरी में हैं और INCOME TAX  का भुगतान कर रही हैं या पेंशनधारी हैं, उन्हें योजना का लाभ नहीं मिलेगा. केजरीवाल ने आश्वासन दिया कि लोकसभा चुनाव के बाद कैबिनेट में लाकर इस योजना को लागू करेंगे. उसके बाद 21 MARCH को केजरीवाल कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल चले गए. 



अब जब केजरीवाल की रिहाई हुई है तो जमानत की शर्तों ने उनके हाथ बांध दिए. अभी उनके सामने कैबिनेट की बैठक बुलाना भी मुश्किल है. अनुमान लगाया जाने लगा कि ये योजना फिलहाल विधानसभा चुनाव तक लागू नहीं हो पाएगी. हालांकि, अब एक बार फिर संभावनाएं बढ़ गई हैं. अगर दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिलता है और इस योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिलती है तो फिर इसका लाभ दिल्ली की लगभग 50 लाख महिलाओं को मिल सकता है. ये योजना चुनाव में केजरीवाल सरकार के लिए बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है. 2024-2025 के बजट में 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना' के तहत 2000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.



2). सीएम की कुर्सी किसे मिलेगी?

केजरीवाल के इस्तीफा देने के ऐलान के बाद अब नए चेहरे को लेकर हलचल तेज है. इस बात को लेकर सस्पेंस गहराता जा रहा है कि केजरीवाल की जगह सीएम की कुर्सी कौन संभालेगा? वो चेहरा कौन होगा? आम आदमी पार्टी के अंदर कई नामों को लेकर मंथन चल रहा है. सोमवार को केजरीवाल के घर एक मीटिंग होने की खबर है. इसमें मनीष सिसोदिया भी शामिल होंगे. रविवार को जब केजरीवाल ने पार्टी दफ्तर में इस्तीफा देने की घोषणा की, उस वक्त सिसोदिया भी मौजूद थे. उसके बाद अब दोनों नेता पहली बार मुलाकात कर रहे हैं. माना जा रहा है कि केजरीवाल और सिसोदिया की इस मुलाकात में नए मुख्यमंत्री को लेकर चर्चा हो सकती है. नया मुख्यमंत्री कौन होगा? केजरीवाल का उत्तराधिकारी दिल्ली सरकार का कोई मंत्री बनेगा या कोई सरप्राइज फैक्टर सामने आएगा? फिलहाल, जिन नामों की चर्चा तेज है, उनमें आतिशी, सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय और कैलाश गहलोत शामिल हैं. 




जानकार कहते हैं कि केजरीवाल ने रविवार को जब कार्यकर्ताओं को संबोधित किया तो अपने भाषण में आतिशी के नाम का जिक्र किया. केजरीवाल का कहना था कि चूंकि 15 अगस्त के समय वो जेल में बंद थे, इसलिए उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर अपनी जगह आतिशी को तिरंगा फहराने के लिए नॉमिनेट किया था. इस संबंध में उन्होंने आतिशी के नाम को चुनकर एलजी को चिट्ठी भेजी थी. वो चिट्ठी तो एलजी तक नहीं पहुंची. सवाल उठ रहा है कि क्या अब आतिशी का नाम एलजी तक मुख्यमंत्री पद के लिए पहुंचेगा? केजरीवाल कैबिनेट में आतिशी सबसे हैवीवेट मंत्री हैं. आतिशी को केजरीवाल का करीबी सहयोगी और विश्वासपात्र माना जाता है. दिल्ली सरकार में एक कैबिनेट मंत्री का पद भी भरा जाना है.





3). दिल्ली में चुनाव कब होंगे? 



दिल्ली में वैसे तो चुनाव फरवरी 2025 तक होना प्रस्तावित हैं. लेकिन, रविवार को जब केजरीवाल ने अपने इस्तीफे का ऐलान किया तो यह भी जोड़ा कि वो चाहते हैं कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी की बजाय नवंबर में करवाए जाएं. इसी साल नवंबर में ही महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. 



केजरीवाल ने भले ही यह मांग कर दी कि दिल्ली का चुनाव नवंबर में महाराष्ट्र के साथ ही कराया जाए, लेकिन तुरंत चुनाव के मूड में केजरीवाल भी नहीं है. क्योंकि उन्होंने सिर्फ CM पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है, लेकिन ना तो कैबिनेट भंग का प्रस्ताव आगे बढ़ाया है और ना विधानसभा भंग करने जा रहे हैं. बल्कि नए चेहरे पर दांव लगा रहे हैं. हालांकि, केजरीवाल को जल्द चुनाव कराए जाने के संबंध में चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग करनी होगी और इसका कारण भी बताना होगा. फिलहाल, दिल्ली की वोटर लिस्ट अपडेट होने का काम बाकी है. दो महीने के अंदर यह काम पूरा होने की संभावना नहीं है. ऐसे में संभव है कि आयोग फरवरी में तय समय पर ही चुनाव करा सकता है.



कानूनी जानकार कहते हैं कि नए सीएम के बनने से नए सिरे से कैबिनेट का गठन होगा. केजरीवाल इस्तीफा देते हैं तो एलजी की तरफ से मंजूरी दी जाएगी और उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. उसके बाद राष्ट्रपति भी इस्तीफा को मंजूर करेंगी. तब जाकर नया मुख्यमंत्री सरकार बनाने का अपना दावा पेश करेगा. इस पर भी अंतिम मुहर राष्ट्रपति की लगेगी. अंत में सीएम और उनकी कैबिनेट की शपथ होगी. इस पूरी प्रक्रिया में वक्त लग सकता है.



4). क्या मुफ्त बिजली-बस यात्रा जारी रहेगी?



इस सवाल का जवाब 'हां' है. क्योंकि केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा बदलेगा. योजनाओं से लेकर फैसलों तक में केजरीवाल की ही छाप देखने को मिलेगी. यह बात तय है कि सीएम फेस कोई भी हो, सत्ता की चाबी केजरीवाल के हाथों में ही रहेगी. वे खुद पार्टी के मुखिया हैं और संगठन से लेकर सरकार की बागडोर भी उनके ही पास रहने की संभावना है. मुफ्त बिजली और मुफ्त बस यात्रा केजरीवाल सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है. केजरीवाल सरकार इसे चुनावी रैलियों में भी 'दिल्ली मॉडल' के रूप में पेश करती आई है.





5). क्या हरियाणा में AAP को सिम्पैथी वोट मिलेगा?



राजनीतिक जानकार कहते हैं कि चूंकि केजरीवाल AAP के संयोजक  हैं. वे खुद को कट्टर ईमानदार होने का दावा करते आए हैं. लेकिन, पिछले कुछ महीनों से सरकार की साख पर सवाल उठे हैं. पहले आबकारी नीति में कथित घोटाला, उसके बाद सीएम आवास की साज-सज्जा पर करोड़ों रुपए खर्चे जाने पर विवाद हुआ. हाल ही में जल संकट और जल बोर्ड में स्कैम को लेकर विपक्ष घेरता आ रहा है. AAP की दिल्ली और पंजाब में सरकार है और पड़ोसी राज्य हरियाणा में पहली बार सभी 90 सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ रही है. केजरीवाल खुद हरियाणा के मूल निवासी हैं. ऐसे में उनके सामने भ्रष्टाचार का टैग हटाने की चुनौती तो है ही, साथ ही हरियाणा में भी पार्टी को उभारकर लाना है. केजरीवाल के इस्तीफा देने के फैसले को हरियाणा चुनाव और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पार्टी को हुए नुकसान को रोकने की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है.




जानकार कहते हैं कि केजरीवाल ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं, इससे AAP हाईकमान भविष्य में फायदा मिलने की उम्मीद कर सकता है. केजरीवाल के फैसले का असर हरियाणा चुनाव में भी देखने को मिलेगा. महाराष्ट्र में भी दो महीने बाद चुनाव हैं और वहां भी AAP इलेक्शन लड़ने का ऐलान कर चुकी है. चूंकि हरियाणा में AAP-कांग्रेस का अलायंस नहीं हो सका है. अब केजरीवाल के इस्तीफे से आगामी चुनावों में AAP को सहानुभूति वोट मिल सकते हैं. चुनाव में AAP को कई सीटों पर सिम्पैथी वोट का फायदा मिल सकता है. एक तरह का सिम्पैथी माहौल AAP के पक्ष में बना सकते हैं.





हालांकि, दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव कहते हैं कि केजरीवाल लोगों से सहानुभूति बटोरना चाहते हैं. इस्तीफे का ऐलान करना लोगों की आंखों में धूल झोंकने की एक कोशिश है, क्योंकि केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. इस आरोप से बच निकलने के लिए उन्होंने यह हथकंडा अपनाया है.





केजरीवाल का कहना है कि आज से कुछ महीने बाद दिल्ली के चुनाव हैं. अगर आपको लगता है कि केजरीवाल ईमानदार हैं तो मेरे पक्ष में वोट दे देना और अगर आपको लगता है कि मैं गुनहगार हूं तो मुझे वोट मत देना. जब भगवान राम 14 साल बाद वनवास से लौटे थे तो सीता मैया को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी. आज मैं जेल से छूटकर आया हूं और अग्निपरीक्षा देने के लिए तैयार हूं. मैं जनता की अदालत में हूं और जनता से पूछना चाहता हूं कि आप केजरीवाल को ईमानदार मानते हो या गुनहगार मानते हो.

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