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गैर- जिम्मेदाराना: जालंधर के भाजपा नेता अशोक सरीन की Viral चिट्टी से सार्वजानिक हुई रे.प पीड़िता की पहचान, FIR की उठी मांग, पढ़िए

By RAJESH KAPIL, EDITOR IN CHIEF

Published on 13 Sep, 2024 10:04 AM.

        जय हिन्द न्यूज़ /जालंधर

 

जालंधर से अपहरत एवं करनाल से बरामद एक महिला से रेप का मामला इन दिनों बेहद गरमाया हुआ है और राजनितिक पार्टियों के नेता इस मामले में पीड़ित को मिलने का इवेंट क्रिएट करके अप्रतक्षय रूप से पीड़िता की पहचान ज्यादा से ज्यादा लोगों में सार्वजानिक कर रहे हैं।

 

 

 

उधर, पीड़ित परिवार इन्साफ की मांग के साथ -साथ पीड़िता की पहचान छुपाने के लिए बीते काफ़ी दिनों से कोशिश कर रहे थे कि इसी बीच भाजपा नेता अशोक सरीन हिक्की की वायरल लेटर से रेप पीड़िता की पहचान को सार्वजानिक हो गई है।

 

 

 

करीबियों से पता चला है कि चिट्टी के सोशल मीडिया पर Viral होने के बाद विक्टिम के परिवार को काफ़ी जान-पहचान के लोगों ने संपर्क करना शुरू कर दिया है। परिजन के करीबी बता रहे हैं कि विक्टिम खुद भी काफ़ी सकते में आने लगी है।

 

 

 

अब चूंकि रेप पीड़ित की पहचान उजागर करना अपराध है जिसके स्वत: संज्ञान सवरूप पुलिस को मजबूरन FIR दर्ज़ करनी होती है। हालांकि इस को लेकर तत्काल FIR की मांग उठनी शुरू हो गई है। विपक्ष भी इसको मुद्दा बनाने जा रहा है।

 

 

 

बहरहाल, इस मामले के भी गरमाने की आशंका होने लगी है लेकिन इसको लेकर खुद भाजपा नेता अशोक सरीन का बयान सामने नहीं आया है क्योंकि उनसे संपर्क नहीं हो पाया है।

 

 

 

बताया जा रहा हैं कि अशोक खुद वकील भी है, अब ऐसे में वो इस गलती को अनजाने में हुई गलती कहकर भी अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते क्योंकि उक्त चिट्टी खुद उन्होंने सोशल मीडिया पर हूबहू शेयर की है।

 

 

उधर, पुलिस कमिश्नर स्वपन शर्मा द्वारा इस खबर के बाद मामले का संज्ञान लिए जाने की संभावना है। वैसे विपक्ष इस मामले पर भाजपा नेता को घेरने की पूरी तैयारी करने में लगा है। एक युवक ने तो यह मामला पंजाब महिला आयोग, पंजाब and हरियाणा हाई कोर्ट और पंजाब and हरियाणा बार कौंसिल के ध्यान में लाने की बात कह दी है। अब देखना शेष है कि इस मामले में पुलिस कब FIR करती है।

 

 

पढ़िए इस मामले से जुड़ी धारा का सार

धारा 72: पीड़ितों की पहचान की सुरक्षा

धारा 72 यौन अपराधों के पीड़ितों की पहचान की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

उप-धारा (1)

बलात्कार या संबंधित अपराधों (धारा 64, 65, 66, 67, 68, 69, 70 या 71 के तहत) के पीड़ित का नाम या कोई भी जानकारी छापना या प्रकाशित करना निषिद्ध है। इस प्रावधान का उल्लंघन करने पर दो साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।

उप-धारा (2)

इस निषेध के अपवाद हैं:

1. यदि मुद्रण या प्रकाशन का आदेश प्रभारी पुलिस अधिकारी या जांच अधिकारी द्वारा जांच के उद्देश्य से सद्भावपूर्वक दिया जाता है।

 

 

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