जय हिन्द न्यूज/जालंधर
खुद को खब्बी खान कहलवाने वाले दंबगों को नानी याद करवाने में माहिर भाजपा के फाइटर नेता गौरव लूथरा ने अब अपना अगला टारगेट जालंधर के लोकसभा सांसद चरणजीत सिंह चन्नी को बनाया है। लूथरा ने चन्नी के चुनाव खर्च और आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की कानूनी मिसाइल लांच करते हुए माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
जानकारी मिली है कि महारती वकील मनित मल्होत्रा के माध्यम से दायर की भाजपा नेता गौरव लूथरा की याचिका के आधार पर माननीय उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग सहित सांसद चरणजीत सिंह चन्नी को नोटिस जारी कर 12 अगस्त को जबाव दायर करने का आदेश दिया है। पता चला है कि नोटिस जारी होने के बाद चन्नी खेमे में खासी हलचल मच गई है।
उधर, सूत्रों के हवाले से यह भी ज्ञात हुआ है कि नोटिस जारी होने के बाद चन्नी ने कानों तक याचिका की खबर पहुंचते ही याचिकाकर्ता गौरव लूथरा के बारे में काफी लोगों से रिपोर्ट भी हासिल की है। करीबी सूत्रों की माने तो चन्नी को काफी जानकार लोगों ने गौरव लूथरा के बारे में काफी डरावनी रिपोर्ट पेश की है। वहीं, कुछ लोगों ने गौरव को बेहद घातक फाइटर करार दिया है।
बहरहाल, संसद में भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर को घेरने में जुटे कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी खुद संगीन आरोपों से घिरने के बाद काफी चिंता में बताए जा रहे हैं। चिंता का कारण यह बताया जा रहा है कि उनके खिलाफ याचिका में जो सबूत पेश किए गए हैं, वो बेहद सत्यापित ढंग से रिकार्ड करने के बाद तैयार करके पेश किए गए हैं जिससे उनकी संसद सदस्यता पर खतरा मंडराता दिखाई देने लगा है।
संपर्क करने पर जालंधर निवासी गौरव लूथरा ने बताया कि जालंधर लोकसभा सीट से चरणजीत सिंह चन्नी सांसद निर्वाचित हुए थे। नामांकन पत्र भरते हुए उन्होंने बहुत सी जानकारियां छुपाई थी। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव में हुए खर्च का भी सही ब्योरा चुनाव आयोग को नहीं सौंपा है।
चुनाव के दौरान एक होटल में 24 घंटे खाने की व्यवस्था रहती थी, लेकिन इसका खर्च उन्होंने चुनाव प्रचार के ब्योरे में नहीं दिया। वह रोजाना 10-15 जनसभाएं करते थे, लेकिन इस दौरान एक भी वाहन का खर्च उन्होंने प्रचार के ब्योरे में नहीं दिया। रामा मंडी में उन्होंने बिना अनुमति के रोड शो किया। यहां तक कि पोलिंग बूथ के बाहर वोटर स्लिप बांटने के लिए जो बूथ स्थापित किए गए थे उनके खर्च का ब्योरा भी नहीं दिया गया।
ऐसे में यह स्पष्ट हो जाता है कि चुनाव जीतने के लिए चन्नी ने भ्रष्ट साधनों का इस्तेमाल किया और इसके लिए जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत उनका निर्वाचन रद्द किया जाना चाहिए। याची ने इस संबंध में चुनाव आयोग को शिकायत भी दी थी, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। ऐसे में अब याची को चुनाव याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी है।