जय हिन्द न्यूज़/जालंधर
घोटालों से जुड़ी जमानतों की खबर तो आप ने बहुत सुनी होगी लेकिन जमानत के घोटाले की खबर आज आप शायद पहली बार सुनेंगे। जी हाँ, जालंधर कोर्ट complex में "जमानत घोटाला" होने का खुलासा हुआ है।
घटना से जुड़ा मूल विवाद जालंधर ग्रामीण पुलिस के मकसूदा थाना से जुड़ा बताया गया है जिसके शिकायत पक्ष के खिलाफ वकीलों और मुंशी के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिए जाने की जानकारी है। हालांकि जिस वकील के नाम का इस्तेमाल करके ज़मानत दायर की गई थी उसको बत्तौर गवाह बनाया गया है।
जमानत घोटाले को लेकर ताज़ा अपडेट यह है कि प्रथम दृष्टत्या आरोपी पाए 2 वकीलों, एक मुंशी और मूल मामले के शिकायत पक्ष के खिलाफ कोर्ट में CR.p.c की धारा 156(3) के तहत अर्जी दायर करके तत्काल FIR दर्ज़ करने की मांग की गई है। हालांकि पहले अकेले शिकायत पक्ष के खिलाफ अर्जी दी गई थी।
JMIC कोर्ट में अर्जी दायर करने वाली 45 साल की देविदासपुर जालंधर निवासी बलज़िन्दर कौर पत्नी मनिंदर पाल का आरोप है कि उनके भाई संजीव कुमार और भाभी के नाम से फर्जी अग्रिम ज़मानत दायर की गई थी। मकसद सेशन कोर्ट से जमानत का अवसर ख़त्म करना था।
कोर्ट को यह भी बताया है कि अपने स्तर की प्राथमिक जाँच में 2 वकीलों और उनके मुंशी की मिलीभगत भाई और भाभी पर FIR दर्ज़ करवाने वाले कबूलपुर निवासी सीतल दास की भूमिका इस में सामने आई है।
कोर्ट को बताया गया है कि जो ज़मानत उनके भाई और भाभी के नाम से जिस वकील के जरिए दायर की गई उसको कभी उन्होंने एंगेज नहीं किया। उनके भाई-भाभी ने कोई वकालतनामा, अर्जी या एफिडेविट साइन नहीं किया।
उधर, इस मामले के उछलने के बाद पूरी कचहरी में इसका शोर मच गया और साथ ही Free लीगल aid ऑफिस में भी खलबली मच गई क्योंकि जिस वकील का फर्जी वकालत नामा लगाया गया वो Free लीगल ऐड ऑफिस ने बतौर defence कोंसिल है।
संपर्क करने पर Defence कौंसिल ने मामले पर टिप्पणी करने से इंकार किया और खुद को मामले प्रति अनभिज्ञ बताया। वकील के मुंशी का नाम मुकेश गंगा बताया गया है।
प्राथमिक जानकारी हासिल करने के दौरान सुनने में यही आया है कि सारी कारस्तानी मुंशी मुकेश की है जिसने good faith में दोनों वकीलों को इस मामले में फंसा दिया है।
बहरहाल, दोनों युवा वकीलों NK & AP द्वारा मुंशी मुकेश की अभी कोई सर्विस किए जाने या उसके खिलाफ शिकायत दिए जाने की जानकारी नहीं है। नाम प्रकाशित नहीं किए जा रहे इसलिए उनका पक्ष भी अभी नहीं लिया जा रहा। कोर्ट का फ़ैसला ही इस घोटाले की अगली तस्वीर साफ करेगा।