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*सामाजिक लाभ के लिए स्वदेशी कैंसर देखभाल उपकरण विषय पर एचएमवी में सेमिनार का आयोजन*

By RAJESH KAPIL, EDITOR IN CHIEF

Published on 10 Mar, 2024 02:32 PM.

हंसराज महिला महाविद्यालय के फिजिक्स व जुलॉजी विभागों द्वारा आईक्यूएसी के संयुक्त तत्त्वावधान में आईएपीटी आरसी-02 के सहयोग से भारत सरकार की डीबीटी स्टार स्कीम के अन्तर्गत एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार का विषय सामाजिक लाभ के लिए स्वदेशी कैंसर देखभाल उपकरण था। बार्क मुंबई के डि•ााइन, उत्पादन व आटोमेशन के पूर्व डायरेक्टर सरदार मनजीत सिंह बतौर रिसोर्स पर्सन उपस्थित थे। प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन, डीन अकादमिक व जुलॉजी विभागाध्यक्षा डॉ. सीमा मरवाहा, फिजिक्स विभागाध्यक्षा श्रीमती सलोनी शर्मा, आईक्यूएसी कोआर्डिनेटर डॉ. आशमीन कौर, फैकल्टी इंचार्ज साइंस श्रीमती दीपशिखा व आईएपीटी आरसी-02 के एग्•ाीक्यूटिव सदस्य श्री सुशील कुमार ने प्लांटर भेंट कर उनका स्वागत किया। प्राचार्या प्रो. डॉ. (श्रीमती) अजय सरीन ने डॉ. आशमीन कौर तथा साइंस फैकल्टी के प्रयासों की सराहना की तथा कहा कि इस तरह के ज्ञानवर्धक सेमिनार से छात्राओं की जानकारी तो बढ़ती ही है बल्कि साइंस व टेक्नालिजी में उनकी दिलचस्पी भी बढ़ती है। डीन इनोवेशन व बॉटनी विभागाध्यक्षा डॉ. अंजना भाटिया ने रिसोर्स पर्सन का परिचय कराया। सरदार मनजीत सिंह ने स्वदेशी टेलीथेरेपी कोबाल्ट मशीन-भाभाट्रॉन 1 तथा 2 की जानकारी दी जिसका निर्माण कैंसर के इलाज के लिए बार्क द्वारा क्रमश: 2005 तथा 2006 में किया गया था।

उन्होंने बताया कि यह मशीन विदेशी मशीनों की तुलना में कहीं किफायती है क्योंकि यह कम ऊर्जा की खपत करती है, इसका बैटरी बैकअप बेहतरीन है जो पावर कट के समय सहायक सिद्ध होता है। उन्होंने बताया कि इस स्वदेशी मशीन ने रेडियोथेरेपी सुविधा का खर्चा भी कम कर दिया है क्योंकि यह मशीन स्वदेश में तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि रेडियोएक्टिव पदार्थ को ले जाने के लिए प्रयोग होने वाली सोर्स फ्लास्क भी बार्क द्वारा निर्मित है जिससे कैंसर के इलाज का खर्च काफी कम हो जाता है। इन स्वदेश निर्मित उपकरणों को भारत के कई भागों में तथा विदेश में सप्लाई किया जाता है। बीएससी मेडिकल, नॉन मेडिकल तथा कंप्यूटर साइंस की सभी छात्राओं ने सेमिनार में भाग लिया। छात्राओं ने प्रश्न भी पूछे। श्रीमती सलोनी शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। मंच संचालन डॉ. अंजना भाटिया ने किया।

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