जय हिन्द न्यूज/जालंधर
चैक बाऊंस के केसों का सामना कर रहे प्रतिवादियों के लिए जालंधर की अदालत से काम की खबर आई है। स्थानीय विशेष अदालत ने एक लंबित केस का निपटारा करते हुए एक डेरा संचालक बाबा को चैक बाऊंस के केस से बाइज्जत बरी किया है। अमूनन ऐसे केसों में 99.99 प्रतिशत सजा होने की खबरों के बीच यह ऐसा यूनीक मामला सामने आया है जिसमें चैक डिफाल्ट होने का आरोप होने के बावजूद आरोपी को बरी किया गया है।
कोर्ट के ताजा फैसले से राहत पाने तख्त बाबा बुड्डा साहिब चैरीटेबल ट्रस्ट के बाबा भगवंत भजन सिंह पुत्र बाबा जसवंत सिंह निवासी दकोहा (दकोहा डेरा वाले) के खिलाफ उनकी ही अनुयायी मकान नंबर 309, फगवाड़ा गेट जालंधर निवासी परमजीत कौर पत्नी जगजीत सिंह ने एक करोड़ आठ लाख रुपए का चैक बाऊंस होने पर केस दायर किया था। प्रतिवादी बाबा का केस जाने-माने वकील जतिंदर अरोड़ा ने फाइट किया और ठोस दलीलों से कोर्ट में यह साबित कर दिया कि उनके क्लाइंट को कानून का दुरुपयोग करके फंसाया जा रहा है।
श्री अरोड़ा ने संपर्क करने पर बताया कि दरअसल, उनके क्लाइंट बाबा की अनुयायी ने फ्रैंडली लोन का हवाला देकर साल 2020 में जारी किए एक चैक के आधार पर केस दायर किया था। सुनवाई के दौरान मेरे क्लाइंट बाबा भगवंत भजन सिंह को सम्मन जारी कर कोर्ट ने तलब किया था। सुनवाई के दौरान बैंकों की गवाही के बाद अदालत के समय केस दायर करने वाली महिला की फाइनैंशियल कैपेसिटी का मुद्दा रखा गया जिसको साबित करने में याची महिला विफल रही।
श्री अरोड़ा ने एक सवाल के जबाव में स्पष्ट किया कि जरूरी नहीं कि चैक बाऊंस के हर केस में सजा ही होनी होती है। यदि केस की पैरवी के दौरान डिफैंस के दौरान यह साबित कर दिया जाए कि चैक का गलत इस्तेमाल और चैक राशि याची की कैपेसिटी से बाहर है, तो कानून प्रत्यक्ष तौर पर आरोपी पक्ष को राहत देता है।