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*पंजाब के पहले मनी लांड्रिंग केस में फेल हुई जांच एजैंसी ई.डी., कोर्ट ने आरोपी फोरैक्स मालिक को किया आरोप मुक्त, जब्त संपतियां भी रिलीज करने का आदेश, पढि़ए किस चर्चित मामले में आया कोर्ट का फैसला*

By RAJESH KAPIL, EDITOR IN CHIEF

Published on 27 Jul, 2023 05:49 PM.

 

                  जय हिन्द न्यूज/जालंधर


साल 2014 के दौरान मनी लांड्रिंग का पहला केस दर्ज करके सुर्खियां बटोरने वाली केन्द्रीय जांच एजैंसी एनफोर्समैंट डायरैक्टरेट (E.D) अदालत में उसी पहले केस में फेल होने पर आज दोबारा उस समय सुर्खियों में आ गई जब विशेष अदालत ने आरोपी दंपति को बरी कर दिया। हालांकि पुलिस केस में दोनों को 2 महीने की सजा भी सुनाई और पहले की हिरासत के चलते दोनों को अंडरगोन करार दिया गया।

 

जिला एवं सत्र न्यायालय ने बंगा (नवांशहर) स्थित मैस. वल्र्ड वाइड फोरैक्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालक पाल पाबला और उसकी पत्नी रंजीत कौर को “मनी लांड्रिंग मामलों के विशेषज्ञ वकील मंदीप सिंह सचदेव” की दलीलों को सुनने के बाद बेकसूर पाया और दोनों को बरी करते हुए E.D को निर्देश दिया है कि दोनों की जब्त संपतियां तत्काल प्रभाव से रिलीज कर दी जाए। कोर्ट के ताजा फैसले से ई.डी की खासी किरकिरी मानी जा रही है क्योंकि इस पहले मामले के आधार पर ही ई.डी ने बाकी सारे केस भी इस केस की तर्ज पर खड़े किए थे।

 

 
दरअसल, पाल पाबला और उसकी पत्नी रंजीत कौर के खिलाफ E.D ने 2014 में फेमा कानून के तहत एक्शन लिया था। हवाला ट्रांसैक्शन की गुप्त सूचना के आधार पर E.D की टीम ने रेड करके पाल पाबला के घर से रंजीत कौर और दो गवाहों ऊषा रानी और ओम नाथ शर्मा की हाजिरी में करीब 1.7 करोड़ रुपए की बैंक एफ.डी बरामद की थी। अब 05.09.2014 को हुई इस रेड के दौरान ई.डी ने सारी एफ.डी जब्त कर ली थी लेकिन आरोपी पक्ष ने कुछ दिन बाद 08.09.2014 को बैंक को एफडीज गुम होने की प्रक्रिया पूरी करके सारी रकम हासिल कर ली थी।

 

 

 

इसके बाद ई.डी अधिकारी गुरविंदर कौर ने 10.09.2014 को वैरीफिकेशन करके बैंकों के जरिए दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 177, 191, 193, 206, 207, 465, 468 व 471 के तहत क्रिमिनल केस भी दर्ज करवाया गया था। यही नहीं दोनों के खिलाफ नए बने मनी लांड्रिंग के केस में भी नामजद करके अलग से केस दायर किया गया था।

 

 

बहरहाल, मनी लांड्रिंग मामलों की सुनवाई के लिए जालंधर सैशन जज के बैंच पर आधारित कोर्ट के इस ताजा फैसले ने एनफोर्समैंट डायरैक्टोरेट (E.D) को जनता की अदालत में ला खड़ा कर दिया है। संभवत: जनता सवाल खड़े करेगी कि यह कैसे कमजोर मामले ई.डी की ओर से कोर्ट में पेश किए जा रहे हैं जिनमें दम ही नहीं। सवाल यह भी उठेगा कि क्या ई.डी ने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया था? क्योंकि ऐसे काफी सारे मामले अभी विचाराधीन है और फैसले के नजदीक भी। उनके फैसले का अब जनता को इंतजार रहने वाला है लेकिन ताजा मामले में आरोपी पक्ष जो कि बीते करीब 10 साल से हवाला का धंधा और काले धन को सफेद करने का टैग लेकर घूम रहा था, आज E.D के लगाए दागों से मुक्त हो गया है। राहत पाने वाले पाल पाबला ने डिफैंस लॉयर मंदीप सिंह सचदेव का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने मेरे केस की पैरवी के लिए काफी मेहनत की।
 

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