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*आय से अधिक संपति मामले में नामजद जीएसटी ऑफिसर को गिरफ्तार नहीं कर पाई विजिलेंस, फरार आरोपी राहत की मांग लेकर पहुंचा सैशन कोर्ट, पढि़ए किस अफसर को सताया इंटैरोगेशन का डर*

By RAJESH KAPIL, EDITOR IN CHIEF

Published on 08 Jun, 2023 04:37 PM.

 

                जय हिन्द न्यूज/जालंधर


राज्य के बहुकरोड़ीय जीएसटी घोटाले में पहले से ही नामजद और जमानत लेकर ट्रायल फेस कर रहे स्टेट जीएसटी ऑफिसर बलबीर कुमार विरदी को स्टेट विजिलेंस ब्यूरो हाल ही में दर्ज आय से अधिक संपति मामले में भी गिरफ्तार नहीं करने में असफल रही है।

 

 

सूत्रों के मुताबिक फरार टैक्सेशन ऑफिसर विरदी की हिरासती पूछताछ के लिए विजिलेंस लगातार संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है लेकिन ब्यूरो को सफलता हाथ नहीं लगी है। उधर, पता चला है कि फरार आरोपी विरदी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए डिस्ट्रिक्ट एंड सैशन कोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की है। करीबियों के मुताबिक आरोपी विरदी को विजिलेंस ब्यूरो की कस्टोडियल इंटैरोगेशन (हिरासती पूछताछ) का डर सता रहा है।

 

 

 

विभागीय सूत्रों की माने तो ब्यूरो ने आरोपी विरदी से यह राज  उगलवाने हैं कि उसने आय से अधिक जितनी भी संपति अर्जित की है, वो उसने रिश्वत की रकम किन लोगों से किस रूप में हासिल की। संभवत: विजिलेंस ब्यूरो को हिरासती पूछताछ में इन सवालों के जबाव चाहिए कि जो रकम या फिर लाभ जिन व्यापारियों से हासिल किया, उनको व्यापार में किस प्रकार का लाभ दिलाया ? उनको कितनी टैक्स की चोरी करवाई ? कौन से असैस्मैंट केसों के फैसले उनके हक में किए जिससे उनको आर्थिक लाभ हुआ?

 

 

 

कानूनविदों की माने तो अब चूंकि फरार आरोपी विरदी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए जो अग्रिम अर्जी कोर्ट में दायर की है। इसकी सुनवाई के दौरान विजिलेंस ब्यूरो की तरफ से ऐसे ही तर्क देकर जमानत अर्जी का विरोध किया जा सकता है। इन्हीं दलीलों को बल पर अर्जी को खारिज करने की दलीलें पेश की जा सकती है। बहरहाल, भ्रष्टाचार के इस मामले में यह ताजा अपडेट सामने आया है। जमानत अर्जी पर सुनवाई 12 जून को होगी जिसके बाद केस की अगली तस्वीर सामने आएगी।

 

 

गौरतलब है कि विजिलेंस ब्यूरो ने साल 2021 के दौरान जीएसटी घोटाले को लेकर केस दर्ज किए थे। मोहाली विजिलेंस थाना में पहला केस घोटाले का दर्ज करने के बाद टैक्स चोरों को संरक्षण देने के आरोप में बी.के. विरदी समेत कई टैक्सेशन अफसरों के खिलाफ करप्शन केस दर्ज किया था। उस समय विरदी को काफी देर फरार रहने के बाद हाईकोर्ट से संदेहालाभी ग्रांउड पर जमानत मिल गई थी और जेल नहीं जाना पड़ा था। हालांकि अन्य अफसरों को विजिलेंस ने हिरासत में लेकर पूरा ग्रिल किया था। इन केसों के आधार पर जारी जांच के दौरान ब्यूरो ने सभी अफसरों की संपतियों की जांच भी की और विरदी को आय से अधिक संपति अर्जित करने का दोषी पाते हुए करीब माह पूर्व जालंधर विजिलेंस थाना में नई एफआईआर दर्ज की थी। केस दर्ज होने के बाद से विजिलेंस विरदी को गिरफ्तार करने के प्रयास कर रही थी लेकिन वो हत्थे नहीं चढ़ा था।

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