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*जालंधर से बरामद 118 पासपोर्ट मामले में नया अपडेट, सिटी पुलिस ने अब विवादित इमीग्रेशन एजैंट रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया को "शैल्टर" देने वाले को भी लपेटा, पीड़ित भी आए सामने, पढ़िए कहां तक पहुंची मामले की जांच*

By RAJESH KAPIL, EDITOR IN CHIEF

Published on 07 Jun, 2023 06:19 PM.

 

                      जय हिन्द न्यूज/जालंधर


पंजाब होम सैक्रेटरिएट के आदेशों और निर्देशों का उल्लंघन करके राज्य में अवैध ढंग से ट्रैवल कारोबार करने के आरोप में जालंधर सिटी पुलिस द्वारा नामजद विवादित इमीग्रेशन एजैंट रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया की मुश्किलें बढ़ती जा रही है।

 

 

 

ताजा जानकारी मिली है कि सिटी पुलिस ने आरोपी विवादित इमीग्रेशन एजैंट रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया की डिस्कलोजर स्टेटमैंट के बाद वर्ल्ड वाइड सर्विसिज (WWS) नामक रजिस्टर्ड ट्रैवल फर्म के संचालक मनिंदरपाल सिंह को भी थाना 5 में 05.05.2023 को आईपीसी की धारा 406, 420, 465, 467, 468, 471 और 120-बी समेत पंजाब ट्रैवल प्रोफैशनल्ज (रैगुलेशन) एक्ट 2014 की धारा 13 के तहत केस में नामजद कर लिया है। हालांकि सिटी पुलिस की ओर से इस बाबत कोई ब्यान सामने नहीं आया है।

 

सुविज्ञ सूत्रों से जानकारी मिली है कि नामजद किए आरोपी मनिंदरपाल सिंह ने भी माननीय सैशन कोर्ट के समक्ष अग्रिम जमानत अर्जी दायर की है जिसकी सुनवाई 12 जून को आरोपी रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया की अर्जी के साथ ही होगी। इससे पहले कार चालक रूबल नामक युवक जिसको 118 पासपोर्ट्स बरामद होने पर नाका से ही गिरफ्तार कर लिया गया था, को हाल ही में सैशन कोर्ट की ओर से रैगुलर जमानत मिलने पर जेल से रिहा कर दिया गया था। मगर अब रूबल और रश्मि के बाद मनिंदरजीत सिंह का नाम केस में शामिल होने पर मामला काफी रोचक बन गया है।

 

 

 

 


बता दे कि लोकसभा उपचुनाव के दौरान थाना 5 में दर्ज क्रिमिनल केस में मनिंदरपाल सिंह की बतौर आरोपी यह तीसरी नामजदगी है। इससे पहले आरोपी रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया माननीय सैशन कोर्ट से अरेस्ट स्टे का लाभ मिलने पुलिस जांच में शामिल हुई थी और खुद को वर्ल्ड वाइड सर्विसिज (WWS) जो कि जालंधर की एक रजिस्टर्ड ट्रैवल फर्म है, की पार्टनर/डायरैक्टर बताकर खुद को पंजाब की एक लीगल इमीग्रेशन ट्रैवल एजैंट साबित करने की कोशिश की।

 

सूत्र बताते हैं कि मामले की जांच कर रही सिटी पुलिस ने जब जिला प्रशासन से वल्र्ड वाइड सर्विसिज का रिकार्ड मंगवाया तो लाइसैंस मनिंदरजीत सिंह के नाम पर निकला और पड़ताल में पाया कि लाइसैंस पर सिर्फ मनिंदरजीत सिंह ही काम कर सकता था और किसी अन्य के उस लाइसैंस के आधार पर काम करने के लिए पावर ऑफ अटार्नी, रजिस्टर्ड पार्टनरशिप फर्म कंपनी एंड आपरेशन अधिकार जैसे अलग प्रावधान है जिसमें पुलिस जांच भी अति आवश्यक है।

 

जानकार बताते हैं कि अब चूंकि आरोपी रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया के खिलाफ दर्जन भर क्रिमीनल केस दर्ज हैं और वो केस चंडीगढ़, पंजाब समेत कई अदालतों में विचाराधीन भी है, तो ऐसे में रश्मि को पंजाब के होम सैक्रेटरिएट की गाइडलाइन्स के मुताबिक ट्रैवल कारोबार करने की इजाजत नहीं मिल सकती थी, इसलिए रजिस्टर्ड ट्रेवल फर्म वल्र्ड वाइड सर्विसिज के संचालक मनिंदर जीत सिंह ने उस जांच प्रक्रिया को अपनाने की बजाय अपने ही स्तर पर उसको अपने लाइसैंस पर ट्रेवल कारोबार करने का लाइसैंस दे रखा था।

 

पुलिस सूत्रों के मुताबिक जैसे ही यह तथ्य जांच में सामने आया तो सिटी पुलिस ने इसी आधार पर रजिस्टर्ड ट्रेवल फर्म वर्ल्ड वाइड सर्विसिज के लाइसैंस धारक मनिंदरजीत सिंह को आरोपी रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया को लाइसैंस फर्म के कारोबार में अवैध रूप से संरक्षण देने के आरोप में नामजद कर लिया। बताया जा रहा है कि नामजद करने के बाद पुलिस ने मनिंदरजीत सिंह को अरेस्ट करने के लिए उसके संभावित ठिकानों पर भी रेड की है जिसके बाद गिरफ्तारी से घबराए मनिंदरजीत सिंह ने भी कोर्ट में जमानत अर्जी दायर की है।

 

सूत्रों की माने तो इमीग्रेशन स्कैम की जांच में जुटी सिटी पुलिस के सामने अभी तक की जांच में यह लिंक स्थापित हुआ है कि आरोपी महिला रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया जो पहले चंडीगढ़ में वल्र्ड वाइड सर्विसिज फर्म के नाम से ट्रैवल कारोबार करती थी, के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज होने के बाद चंडीगढ़ पुलिस ने उसकी फर्म पर ट्रैवल कारोबार करने पाबंदी लगा दी थी।

 

 

 

 

जैसा कि सूत्र बताते हैं कि इसके बाद रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया ने उत्तर भारत के कई राज्यों में अपना धंधा चमकाया लेकिन वहां भी अपनी करतूतों के कारण अड्डा बदलना पड़ा था। करीब पांच साल पहले इसने मोहाली के पैट्रोल पंप संचालक मोंगिया साहिब के बेटे को अपने प्यार के जाल में फांसकर शादी कर ली और उनकी संपति पर भी ट्रैवल फर्म खोलकर ठगी का कारोबार करना शुरु कर दिया था। अब वहां भी शिकायतें और पुलिस जांच का सिलसिला बढ़ा तो शरीफ बंदे मोगिंया साहिब ने दफ्तर बंद करवा दिया गया। गृह क्लेश हुआ, केस दर्ज हुए और वहां से भी इसका बिस्तर गोल हो गया।

 


बताते हैं कि फिर यह जालंधर के एक तेजतर्रार इमीग्रेशन एजैंट के संपर्क में आई जिसने इसको इमीग्रेशन लाइन के एक टैक्नीकल असिस्टैंट से मिलवाया। जी हां, वो कोई और नहीं बल्कि यही मनिंदरजीत सिंह था, जिसके नाम पर जालंधर में कोरोना लॉकडाउन के दौरान ही 30.06.2020 को उसी फर्म के नाम से लाइसैंस रजिस्टर्ड करवाया गया, जिस वल्र्ड वाइड सर्विसिज पर चंडीगढ़ पुलिस ने बैन लगाया था।

 

 


अब चूंकि मनिंदरजीत सिंह को इस लाइन का "इल्लो-कुक्कड़" नहीं पता था इसलिए जानकार बताते हैं कि वो दफ्तर में साइड चेयर पर बैठता था और मेन चेयर पर बैठकर ठगी का सारा खेल यही रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया करती थी। वही चेहरा और वही ट्रैवल फर्म WWS का नाम लेकर आरोपी रश्मि फिर से सोशल मीडिया पर लौटी और अपनी ठगी के जाल में फांसने के लिए हर देश के वीजा को लेकर खुला प्रचार करती आ रही थी। पुलिस को शिकायत होती तो डील मनिंदरजीत सिंह करता और लाइसैंस दिखाने पर एक्शन नहीं होता था।

 

 

 


बताया जाता है कि इस दौरान भी आरोपी रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया के ठगी के धंधे के खिलाफ सिटी पुलिस के खिलाफ शिकायतें आती रही लेकिन नई बारादरी पुलिस के प्रभारी अनिल कुमार थापर ने कोई एक्शन नहीं लिया। हालांकि ठगी के शिकार एक आवेदक कमलजीत सिंह ने स्टैंड लेकर आरोपी रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया के खिलाफ शिकायत भी दी और केस दर्ज करने की मांग भी की थी लेकिन उसको थाना पुलिस ने ऐसा खराब किया कि वो समय खराब होता देख मजबूर वश होकर राजीनामा ही कर गया।

 


सूत्रों का दावा है कि इनका ठगी का तरीका भी कुछ ऐसा था कि किसी भी देश का वीजा दिलाने का झांसा देकर 2.5 लाख से लेकर 5-7-10 लाख रुपए तक जितने में कोई फंस जाए, का पैकेज पकड़ो। छह महीने तक उस आवेदक को दस्तावेज पूरे करने, एक्सपीयरैंस सर्टीफिकेट बनवाने, फंड शो करने के एवज में उलझाकर रखो और करीब 6 महीने बाद उसको संभवत: एक फेक रिजैक्शन लैटर दिखाकर पल्ला झाड़ लेते। अब वो शोर मचाता तो स्टाफ की लड़कियों से छेड़छाड़ का आरोप लगाकर भगा देते या फिर उसको दोबारा अप्लाई करने का झांसा देते।

 

बताते हैं कि इतने में एक साल बीत जाता और आवेदक आक्रोशित होकर जब कानूनी लड़ाई का रूख अपनाता तो यह शातिर लोग पुलिस के सामने अपनी फीस व अन्य खर्च काटकर बाकी करीबन 60 से 75 प्रतिशत रकम लौटा देते ताकि पुलिस रिकार्ड में कुछ भी न आए और अवैध ढंग से वसूली रकम जांच का हिस्सा न बने क्योंकि वीजा सलाहकार को सिर्फ सलाह फीस लेने का अधिकार प्राप्त है। वो किसी आवेदक से सलाह फीस के अलावा कोई रकम प्राप्त नहीं कर सकता और न ही उसकी फाइल को प्रौसैस करवाने का अधिकार रखता है। हालांकि बीते समय के दौरान बस स्टैंड के सामने इंडो-केनेडियन के दफ्तर के पास स्थित ठगी के अड्डे पर किसान भी धरने दे चुके हैं। और काफी आवेदक जमकर हंगामा भी कर चुके हैं।

 

अब जैसा कि रिकार्ड गवाह है कि काफी मामलों में आरोपी रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया ने वसूली रकम आवेदक को लौटाकर राजी नामे भी किए है, उससे साफ है कि जो लोग स्टैंड ले गए उनको पूरी रकम वापिस मिली। मगर बताते हैं कि काफी मामलों में आवेदक अपनी रकम वापिस मांगने नहीं आए क्योंकि उनको फोन पर जान से मरवाने और नुक्सान पहुंचाने की धमकियां भी दी जाती रही है। जैसा कि सूत्र बता चुके हैं कि गिरफ्तार होकर चंडीगढ़ जेल में रही थी तो इसकी जान-पहचान कुछ गैंगस्टरों के साथ भी हो गई थी लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हुई थी कि यह उनका इस्तेमाल अपने कारोबार में करती रही है या नहीं। 

 

बहरहाल, अब यह देखना भी शेष होगा कि ट्रैवल ट्रेड में पाबंदीशुदा महिला रश्मि सिंह/नेगी/मोगिंया जो किसी किसी रजिस्टर्ड ट्रैवल एजैंट के साथ मिलकर भी कारोबार नहीं कर सकती। सीबीआई, यूपी, चंडीगढ़, हरियाणा, मोहाली समेत अन्य कई थानों में नामजद और विभिन्न अदालतों में विचाराधीन है। फिरोजपुर पुलिस की स्पैशल इन्वैस्टीगेशन टीम इस महिला को एक अवैध ट्रैवल एजैंट का टैग दे चुकी है। कैसे उत्तर भारत में बिना लाइसैंस धड़ल्ले से ट्रैवल कारोबार करके भोले-भाले लोगों को लूटने में लगी थी।

 

माना जा रहा है कि अब यह सारा दारोमदार सिटी पुलिस पर है और इसके साथ ही सिटी पुलिस चीफ कुलदीप चाहल की साख भी दाव पर है कि उसकी टीम किस प्रकार आरोपी पक्ष को पहले कदम पर जमानत का लाभ नहीं लेने देती और कानूनी पटखनी देती है। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक सिटी पुलिस आरोपी पक्ष का सारा कच्चा-चिट्ठा जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही सैशन कोर्ट के समक्ष पेश कर चुकी है। पुलिस ने काफी आवेदकों के बयान भी लिखे हैं और एक विस्तार रिपोर्ट भी तैयार की है जिसमें यह स्थापित किया जा रहा है कि उसका ट्रैवल कारोबार कानून की किस दृष्टि से अवैध है।

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