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*दास्तां ए जालंधर- हुक्का बार, स्पा सैंटर, लाटरीबाज और सट्टेबाज नेताओं को देकर इलैक्शन फंड, धड़ल्लें से चला रहे अवैध कारोबार और पुलिस का नाम लेने पर बोल रहे साड्डे एैन्नु ठंड, पढि़ए*

By RAJESH KAPIL, EDITOR IN CHIEF

Published on 27 Apr, 2023 05:56 PM.

       

              जय हिन्द न्यूज/जालंधर


गुलदस्तों से स्वागत और माइक पर वाहवाही का शोर सिटी पुलिस के कानों तक अवैध धंधेबाजों के खिलाफ उठने वाली आवाजों को इन दिनों दबा रहा है। लोकसभा उपचुनाव के दौर में जालंधर में चुनाव आचार संहिता लागू है। ऐसे में राजनेताओं को चुनाव प्रचार करना है और उसके लिए उनको फंड भी चाहिए लेकिन वो किसी अवैध धंधेबाजों से फंड लेते हैं तो यह मामला चुनाव आयोग के संज्ञान योग्य बनता है।

 

 


चुनावी दौर में अति सुविज्ञ सूत्रों ने खुलासा किया है कि चुनावी दौर में अवैध धंधेबाज इस समय पूरी तरह से सक्रिय है क्योंकि सरकारी अमला व्यस्त है और इसका लाभ सीधे तौर पर राजनेता भी ले रहे हैं। उनकी माने तो अवैध धंधेबाज इस समय शहर में खुलकर काम कर रहे हैं और अप्रत्यक्ष लाभ राजनेताओं को पहुंचा रहे हैं ताकि उनके चुनाव खर्च में किसी भी प्रकार से कमी न रहे। लाभ में बिना लाइसेंस शराब पिलाना भी शामिल है जो एक रेस्तरां को सबसे बड़ा लाभ है।

 

 

 


सूत्रों के अनुसार सिटी में धड़ल्ले से पाबंदीशुदा हुक्का के दर्जनों बार, होटल व ब्यूटी सैंटरों की आड़ में मसाज पार्लर संचालित किए जा रहे हैं जिसमें देह-व्यापार भी करवाया जा रहा है। ऐसी गुप्त सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं कि संचालक 50 हजार रुपए हफ्ते के हिसाब से पार्टी फंड दे रहे हैं तथा साथ ही पार्टी को समर्थन देने वाले युवाओं को हुक्का बार में कश के मजे दिलाए जा रहे हैं, वहीं स्पा सैंटरों से 1 लाख रुपए हफ्ता और समर्थकों को मौज मस्ती भी करवाई जा रही है।

 

 

 


इसी तरह बात करें लाटरीबाज व सट्टेबाजों की तो यह गैंग भी चुनाव में काफी सक्रिय बताए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक सिटी के 8 ग्रुपों ने अपने-अपने स्तर पर करीब 5 करोड़ रुपए एक राजनीतिक दल को दो नंबर में इलैक्शन फंड दिया है ताकि चुनाव प्रचार में किसी भी प्रकार की कमी न रहे। ज्ञात हुआ है कि आठों ग्रुपों को आश्वस्त किया गया है कि उन  पर अगले 9 महीने कोई संकट नहीं आएगा।

 

 

 


सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पहले से ही सभी को मैसेज लगाए दिए गए थे कि चुनाव के लिए फंड भेजा जाए और सभी को यह मैसेज रूटीन में पुलिस वर्दी न पहनने वाले पुलिस स्टाफ के जरिए भेजे गए थे। दावा है कि नैगोशिएसन करके लगभग सभी ने अपनी ओर से जो तिल-फुल बनते थे, वो आका लोगों को भेज दिए थे। मगर एक मसाज सैंटर ने देने से इंकार कर दिया था। अत: उसको चाबी लगवा दी गई।

 

 

 


बहरहाल, शहर में धड़ल्ले से यह उपरोक्त विस्तारित अवैध कारोबार चल रहे हैं। सुरक्षा के नाम पर पुलिस खुद को चुनावी ड्यूटी में व्यस्त होने का हवाला देकर कार्रवाई नहीं कर रही है। ओल्ड मिलाप चौक, अर्बन अस्टेट, पीपीआर क्षेत्र और शहर के नाइट क्लबों समेत कई छोटे-छोटे रेस्तरां में हुक्का परोसा जा रहा है। ब्यूटी स्पा के नाम पर देह-व्यापार का अड्डे चलाए जा रहे हैं और लाटरी-सट्टा कारोबार यौवन पर हैं।

 

 

 


अब देखना शेष होगा कि शहर में मच रहे इस शोर को लेकर पुलिस की चुप्पी के बाद चुनाव आयोग अपने स्तर पर इस सूचना को कैसे वैरीफाई करवाता है। इसकी वैरीफिकेशन इसलिए भी जरूरी क्योंकि इन अपुष्ट सूचनाओं को पुष्ट या स्पष्ट करने की जिम्मेदारी सरकारी जांच एजैंसियों की बनती है। ऐसे में देखा जाए कि यदि यह सही है तो यह लोकतंत्र पर सीधे तौर पर चोट के समान है।

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