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*नगर निगम जालंधर में लीज प्रापर्टी स्कैम: किराएदारों व काबिजों को लाभ पहुंचाकर नेताओं-अफसरों ने लपेटे करोड़ों रुपए, हंसराज स्टेडियम की दुकानों के मामले से सुलगा स्कैम, विजिलैंस ब्यूरो ने फील्ड स्टाफ से मांगा इनपुट, पढि़ए सरकारी जमीनों से कैसे हुए कईयों के वारे-न्यारे*

By RAJESH KAPIL, EDITOR

Published on 14 Mar, 2023 11:57 AM.

            जय हिन्द न्यूज/जालंधर


रायजादा हंसराज स्टेडियम की दुकानों के मामले ने नगर निगम में हुए लीज प्रापर्टी स्कैम की पोल खोल दी है। निगम कमिश्नर अभिजीत कपिलश ने पूर्व नैशनल प्लेयर एवं डिस्ट्रिक्ट बैडमिंटन एसोसिएशन के सैक्रेटरी युवा पत्रकार रितिन खन्ना की शिकायत के बाद नगर निगम की सारी लीज प्रापर्टीज के रिकार्ड की स्टेट्स रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

 

 

पता चला है कि कमिश्नर कपिलश ने ज्वाइंट कमिश्नर को रिकार्ड मुताबिक नगर निगम की लीज पर दी संपत्तियां की विस्तृत रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर दाखिल करने को कहा है। बताते हैं कि उच्च स्तरीय संज्ञान के बाद नगर निगम की संबंधित शाखा में खलबली मच गई है क्योंकि निगम के कई अफसर लीज प्रापर्टी को लेकर बड़े पैमाने पर खेल करके काबिज किराएदारों को लाभ पहुंचाकर पहले एकमुश्त तो अब हर महीने अपनी रॉयलटी वसूल कर रहे हैं।

 

 

 

उधर, पता चला है कि युवा पत्रकार की ओर से सरकारी संपति को लेकर अनैतिकता का मुद्दा उठाए जाने के बाद स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के आफिस में भी हलचल मच गई है क्योंकि यह मामला प्रत्यक्ष तौर पर भ्रष्टाचार का संकेत देता है।

 

 

 

सूत्र बताते हैं कि संबंधित मामले का शोर सुनकर ब्यूरो आफिस का स्टाफ भी इनपुट जुटाने में लग गया है। अब क्योंकि ऐसी सूरत में ब्यूरो की ओर से रिकार्ड किसी भी समय तलब किया जा सकता है। संभवत: इसीलिए नगर निगम कमिश्नर ने समय रहते संबंधित शाखा के रिकार्ड को तलब कर लिया है।


 

 

कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस प्रकार की एंटी करप्शन मूवमैंट स्टेट में विजिलैंस ब्यूरो की चल रही है। किसी भी लेवल के व्यक्ति का लिहाज नहीं किया जा रहा है। नगर निगम चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में राज्य सरकार करप्शन के खिलाफ कोई भी कदम उठाने में देर नहीं लगा रही हैं, तो ऐसे में किसी भी समय विजिलेंस लीज प्रापर्टी स्कैम की जांच के लिए नगर निगम में अपनी दस्तक दे सकती है। अब देखना शेष होगा कि इस मामले में कार्रवाई कब होती है। बहरहाल, लीज प्रापर्टी से जुड़ी अनियमितताओं का मामला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। 

 

 

99 प्रतिशत प्राइम लैंड हैं लीज पर दी संपतियां
नगर निगम रिकार्ड के मुताबिक लीज पर दी गई 99 प्रतिशत सरकारी प्रापर्टी काफी प्राइम लोकेशन पर हैं जहां बिजनेस करके काबिज व्यक्ति करोड़ों रुपयों का कारोबर कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ नगर निगम को उस प्रापर्टी के इस्तेमाल के बदले किराया नाममात्र दिया जा रहा है। सूत्रों की माने तो 50 प्रतिशत लीज प्रापर्टी के मालिक मर  चुके हैं या फिर लीज ही समाप्त हो चुकी है लेकिन उक्त प्रापर्टी का इस्तेमाल उनके वारिस खुद या फिर वो उसको आगे किराए पर देकर उस संपति का दुरुपयोग कर रहे हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि नगर निगम के मठाधीश अफसर जो घूम-फिरकर एक ही कुर्सी पर सालों पर काबिज बैठे हैं, वो इन सभी मामलों को अपनी जेबें गर्म करके ठंडे बस्ते में डालकर बैठे हुए हैं। सूत्रों के माध्यम से पता यह भी चला है कि उन भ्रष्ट अफसरों ने इन लीज वाली सरकारी प्रापर्टीज वाले प्रत्येक फाइल पर कार्रवाई को किसी न किसी रुप से कानूनी उलझन में दिखाकर लंबित दिखाया हुआ है। सूत्र यह भी बताते हैं कि कानूनी उलझन दिखाने के लिए लगभग सभी फाइलों पर कोर्ट केस लिखा हुआ है लेकिन स्टेआर्डर किसी भी संपति को लेकर जारी नहीं है। कारण बताया गया है कि उक्त सभी केस गैरपक्षीय लोगों ने किए हुए हैं जिनका अलाटी से कोई सीधा रिश्ता भी नहीं है। वहीं, कुछ लीज वाली प्रापर्टी की फाइलों को उच्च अदालतों में केस करवाकर उलझाया हुआ है जबकि एक्शन पर कोई रोक नहीं है कि उनको खाली करवाया जाए या फिर उनका किराया बढ़ाया जाए। हंसराज स्टेडियम के अलावा शास्त्री मार्किट की दुकानें, टैक्सी स्टैंड, पैट्रोल पंप, मिल्क बार इत्यादि प्रमुख है। सूत्र बताते हैं कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान एक नगर निगम कमिश्नर के साथ एक बेहद शातिर नेतागिरि के शौकीन अफसर ने सैटिंग करके लगभग सारी लीज वाली जमीनों को काबिजों को अलाट करने का मास्टर प्लान बनाया था लेकिन वो प्रयास विफल रहा था। बताते हैं कि उक्त मास्टर प्लान 25 करोड़ रुपए के नजराने का बनाया गया था जिसमें मंत्री-मेयर-विधायक-पार्षदों और संबंधित अफसरों तक की हिस्सेदारी रखी गई थी लेकिन वो सिरे नहीं चढ़ा था।

 

 

क्या है दुकानों का ताजा मामला, पढि़ए
डिस्ट्रिक्टि बैडमिंटन एसोसिएशन के सचिव एवं पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी युवा पत्रकार रितिन खन्ना ने निगम कमिश्नर अभिजीत कपलिश को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि रायजादा हंसराज बैडमिंटन स्टेडियम की 8 दुकानों को साल 1996 में 6 साल के लिए 8 लोगों को लाइसेंस डीड के तहत दिया गया था। लाइसेंस डीड की अवधि 2002 में ही खत्म हो चुकी है। साल 1996 में नगर निगम और डीबीए में समझौता हुआ था कि इन दुकानों से जो भी किराया आएगा उसका 35 प्रतिशत निगम के खजाने में जमा होगा और 65 प्रतिशत हिस्से को डीबीए खेल के विकास पर खर्च करेगी। इसके अलावा यह भी तय हुआ था कि अगर साल 2002 (6 वर्ष पूरे होने पर) के बाद भी कोई किरायेदार किसी समझौते या अन्य किसी आधार पर दुकान नहीं छोड़ता है तो किराया हर माह 10 प्रतिशत बढ़ जाएगा, लेकिन ऐसा 2023 तक संभव नहीं हो पाया और इतने सालों से ये कब्जाधारक नगर निगम और डीबीए को कथित रूप से चूना लगा रहे हैं। इस कारण नगर निगम और डीबीए को लाखों रुपए का नुकसान हुआ। सबसे अहम बात यह कि ये दुकानें शहर के पॉश एरिया में हैं और इनके आसपास मशहूर एमबीडी मॉल व रेडिसन होटल स्थित हैं। इस एरिया में कॉमॢशयल इमारत को अगर किसी ने किराए पर लेना हो तो उसे अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ती है लेकिन हंसराज स्टेडियम की दुकानें नहीं छोडऩे वाले दुकानदार मात्र 8 हजार रुपए औसतन किराये पर दुकानों पर जमे हुए हैं। 20 साल से किराया बढ़ा भी नहीं है। यही नहीं 8 में से पांच दुकानें तो कथित रूप से सबलेट भी हो चुकी हैं। दूसरी बात इन दुकानों में अधिकतर कारों के सेल परचेज का काम होता है और रोड पर ही इनकी व इनके ग्राहकों की कारें अव्यवस्थित ढंग से खड़ी होती हैं जिससे रोड तो ब्लॉक रहता ही है वहीं राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। 

 

 

 

घोटाले में एसोसिएशन के पूर्व कर्मचारी की मिलीभगत
बताया है कि जिन 8 लोगों को 1996 में दुकानें मिली थीं उन्होंने 2002 में लाइसेंस डीड खत्म होने के बावजूद जहां बिना बढ़ा हुआ किराया अदा किए दुकानों पर कब्जा जमाए रखा हुआ है वहीं इनमें से पांच लोग ऐसे हैं जिन्होंने खुद की बजाय किसी दूसरे शख्स को आगे करके उसको कथित रूप से दुकान पर कब्जा करवा दिया। यानि कि लाइसेंस डीड में जो नाम था उसके स्थान पर किसी अन्य नाम से दुकान पर कब्जा करके किराए की पर्ची नए नाम से बिना लाइसेंस डीड के कटवाई जाती रही। इस मामले की शिकायत एसोसिएशन द्वारा जन शिकायत अधिकारी से भी की जा चुकी है और इन पांचों लोगों से जब जन शिकायत अधिकारी ने किरायेनामा व लाइसेंस डीड की कापियां मांगीं तो ये लोग कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए और इन्होंने सिर्फ कटी हुई पॢचयां दिखाई। एसोसिएशन द्वारा की गई प्राथमिक जांच में पता चला कि वर्ष 2003-04 के दौरान पांच दुकानों (दुकान नंबर 3,4,6, 7 और 8) में वास्तविक किराएदार के नाम की जगह कथित तौर पर नए पांच किराएदार आ गए और एसोसिएशन के तत्कालीन प्रशासक के साथ कथित तौर पर मिलकर किराये की पॢचयां बिना किसी लाइसेंस डीड के इन लोगों के नाम से कटनी शुरू हो गईं। जब 2021 में नए मेंबर सचिव रितिन?खन्ना ने लाइसेंस डीड की कापियां निगम दफ्तर से मंगवाई तो इस मामले का खुलासा हुआ। उल्लेखनीय है कि एसोसिएशन के पुराने प्रशासक की करीब 10 साल पहले मृत्यु भी हो चुकी है।

 

 

रितिन खन्ना का आरोप है कि.....
दुकानदारों ने एसोसिएशन के पुराने कर्मचारी के साथ मिलकर कथित तौर पर घोटाला किया है। इनके खिलाफ डिप्टी कमिश्नर, निगम कमिश्नर को शिकायत की जा चुकी है। रिकार्ड खंगाला गया है और पूरे तथ्य निगम कमिश्नर व डीसी के समक्ष प्रस्तुत किए जा चुके हैं।

 

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