जय हिन्द न्यूज/जालंधर
बिना बिल सेल-परचेज का सीधा मतलब इंकम और प्राफिट बेहिसाब और भारी कैश रकम दो नंबर की। कार्ड से जितनी पेमेंट आई, उसके बिल काट दिए। संभवत: कम दाम दिखाकर मेन रोड की महंगी प्रापर्टीज खरीदकर शोरूमों का विस्तार किया और बेहिसाब सेल्जमैन काम पर रखकर बीएमएस फैशन वालों ने बिना टैक्स माल सस्ते में बेचकर मोटा मुनाफा कमाया और पोषण पा बयी पोषण पा करते-करते GST की नज़रों में आ ही गया।
नार्थ हलके के क्षेत्र संतोखपुरा में स्थित इस शोरूम मालिकों को न खरीद का हिसाब, न सेल का रखने पर मुनाफा भी बेहिसाब हुआ क्योंकि जब न पूरे बिल कटे न टैक्स भरा तो इंकम टैक्स भी चोरी हुआ। लेन-देन और जमीनों की खरीदो-फरोख्त में भी झोल होना तय है, प्रमोशन के लिए बड़े कलाकारों को पेमेंट की, कैश पेमेंट से फीमेल मॉडल से मॉडलिंग करवाई जिसका डाटा सोशल मीडिया से कॉपी किया जा चुका था, बिना बिल के प्रचार पर खर्च हुआ तो ऐसे में जब जीएसटी ने टैक्स चोरी करते रंगे हाथ काबू किया तो स्वत: इंकम टैक्स चोरी का भंडाफोड़ भी हो गया जिससे जल्द ही इंकम टैक्स विभाग अपना शिकंजा कसेगा।
वहीं, जीएसटी की रेड के बाद यह खुसर-फुसर भी शुरू हो गई है कि एक छोटी सी रेडीमेड कपड़े की दुकान से इतना बड़ा शोरूम खरीद लेने की क्षमता रखने वाले शोरूम मालिक के पास कम समय में इतना पैसा कहां से और कैसे आया कि उसने बेशकीमती जमीनों की खरीद डाली और इसमें जमकर फाइनैंशियल इरैगुलेशन हुई है तो हवाला मनी के इस्तेमाल की जांच के लिए इनफोर्समैंट डायरैक्टोरेट यानि ई.डी भी इनपुट जुटाएगी कि कहीं किसी बड़े आदमी ने अपना काला धन इस शोरूम के कारोबार में तो नहीं लगाया।
बहरहाल, बीते मंगलवार को जीएसटी जालंधर-2 ने संतोखपुरा क्षेत्र स्थित बीएमएस फैशन पर दबे पैर दबिश देकर मालिक को टैक्स चोरी करते रंगेहाथ काबू कर लिया है। वो ऐसे कि खुद टैक्सेशन अफसरों ने ग्राहक बनकर कपड़ों की खरीद की और बिल न देने पर रेड को अंजाम दे दिया। बड़ा खुलासा यह भी हुआ कि शोरूम में ऑनलाइन भी ब्रिकी चलती पाई गई।
असिस्टेंट कमिश्नर शुभी आंगरा ने बताया कि स्टेट जीएसटी कमिश्नर कमल किशोर यादव के निर्देशानुसार की सख्ती के दौरान इस दुकान को जांच के घेरे में लिया गया जहां गारमेंट्स की बिक्री टोकन स्तर पर की जा रही थी और बिना बिल रोजाना व्यापार करके धड़ल्ले से टैक्स चोरी को अंजाम दिया जा रहा था। जांच में पाया गया कि दुकानदार की वार्षिक टर्नओवर 3 से 4 करोड़ रुपए की है और टैक्स नाममात्र ही दिया जाता है और देनदारी सिर्फ आईटीसी के माध्यम से एडजस्ट हो रही है।
टीम में स्टेट टैक्स अधिकारी शैलेंद्र सिंह, गुरजीत सिंह, मुनीष गोयल के साथ इंद्रबीर सिंह, सिमरनप्रीत सिंह, कावेरी शर्मा ने जांच की। करीब 3 घंटे में लुज पेपर, स्लिप पैड, सेल रिकॉर्ड सहित अन्य दस्तावेज कब्जे में लिए गए। पता चला है कि जांच में काफी सनसनीखेज खुलासे होने वाले है क्योंकि जीएसटी की जांच के बाद इंकम टैक्स की चोरी का आकंलन होना तय है और उस बेहिसाब इंकम को कहां-कहां खपाया गया, फिर उसकी भी जांच होगी।