जय हिन्द न्यूज/जालंधर
सलामी बल्लेबाजी और क्रिकेट कामेंटरी से देश-विदेश के लोगों का दिल जीतने वाले, लाफ्टर शो के जज बनकर प्रसिद्धि हासिल करने वाले और राजनीति में आकर अपना स्टेटस समाज में गिराने वाले नवजोत सिंह सिद्धू का मुंह वीरवार को उतर गया। दरअसल माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 34 साल पुराने रोडरेज मामले में उनको सुनाई गई एक साल की सजा को बहाल कर दिया है।
हालांकि पहले सिंगल बैंच उनको एक हजार के जुर्माने पर राहत दे चुका था और यह मामला अपील में लंबित था। इस फैसले के खिलाफ पीड़ित के परिवार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी जिसके आधार पर डबल बैंच ने अपना फैसला बदलकर उन्हें एक साल की सजा सुनाई है। कानूनविदों की मानेें तो अब उनको सजा काटने के लिए जेल में जाना पड़ेगा। संभवत: यदि जेल जाना पड़ा तो उनको वहां पहले से ही नशे के केस में बंद अपने राजनीतिक दुश्मन पंजाब के पूर्व मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया के साथ रहना होगा।
याद करा दें कि साल 1988 में दोषी नवजोत सिंह सिद्धू ने एक व्यक्ति को सिर में मुक्का मार दिया था, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी। घटना तब घटित हुई थी जब पीड़ित और दो अन्य बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थे, सड़क पर जिप्सी देखकर दोषी सिद्धू से उसे हटाने को कहा। यही से बहसबाजी शुरू हो गई थी। पुलिस का आरोप था कि इस दौरान सिद्धू ने पीड़ित के साथ मारपीट की और मौके से फरार हो गए। पीड़ित को अस्पताल ले जाने पर मृत घोषित कर दिया गया।
उस समय भारतीय टीम के स्टार खिलाड़ी रहे सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने यह सजा सुनाई है। उस समय 25 साल के नौजवान नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस व्यक्ति के मारपीट की थी, वह 65 साल के गुरनाम सिंह से हुआ था। इस मामले में गठित डॉक्टरों के बोर्ड ने मौत का कारण सिर में चोट और कार्डियक कंडीशंस बताया था।
इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू को इस मामले में 2006 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ने तीन साल की सजा दी थी। सिद्धू और एक अन्य को गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी मानते हुए यह सजा मिली थी। उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने तब सिद्धू को मारपीट का दोषी करार देते हुए एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।