जय हिन्द न्यूज/चंडीगढ़।
पंजाब के एडीजीपी आईपीएस गौतम चीमा को माननीय पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट बड़ी राहत देते हुए सीबीआई द्वारा साल 2020 में दर्ज की एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है। ताजा अपडेट यह भी इस फैसले के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने उनको एक अन्य आरोपी आर्यन सिंह समेत केस से डिसचार्ज भी कर दिया है। हालांकि सहआरोपी इमीग्रेशन हसीना रश्मि नेगी समेत अन्य आरोपियों की मुसीबतें अभी बरकरार है।
एडीजीपी गौतम चीमा ने सीनियर एडवोकेट बिपिन घई के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए माननीय हाईकोर्ट को अवगत कराया था कि 2020 में सीबीआई ने उनके खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू की थी। बताया कि शिकायत के अनुसार उन्होंने एक भगोड़े सुमेध गुलाटी को पुलिस हिरासत से जबरन अपने वाहन में बैठाया।
आरोप यह भी कि इसके बाद वह उसे मोहाली के मैक्स अस्पताल लेकर गए जहां एक महिला ने सुमेध गुलाटी से मारपीट की और उससे केस वापस लेने की धमकी भी दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई और सीबीआई ने जांच कर अंतिम रिपोर्ट भी पेश कर दी।
शिकायत के तथ्यों के आधार पर याची ने माननीय हाईकोर्ट को स्पष्ट एवं सबूतों के आधार पर साबित किया कि मैक्स अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि सुमेध गुलाटी और अन्य अपनी कार में वहां गए थे। पुलिस उसे वहां से नहीं लाई थी बल्कि यहां घटना होने के बाद पुलिस गुलाटी को साथ लेकर गई थी। ऐसे में याची पर लगाए गए आरोप निराधार हैं।
याची को इस मामले में फंसाया जा रहा है और वह निर्दोष है। ऐसे में एफआईआर रद्द की जाए। हाईकोर्ट ने याची की दलीलों को मंजूर करते हुए इस मामले में दर्ज एफआईआर व कानूनी कार्रवाई को रद्द करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर पहले माननीय हाईकोर्ट ने उनको जमानत भी दे दी थी जिससे उनको राहत मिलने की संभावना काफी प्रबल हो गई थी।
उधर, इसी विवाद पर आधारित मामलों में नामजद वल्र्ड वाइड इमीग्रेशन चंडीगढ़ की ट्रेवल एजैंट रश्मि नेगी जिनको इमीग्रेशन हसीना के नाम से भी जाना जाता है, समेत सेना अधिकारी अजय चौधरी, वरुण उतरेजा तथा विक्की वर्मा के खिलाफ अभी भी केस स्टैंड कर रहा है।
बहरहाल, ट्रायल कोर्ट ने केस की कार्यवाही को 27.05.2022 के लिए स्थगित कर दिया है। गौरतलब है कि बिल्डर दविंदर गिल, उसकी पत्नी क्रिस्पी खैरा तथा तत्कालीन भगौड़े व्यक्ति मनिंदर सिंह की पत्नी से विवाद के दौरान तत्कालीन आईजी गौतम चीमा के खिलाफ केस दर्ज कर लिए गए थे। हालांकि तब भी गौतम चीमा ने स्पष्ट किया था कि उनके खिलाफ एक पुलिस लॉबी के इशारे पर झूठे केस दर्ज किए जा रहे हैं, जो कि माननीय हाईकोर्ट के ताजा आदेश के बाद साबित भी होता दिखाई दिया है।
अब देखना शेष होगा कि लंबित मामलों में केसों का सामना कर रहे शेष अन्य आरोपियों का क्या होता है। सनद रहे।