जय हिन्द न्यूज/जालंधर
पंजाब के कानून जगत की दो बड़ी घटनाएं इन दिनों खासी चर्चा में है। कुछ दिन पहले एक जज जिंदरपाल सिंह ने एक वॉयस मैसेज के आधार पर खुद को ब्लैकमेल का शिकार बताया तो पुलिस ने तत्काल एफआईआर दर्ज करके केस ट्रेसिंग पर लगाया और कुछ लोगों को चिन्हित कर लिया।
अब सप्ताह भर भी नहीं बीता था कि पंजाब-हरियाणा बार कौंसिल के पूर्व चेयरमैन वृद्ध वकील नवतेज सिंह तूर ने भी खुद को ब्लैकमेलिंग का शिकार हुआ बताकर पुलिस को शिकायत कर दी है कि उनके साथ उनके ही क्लाईंट्स ने ब्लैकमेलिंग करके काफी रकम ऐंठ ली है तथा अब और मांग रहा है।
बहरहाल, सिटी की थाना 6 पुलिस ने इस मामले में गांव तूरां, तहसील फिल्लौर निवासी बलजिंदर सिंह तथा उसके साथी रमन को गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। विगत 8 अप्रैल 2022 को दर्ज मामले में दोनों आरोपियों की त्वरित गिरफ्तारी पर भी पुलिस ने चुप्पी साध रखी है।
दोनों मामलों पर दोबारा गौर करें तो दोनों केसों में पुलिस ने आईपीसी की धारा 384 का इस्तेमाल किया है। पहला मामला जज जिंदरपाल सिंह की जिसमें एक ऐसे वॉयस मैसेज को ब्लैकमेलिंग का आधार बनाया गया है जिसमें संदेश भेजने वाला कुछ रकम की मांग तो कर रहा है लेकिन रकम न देने पर उनको नुक्सान पहुंचाने की बजाय खुद सुसाइड करने की धमकी दे रहा है।
इसी प्रकार दूसरे मामले में पंजाब-हरियाणा बार कौंसिल के पूर्व चेयरमैन वृद्ध वकील नवतेज सिंह तूर भी गांव तूरां के निवासी अपने पांच साल पुराने क्लाइंट बलजिंदर सिंह पर ब्लैकमेलिंग के आरोप लगा रहे हैं। आरोप यह कि शराब पिलाकर नशे में धुत्त करके पत्नी के साथ अश्लील तस्वीरें खींची हैं।
आरोप यह भी कि आरोपी ने धमकाकर पहले 10 हजार रुपए ले गया। फिर यह बोलकर कि पत्नी ने वही तस्वीरें देख ली है और कुछ कर लिया है, अस्पताल में दाखिल है, उसका 1.30 लाख रुपए का बिल ले गया। अब और 5000 रुपए मांग रहा है और पेमेंट लेने रमन नामक युवक को भेजता है।
तत्काल कार्रवाई के नाम पर दर्ज इस मामले में थाना 6 पुलिस ने केस दर्ज किया और आरोपी बलजिंदर सिंह तथा रमन को सीआर.पी.सी की धारा 41-ए के तहत बिना जांच में शामिल किए अरैस्ट करके जेल भेज दिया जिससे पुलिस की इस आनन-फानन कार्रवाई पर सवाल उठने लाजमी है।
कानूनी गलियारों में दोनों मामलों को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही है। अभी तक की जांच में जज वाले मामले में वकील दंपति की भूमिका सामने आई है जिन्होंने जज के फोन न उठाने की सूरत में एक टैक्सी ड्राइवर के फोन पर वॉयस मैसेज भेजा। सवाल उठ रहा है कि ऐसे धमकी तो केवल उस सूरत में दी जाती है, जब कोई अपनी दी हुई रकम वापिस मांग रहा हो?
सवाल यह भी कि 50 की प्रैक्टिस वाले वृद्ध वकील नवतेज सिंह तूर जो कि काफी रूतबे वाले हैं, अगर सच्चे हैं तो काफी पहले ही इस मामले को पुलिस के पास ले जाकर त्वरित कार्रवाई क्यों नहीं करवाई ? सवाल यह भी उठ रहा है कि इन मामलों में प्राथमिक जांच क्यों नहीं की गई है, बिना जांच सीधे एफआईआर क्यों दर्ज की गई है?
उधर, खुसर-फुसर यह भी हो रही है कि कहीं दोनों मामलों का कोई आपसी लिंक तो नहीं है। क्योंकि जिस प्रकार से दोनों मामलों की स्टोरी पुलिस को रिकार्ड करवाई गई है, दोनों में ब्लैकमेलिंग का आरोप शामिल है लेकिन दोनों मामले प्रथम दृष्टि में संदिग्ध लग रहे हैं क्योंकि दोनों मामलों में पैसे की मांग अजीब ढंग से की गई है।
ब्लैकमेलिंग के पहले मामले में जज ने बिना किसी कारण किसी अज्ञात द्वारा पैसे मांगने और पैसे न मिलने पर सुसाइड की धमकी देने पर तत्काल संज्ञान लेकर मामला दर्ज करवाया तो वहीं, बिना अपनी अश्लील तस्वीरें देखे वरिष्ठ वकील नवतेज सिंह तूर ने खुद ब्लैकमेल होने का दावा करके आरोपी को पहले रकम दे दी तो बाद में उसको अब गिरफ्तार करवा दिया।
बहरहाल, सिटी पुलिस के दो थानों की पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है। जज की ओर से दर्ज मामले में टैक्सी ड्राइवर अपने बयान देने आ रहा है, वहीं वकील वाले मामले में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेजने के बाद भी थाना 6 पुलिस ने चुप्पी साध रखी है और मीडिया को जानकारी देने से कन्नी काट रहे हैं।
उधर, सूत्र चिल्ला-चिल्ला कर दावा कर रहे हैं कि दोनों मामलों का आपस में गहरा लिंक है। अपुष्ट सूत्रों की माने तो लुधियाना में किसी ने एक केस को लेकर लेन-देन किया। जगराओं वाले वकील दंपति की भूमिका उसमें रही। फिल्लौर भी लुधियाना से दूर नहीं है। जज जिंदरपाल सिंह भी लुधियाना निवासी में हैं।
अब ऐसे में दोनों मामले संदेह के घेरे में आते हैं जिसका पंजाब-हरियाणा बार कौंसिल ने अभी तक संज्ञान नहीं लिया है। हालांकि माननीय हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार विजिलेंस के हरकत में आने की सूचना प्राप्त हुई है। मगर उनके एक्शन बारे कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है।