जय हिन्द न्यूज़/जालंधर
पंजाब की सियासत और हॉकी के खेल का केंद्र बिंदु जालंधर कैंट विधानसभा हलका से चुनाव टिकट की घोषणा करते-करते भाजपा का फैंसला आज एक बार फिर रुक गया। शिरोमणि अकाली दल बादल छोड़ भाजपा में शामिल हुए सिख नेता सरबजीत मक्कड़ का नाम जो पहले तय माना जा रहा था, वो अब आशंकित हो गया है।
भाजपा सूत्रों की माने तो अब पार्टी हाईकमान ने दोबारा से भाजपा नेता अमित तनेजा के नाम पर विचार शुरू कर दिया है। ऐसा बताया जा रहा है कि पार्टी सिख की बजाय हिन्दू चेहरे को ही हल्के से लांच करने की सोच रही है। कारण के तौर पर कई ANTI फैक्टर जैसे किसान आंदोलन और उनके अपने कैंडिडेट खड़े होने को सम्मुख रखा जा रहा है।
वैसे अंदर की खबर यह भी है कि सरबजीत मक्कड़ का नाम फाइनल होने की भनक लगते ही हाईकमान को वो सब याद करवाया गया है कि जब बादल सरकार के समय मंत्री रहे मनोरंजन कालिया के साथ मक्कड़ ने किस तरह से पिस्तौल दिखाकर अपना काम करने की धमकी देकर व्यवहार किया था। इसके इलावा "गिक्की हत्याकांड" को लेकर मक्कड़ के खिलाफ शहर में हुए आंदोलन को अभी भी लोग भूल नहीं पाएं हैं।
पार्टी सूत्र यह भी बता रहे हैं कि मक्कड़ के वो सब रूप भी शीर्ष नेताओं को दिखाए जा रहे हैं जो उसने बीते समय में भाजपा नेताओं को दिखाकर उनको समाज में दबाया था। शीर्ष नेताओं के समक्ष यह तस्वीर पेश करके यह संकेत दिए गए हैं कि अगर मक्कड़ को टिकट दी जाती है तो पार्टी के अंदर ही अंदर बाकी तीन सीटों पर खामोश बगावत हो सकती है।
सूत्रों की माने तो यह विरोध पंजाब और केंद्र के उस खेमे द्वारा किया जा रहा है जो अमित तनेजा की पार्टी पार्टी सेवाओं को गहराई से जानते हैं और उसकी कद्र करते हैं। वहीं, मनोरंजन कालिया और भंडारी खेमे के लोग अपनी चुप्पी से अपना संकेत हाईकमान को दे चुके हैं। ऐसी सूरत में तय माना जा रहा है कि उनको पार्टी टिकट से किसी भी वक़्त इनकार किया जा सकता है। हालांकि ताज़ा खबर आ रही है कि मक्कड़ को चंडीगढ़ के JW होटल से मायूस चेहरा लेकर बाहर आते देखा गया है।
उधर, दूसरी तरफ अगर बात करें भाजपा युवा चेहरे अमित तनेजा की तो उनकी केंद्रीय नेताओं में काफी YES है। पार्टी के कर्मठ नेता की छवि और सदैव पार्टी और जनता प्रति सक्रियता उनकी टिकट काटने के वक़्त पार्टी को हज़ार बार सोचने पर मजबूर कर रही है। खास बात यह भी कि युवाओं को आगे आने का अवसर देने के दावे पर चुनाव लड़ रही भाजपा के शीर्ष नेताओं के लिए उनके नाम को अनदेखा करना मुश्किल हो रहा है।
वहीं, बात अगर दावेदार चेहरे अमरजीत अमरी की करें तो उनको भी अनदेखा करना पार्टी को नुकसानदायक हो सकता है क्योकि अमरी ने देहात इलाको में पार्टी की मजबूती के लिए काफी काम किया है। एक फैक्टर यहाँ यह भी है कि अमरी परिवार का मक्कड़ परिवार के साथ 36 का आंकड़ा है। ऐसे में यदि मक्कड़ नहीं तो अमरी को भी टिकट से इंकार किया जा सकता हैं। हालांकि अमरी को बेहतर भविष्य का आश्वासन मिलना तय है।
इसी बीच पार्टी इस फैक्टर को विचार करके चल रही है कि मक्कड़ या अमरी में से अगर किसी एक को आगे किया तो दोनों एक दूसरे को काटेंगे जबकि अमित तनेजा इनमें कॉमन है और दोनों को उसके साथ चलने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
अब देखना शेष होगा कि पार्टी इस धर्म संकट से खुद को कैसे निकालती है। मगर खबर यही आ रही है कि अभी पार्टी अमित तनेजा के नाम पर सभी की सहमति बनाने पर ज़ोर दे रही है जिसके लिए संभवतः शीर्ष नेतृत्व का पूरा दबाव भी बना हुआ है क्योकि तनेजा को काफी बड़े नेताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त है जिसका लाभ उनको मिलना तय है।