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वर्करों को लात-घूसे-छित्तर और खास आदमियों को टिकटें देने से दोआबा में गिरने लगा आम आदमी पार्टी का ग्राफ, चिपकाने वाले ही अब फाड़ने लगे, वर्कर ही बन रहे जालंधर सैंट्रल प्रत्याशी रमन अरोड़ा की जीत की राह का रोड़ा, वर्कर और पब्लिक स्पोर्ट न मिलने से राह से भटके मुद्दों तक सिमटे वेस्ट के शीतल, पढ़िए AAP की ग्राउंड रिपोर्ट

By RAJESH KAPIL

Published on 11 Jan, 2022 08:07 PM.

              जय हिन्द न्यूज़/जालंधर

 

आम आदमी के हित की बात करके, आम आदमियों के हाथ सत्ता देने के दावे करके और आम आदमियों को अपने साथ जोड़कर एक बेहतर जनाधार का प्रदर्शन करके जनहित मुद्दों के आधार पर पंजाब की सत्ता हासिल करने के ख्वाब देख रही आम आदमी पार्टी का चुनाव टिकट आबंटन नीति से ही बंटाधार हो गया है।

 

 

 

दोआबा के गढ़ जालंधर में आम आदमी पार्टी की टिकट आबंटन नीति लागू होने के बाद जो कुछ हुआ वो किसी से छिपा नहीं रह पाया है। बरसों से पार्टी की दरिया बिछाते, पोस्टर लगाते और झंडा फहराते चले आ रहे आम जन से नेता बने लोगों को चुनाव टिकट घोषणा के समय विरोध करने पर पैराशूट से पार्टी में उतरे नेताओं के समर्थकों से थप्पड़-लात-घूसे खाने पड़े मगर पार्टी के शीर्ष नेता राघव चड्ढा के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।

 

 

 

 

अंततः परिणाम पुराने जमींनी वर्कर्स ने काम बंद कर दिया है और जो पोस्टर उन्होंने लगाए थे, खुद उनको फाड़ना शुरू कर दिया है। मजे की बात यह कि पार्टी ने पेराशूट से जो उम्मीदवार लांच किए उनका जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है। खासकर हिन्दू बाहुल्य वाले जालंधर सैंट्रल हलके से आप के उम्मीदवार रमन अरोड़ा के खिलाफ जबरदस्त लाबिंग हो गई है। नाराज वर्करों के एरिया में जब ने रमन अरोड़ा वोट मांगने जा रहे हैं तो उनका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि जालंधर सैंट्रल हलके से टिकट के लिए सशक्त दावेदार रहे डा. संजीव शर्मा को राघव चड्ढा व अरविंद केजरीवाल ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। इस हलके में डा. संजीव शर्मा पिछले 10 साल से सक्रिय हैं। उनकी इमेज साफ सुथरी और इमानदार व्यक्ति के रूप में है, जिससे उनके साथ वर्करों के अलावा पढ़े-लिखे और तबके को प्रभावित करने वाले लोग जुड़े हैं। वो बीते काफी सालों से जेब से पैसा लगाकर शहर में पार्टी के वजूद को कायम रखे हुए थे।

 

 

 

 

 

 

 

राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक रमन अरोड़ा के पक्ष में अभी तक बामुश्किल 100 लोग ही दिखाई दे पाए हैं। सेंट्रल हल्का जहां भाजपा के शीर्ष नेता मनोरंजन कालिया का कोने-कोने में प्रभाव है और कांग्रेस के राजिंदर बेरी समेत कई अन्य नेताओं का काफी क्षेत्रों में प्रभाव है, ऐसे में रेलवे कालोनी से लेकर गुरु नानक पुरा, भारत नगर, कमल विहार, सूर्या एंक्लेव, रामामंडी, लडोवाली रोड, सूर्या एन्क्लेव, गोबिंद सिंह एवेन्यू समेत कई इलाकों में रमन अरोड़ा को कोई जानता तक नहीं है।

 

 

 

 

 

अब बात करें जालंधर वेस्ट एरिया की तो वहां AAP के प्रत्याशी शीतल अंगुराल को एक भी पार्टी वर्कर्स से सप्पोर्ट नहीं मिल रही है। कारण यह कि भाजपा में रहे अंगुराल हमेशा AAP वर्कर्स से खार बनाकर चलते आ रहे थे। अब उसी नेता को अपना प्रत्याशी देख कर पार्टी वर्कर पार्टी से किनारा करके बैठ गए हैं। नेताओं ने तो पहले ही विरोध का बिगुल बजा रखा है। ऐसे में शीतल अंगुराल जनता का ध्यान खिंचने के लिए बेमतलब मुद्दे पर बोलने में लगे है जिसका जनता पर कोई खास असर होता दिखाई नहीं दे रहा।

 

 

 

 

 

बहरहाल, जालंधर नार्थ का विश्लेषण आना बाकी है क्योंकि यहां हाल ही में कांग्रेस नेता दिनेश ढल्ल ने कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से विधायक अवतार सिंह जूनियर को जरूरत से ज्यादा तरजीह देने पर आप को जॉइन किया है। देखना शेष होगा कि ढल्ल जोकि पहले भी AAP में आकर वापिस कांग्रेस में लौट गए थे, हल्के में अपने पक्ष की हवा बनाने में सफल होते हैं या फिर जो उनके खिलाफ शुरू हुई हवा से अपने ही पार्टी वर्कर्स के विरोध का शिकार हो जाते हैं। 

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