जय हिन्द न्यूज़/जालंधर
साल 2011 में हुए बहुचर्चित "गिक्की हत्याकांड" के दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए 2 आरोपियों होटल रीजेंट पार्क के मालिक जसदीप सिंह जस्सू और नरूला फेमिली के अमरप्रीत सिंह नरूला को केस में लगी IPC की धारा 34 को हटाकर आरोपमुक्त करार दे दिया।
करीब 10 साल उच्चतम कोर्ट से आए इस फैंसले में जहाँ दोषी ठहराए जा चुके और सजा भुगत चुके राम सिमरन मक्कड़ की अपील खारिज करके सजा को बहाल रखा गया, वहीं मृतक के पिता राजबीर सिंह शेखों की सजा 302 के तहत सुनाए जाने की अपील भी ठुकरा दी गई है।
माननीय उच्चतम कोर्ट के बेंच ने फैंसले में पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट के अपील पर सुनाए फैंसले पर टिप्पणी करते हुए माना कि यह सुनियोजित हत्या नहीं थी इसलिए हाइकोर्ट को देखना चाहिए था कि IPC की धारा 34 इस केस पर लागू नहीं होती। मगर अपराध के समय एकाएक आरोपी अमरदीप सिंह सन्नी और राम सिमरन सिंह मक्कड़ की गैर इरादा मंशा स्पष्ट जाहिर हुई इसलिए दोनों को सजा सही दी गई है।
खास बात यह भी की अपील के फैंसले में मृतक के पिता चशमदीद गवाह होटल शेखों ग्रैंड के मालिक राजबीर सिंह शेखों की ओर से पुलिस को बताई "Dying Declaration" को भी अपुष्ट करार दिया है जिसमें मरने से पहले हत्या की साजिश का जिक्र बताया गया था। माननीय उच्चतम कोर्ट ने इसके लिए डॉक्टर की उस गवाही को आधार बनाया जिसमें यह बताया गया था कि ऐसी सूरत में मौत 3-4 मिन्ट में हो जाती है।
बता दें कि 21.04.2011 की रात मॉडल टाउन स्थित बाबा रसोई के बाहर होटल शेखों ग्रैंड के मालिक के बेटे गुरकीरत सिंह गिक्की की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जिसमें 4 दोषियों अकाली पार्षद राम सिमरन सिंह मक्कड़, एडवोकेट अमरदीप सिंह सन्नी सचदेवा, होटल रीजेंट पार्क के मालिक जसदीप सिंह जस्सू और नरूला फेमिली के अमरप्रीत सिंह नरूला को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिला व सत्र न्यायाधीश एसके गर्ग की अदालत ने दोषियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था अदालत ने इस केस में लगाई गई धारा 302 को हटाकर केवल धारा 304 (1) के तहत सजा सुनाई।
मामला यह था कि 21 अप्रैल 2011 की रात करीब 12.45 बजे गुरकीरत सिंह उर्फ गिक्की पुत्र राहत सिंह कार से घर लौट रहा था। केस जालंधर में चल रहा था लेकिन मृतक के परिजनो ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में केस को किसी अन्य जिले में ट्रांसफर करवाने की गुहार लगाई थी।
सुनवाई के बाद अदालत ने केस गुरदासपुर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में भेज दिया गया। तब से केस की सुनवाई गुरदासपुर में हो रही थी और आरोपियों को भी गुरदासपुर जेल में ही रखा गया था। मामले में युवक के परिवार की ओर से 14 गवाह अदालत में पेश किए गए थे। आरोपी पक्ष ने अपने पक्ष में 24 गवाहियां करवाईं।
वहीं मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गुरदासपुर सैशन कोर्ट द्वारा 3 अगस्त 2015 को सुनाई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखने के आदेश दिए थे।