जय हिन्द न्यूज/जालंधर
जिला लुधियाना में बिजनेस करने वाले जालंधर निवासी राजन गुप्ता की किराए पर ली कोठी हड़पने की नीयत से पहले यौन शोषण फिर मारपीट के झूठे आरोप लगाकर ब्लैकमेलिंग केस का ट्रायल फेस कर रही 36 वर्षीय आरोपी महिला योगिनी अनुप्रिया को अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से भी निराशा ही हाथ लगी है।
माननीय हाईकोर्ट ने योगिनी अनुप्रिया की ओर से योगपैथी फर्म के पार्टनर के तौर पर दायर की रिलीफ पटीशन को जैसे ही खारिज करने का फैसला सुनाया, निचली अदालतों में कोठी खाली कराने को लेकर चल रही कार्यवाही का रास्ता हो गया। ताज़ा फैंसले की कोठी मालिक के वकील मनदीप सिंह सचदेव ने पुष्टि की है।
दरअसल, जी.टी.बी नगर जालंधर निवासी राजन गुप्ता की ओर से दायर सिविल रिवीजन रैंट पटीशन का निपटारा करते हुए निचली अदालत ने किराया न देेने की सूरत में साल 2019 के दौरान कोठी खाली करने का फैसला सुनाया था जबकि सुनवाई के दौरान अनुप्रिया ने खुद को कोठी की मालिकन होने का दावा पेश किया था।
निचली अदालत के फैसले को अनुप्रिया ने जालंधर की सैशन कोर्ट में चुनौती दी जहां उसको 2019 से लेकर अब तक 85 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से किराया जमा कराने का आदेश भी दिया था। इस फैसले के खिलाफ उसने हाईकोर्ट में किराया कम करने को लेकर पटीशन दायर की थी।
पटीशन में योगिनी अनुप्रिया ने सैशन कोर्ट की ओर से तय की गई किराए की राशि को 85 हजार से कम करके 10 हजार रुपए किए जाने की मांग की थी। हालांकि केस रिकार्ड के मुताबिक किरायानामा 50 हजार रुपए प्रतिमाह पहले से ही तय था और 10 प्रतिशत प्रति वर्ष की बढ़ौतरी तय थी।
बहरहाल, अब उच्च अदालत से एक और कानूनी पटखनी मिलने के बाद योगिनी अनुप्रिया के पास अब किराया अदा करने या कोठी खाली करने जाने के अलावा उच्चतम अदालत में जाने का विकल्प शेष बचा है। अब चूंकि किराए की राशि 25 लाख रुपए से ज्यादा की बनी हुई और बिजली का बिल भी 1,70,270 रुपए बना हुआ है, ऐसी सूरत में उसके हालात किसी चुनौती से कम नहीं दिख रहे हैं। देखना शेष होगा कि अब उच्च अदालत के फैसले से मायूस हुई योगिनी क्या रूख लेती है।
गौरतलब है कि स्थानीय विशेष अदालत राजन गुप्ता की ऑलीशान कोठी पर कब्जा जमाए बैठी योगा फैमिली को कोठी खाली करने का आदेश जारी किया था। अदालत ने डिक्री आर्डर करते हुए योगाचार्य राम किशन वधवा, रजनी वधवा और इनकी बेटी अनुप्रिया वधवा को कोठी खाली करने को कहा था। कोठी में योगपैथी के नाम से योगा सैंटर का संचालन करने वाले परिवार के तीनों मैंबरों के खिलाफ राहत पाने वाले राजन गुप्ता ने अपने वकील मंदीप सिंह सचदेव के माध्यम से केस दायर किया था।
फ्लैशबैक यह है कि कोठी पर कब्जा जमाए बैठी योगिनी अनुप्रिया का राजन गुप्ता की फैमिली से हुए विवाद के चलते चैक केसों का सिलसिला शुरू हुआ था। इसी बीच अनुप्रिया ने राजन के खिलाफ रेप की शिकायत दायर की जिसे जालंधर सिटी पुलिस ने झूठ का पुलिंदा करार देकर बिना एक्शन बंद कर दिया। इस आधार पर राजन गुप्ता ने अनुप्रिया के खिलाफ अदालत में ब्लैकमेलिंग की क्रिमिनल कंपलेट दायर कर दी थी जिसमें योगिनी अनुप्रिया के खिलाफ अब ट्रायल चल रहा है। इसी प्रकार झूठी शिकायतें देने पर अनुप्रिया और उसके पिता राम किशन के खिलाफ आईपीसी की धारा 182 की प्रोसीडिंग भी जारी है।
यह भी जानिए, क्या कहते है कोठी के मालिक
फ्रेंड्स कालोनी नजदीक वडाला चौक, जालंधर स्थित कोठी के मालिक राजन गुप्ता का कहना है कि उनके मुताबिक अनुप्रिया ने 2013 से लेकर 2019 तक का किराया भी अदा नहीं किया है। बिजली का बिल नहीं अदा कर रही है। निचली अदालत से एग्जीक्यूशन याचिका के आधार पर दो बार वैल्फ कोठी खाली करवाने के लिए जा चुका है। वैल्फ ने पुलिस सहायता की मांग की है जबकि हमारी ओर से भी कब्जा लेने के समय के लिए पुलिस सहायता दिए जाने की मांग की गई है।