जय हिन्द न्यूज/जालंधर
विदेश भेजने का झांसा देकर ठगने के एक मामले में पहले जांच और फिर पुर्नजांच की रिपोर्ट से जालंधर सिटी पुलिस का भ्रष्ट चेहरा उजागर हुआ है। मामला भी ऐसा कि भ्रष्ट पुलिस अफसरों ने केस में जो "पहले खून नजर आ रहा था, उसको मनमाने ढंग से दोबारा की जांच में पानी साबित करके" मल्टीपल ठगी मामलों में नामजद आरोपी महिला ट्रेवल एजैंट को क्लीनचिट दे दी।
हैरत यह भी कि अंडर ट्रायल केस की कोर्ट से सीआर.पी.सी. की धारा 173(8) की अनुमति लिए बिना "साईं फड" के पुर्नजांच को अंजाम दे दिया गया और पुर्नजांच रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्रीय अदालत में क्लीनचिट पेश करके आरोपी महिला को जमानत का लाभ दिलाने का प्रयास किया गया लेकिन कोर्ट ने दलील को ठुकराते हुए मामला ट्रायल कोर्ट को रैफर कर दिया। सिटी पुलिस की इस करामात का पता लगते ही पीड़ित पक्ष हरकत में आ गया है। पीड़ित गुलशन राए ने सिटी पुलिस की इस भूमिका पर सवाल दागने की तैयारी कर ली है।
पढ़िए क्यों दर्ज हुआ था मामला
जिला जालंधर के गांव पतारां निवासी गुलशन राय ने अपने पुत्र को विदेश भेजने के लिए जालंधर की ट्रेवल फर्म वीजा डैसटनी इमीग्रेशन सर्विसिज के पार्टनर गुरप्रीत सिंह चौहान तथा फिरोजपुर निवासी रिचा को 5 लाख 90 हजार रुपए दिए थे लेकिन इनसे वीजा नहीं लगा।
पीड़ित गुलशन राय ने अपनी रकम वापिस मांगी तो दोनों ने देने से इंकार कर दिया। शिकायत दायर हुई तो महिला ट्रैवल एजैंट रिचा ने शामिल पड़ताल होकर गलती स्वीकार करते हुए चैक जारी कर दिए जो चार लाख रुपए रिटर्न हो गए लेकिन बकाया रकम के चैक डिसआनर हो गए जिसके लिए सीधे तौर पर वो दोषी हो गई।
पुलिस ने पीड़ित की गुहार पर केस रिओपन किया और दोनों को स्पष्ट शब्दों में दोषी मानते हुए 16.04.2017 को आईपीसी की धारा 406, 420, 120-बी तथा पंजाब ट्रेवल प्रोफैशनल एक्ट 2014 की धारा 13 के तहत नामजद कर लिया। जमानतों का खेल चला जिसके बाद 2019 में नियम मुताबिक अकेले आरोपी गुरप्रीत सिंह चौहान के खिलाफ चालान पेश कर दिया गया।
पढ़िए, सिटी पुलिस का भ्रष्ट खेल
चूंकि शिकायत से लेकर जमानतों के खेल तक सिटी पुलिस की नजर में ठगी की आरोपी महिला पार्टनर रिचा स्पष्ट दोषी बनी रही लेकिन अचानक सिटी पुलिस की सत्ता पलट होने के बाद भ्रष्ट पुलिस अधिकारी ने कानून की किताब को छिक्के टांग कर अपनी पुलिसिंग को लागू करके आरोपी महिला को क्लीनचिट दे दी। हैरान करने वाली बात यह कि इस पूरे खेल में पीड़ित को एक बार भी शामिल नहीं किया गया जिसको पहले ठगी करके, फिर बाऊंस होने वाले चैक देकर मानसिक प्रताड़ना दी गई। भ्रष्ट अफसर ने उस महिला को डायरैक्ट एवीडैंस होने के बावजूद केस से ऐसे बाहर निकाल फैंका जैसे मक्खन में से बाल। अब देखना शेष होगा कि पीड़ित सिटी पुलिस के इस भ्रष्ट खेल के खिलाफ किस स्तर तक अपनी आवाज बुलंद करके आरोपी महिला को फिर से कानूनी शिकंजे में लेने में कामयाब होता है।क्रमश: