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कांग्रेसी नेता मलविंदर लक्की को कानूनी झटका, कोर्ट ने नहीं दी अंतरिम राहत, कहीं हो न जाए “न खुदा मिला न विसाल-ए-सनम”

By RAJESH KAPIL

Published on 30 Apr, 2021 05:12 PM.

                     जय हिन्द न्यूज/जालंधर

 

 

लग्जरी कारों के विक्रेता और उन्हीं कारों की स्पीड के मुताबिक हर काम में रुख अपनाने की छवि के मालिक कांग्रेसी नेता मलविंदर सिंह लक्की को एक बार फिर कानूनी झटका लगा है।

 

 

 

 

 

अब उन्हीं कारों की स्पीड के हिसाब से उड़ती-उड़ती खबर आई है कि खुद ही दायर किए एक सिविल केस में स्थानीय सिविल कोर्ट ने उनको  फिलहाल स्टे देने से इंकार कर दिया है।

 

 

 

 

 

दरअसल, मामला वही बद्गीदास कालोनी वाली रिहायशी प्रापर्टी का है जिसको लक्की ने "ओए लक्की, लक्की ओए" वाली चुक्क में आकर कारों के भव्य शोरूम में तबदील कर लिया है।

 

 

 

 

 

और अब चर्चा है कि इसको बड़ा करने के लिए साथ वाले हुंडई शोरूम वाले को संदेश भेजा जा रहा है कि हांजी, बोलो किदा करनी? जबकि दूसरी तरफ खबर है कि नगर निगम उनकी इमारत पर काल बनकर टूटने की तैयारी कर रहा है।

 

 

 

 

 

कारण यह कि शनिदेव की साढ़ेसत्ती बने फिरते आरटीआई एक्टिविस्ट सिमरनजीत सिंह की पहले आरटीआई, फिर शिकायत पर चुप रहने वाला निगम अब अपनी कुर्सी बचाने की खातिर बिल्डिंग पर कार्रवाई करने जा रहा है।

 

 

 

 

सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि पहले राजनीतिक कारणों के चलते चुप कर जाने वाला नगर निगम अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सिमरन जीत की ओर से दायर रिट पटीशन के रिप्लाई में "एक्शन टेकन रिपोर्ट" देने के लिए अपनी डिच मशीनों का तेल-पानी चैक कर रहा है।

 

 

 

 

 

अब चूंकि लक्की को पहले "इक्क दा लक्ख" बनाकर देने वाली यह इमारत अब "ताश के पत्तों से बना महल" दिखने लगी तो साम-दाम-दंड की नीति में बुरी तरह विफल रहने पर अब उसने अपना आखिरी "भेद" की नीति वाला पैंतरा अपनाया है। हालांकि "भेद की नीति" के पहले पड़ाव पर ही लक्की को निराशा का मुंह देखना पड़ा है।

 

 

 

 

 

बता दे कि कांग्रेस नेता मलविंदर सिंह लक्की जो पहले ही इस अवैध निर्मित इमारत के कारण अपनी सरकारी डायरैक्टरशिप से अप्रत्यक्ष तौर पर हाथ धो चुके है। अब यदा-कदा करके अपनी इस अवैध इमारत और उसके साथ अपनी शेष बची राजनीतिक इज्जत की रक्षा करने के लिए कानूनी पैंतरे अपना रहे हैं।

 

 

 

 

 

पता चला है कि लक्की ने जो केस नगर निगम के खिलाफ दायर किया है, उसमें पंजाब सरकार, नगर निगम के अलावा कमिश्नर करणेश शर्मा, ज्वाइंट कमिश्नर तथा परमपाल सिंह को प्रतिवादी बनाया है। दायर सिविल केस के साथ लक्की ने स्टे एप्लीकेशन भी लगाई जिस पर कोर्ट ने बिना सुनवाई स्टे देने से इंकार कर दिया है।

 

 

 

बहरहाल, इस अवैध इमारत के कारण निगम अफसरों के साथ उलझने के आरोपों के चलते खुद पर पुलिस केस भी दर्ज करवा चुके कांग्रेसी नेता मलविंदर सिंह लक्की की खुद की पोजीशन "फीयट - अंबैसडर" जैसी हो गई है जिसको अपग्रेड करने में वो पूरा जोर लगा रहे हैं।

 

 

 

 

 

मगर डर यह भी है कि हालत ऐसी कहीं ऐसी न बन जाए कि "न खुदा मिला न विसाल-ए-सनम"

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