जय हिन्द न्यूज/जालंधर
माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पुलिस कार्यप्रणाली में सुधार को लेकर कुछ भी आदेश जारी कर ले मगर संभवत: जालंधर पुलिस ने उसे न मानकर उसे डस्टबिन में फैंका हुआ आदेश ही साबित करना है।
ठीक इसी तरह राज्य के डीजीपी दिनकर गुप्ता भले जनता को त्वरित न्याय का दावा करते हैं लेकिन उनके अधीनस्थ पॉलीटिकल पुलिस ऑफिसर्ज एक तो उनकी "मट्टी पलीद" करवाने में और उनको एक नंबर का झूठा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
दरअसल, मामला उजागर किया जा रहा है गोल्ड किट्टी स्कैम की जांच का। जी हां, वही बहुकरोड़ीय घोटाला जिसमें गरीब एवं मध्यम वर्गीय लोगों की खून पसीने की कमाई डूब गई है और पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए धड़ाधड़ एफआईआर के आदेश जारी कर रहे हैं।
मगर अफसोस उनके अधीनस्थ पॉलीटिकल पुलिस ऑफिसर्ज इस कदर आरोपियों से मैनेज हुए बैठे है कि नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी में अड़िंगा डाले बैठे है जबकि उनको पता भी है कि अब ऐसा करना पुलिस के लिए भी कानूनन जुर्म है।
पॉलीटिकल पुलिस ऑफिसर्ज की एक काली करतूत सामने आई है कि थाना 3 पुलिस ने गोल्ड किट्टी स्कैम के किंगपिन फरार आरोपी आदित्य सेठी, उसकी पत्नी वंदना सेठी व माता मीना सेठी पर केस दर्ज करने के बाद उसे एक पुर्नजांच की पड़ताल की आड़ लेकर केस फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
सीनियर लेवल की करतूत भी यह कि एफआईआर के बाद दोबारा जांच करते समय न तो जरा सा खौफ माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का किया और न जरा सी शर्म कि डीजीपी ने ऐसा न करने बाबत एक शपथ पत्र माननीय हाईकोर्ट में दिया हुआ है।
अब पॉलीटिकल पुलिस थाना-3 की करतूत भी पढ़िए कि केस दर्ज हुए 2 महीने हो चुके है लेकिन अभी तक नामजद आरोपियों को गिरफ्तारी से पहले तत्काल जारी होने वाले सीआर.पी.सी. की धारा 41-ए के नोटिस तक तामील नहीं हुए हैं।
हालांकि माननीय हाईकोर्ट ने ताजा फैसले में डीजीपी को आदेश दिया था कि एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी की गिरफ्तारी के रास्ते में कोई पुलिस अफसर न तो खुद रूकावट बन सकता है तथा न ही खुद गिरफ्तारी रोकने के आदेश प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से जारी कर सकता है।
बकौल, शिकायतकर्ता पंचम वधवा। थाना-3 में जाकर एफआईआर के बाद की कार्रवाई बारे पूछते हैं, तो बोलते हैं कि एडीसीपी हरविंदर सिंह डल्ली मामले की दोबारा जांच कर रहे हैं। एडीसीपी श्री डल्ली से जाकर पूछते हैं, तो वो बोलते हैं कि वो दोबारा जांच वाली अर्जी को बंद कर चुके हैं। अब किसकी बात का विश्वास करें क्योंकि खुद थाने का SHO अप्रत्यक्ष रूप से बोल रहा है कि मेरे एडीसीपी साहिब झूठ बोल रहे हैं।
अब यहां सवाल यह उठता है कि यदि कोई दोबारा जांच नहीं चल रही और हाईकोर्ट के आदेश मुताबिक कोई दोबारा जांच हो भी नहीं सकती तो थाना-3 पुलिस ने किस कारणवश आरोपियों की गिरफ्तारी की दिशा में अपनी कार्रवाई को रोक रखा है। मगर इस थाने की बानगी देखिए केस दर्ज, आरोपी घरों पर मजे से बैठे और ठगा हुआ पीड़ित इंसाफ पाने के इंतजार में है।
यहां उसकी ओर से यह सवाल उठना लाजमी है कि गुप्ता साहिब क्या यह आपका जस्टिस डिलीवरी सिस्टम है? भुल्लर साहिब, क्या आपके राज में पीड़ित इंसाफ की ठौकरें खाएंगे और ठग मौज करेंगे?
बहरहाल, पीड़ित पक्ष इंसाफ के लिए पुलिस वालों की चौखट रगड़ने को मजबूर हो रहा है और हैरत की बात यह कि ऐसे पीड़ितों की संख्या सैंकड़ों में है जिससे आमजन की नजर में डीजीपी दिनकर गुप्ता की छवि धूमिल हो रही है।
पीड़ित पक्ष का मानना है कि ऐसा करके पुलिस ऑफिसर्ज ने माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के ताजा आदेश का उल्लंघन किया है। अत: वो सिटी पुलिस कमिश्नर, एडीसीपी हरविंदर सिंह डल्ली व थाना-3 के एसएचओ के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने जा रहे है।
पढ़िए क्या बोले एडीसीपी-कम-एसआईटी चीफ
एफआईआर के बाद आरोपी मीना सेठी के पति सुरेश सेठी ने मामले की दोबारा जांच की अर्जी पेश की थी जिसमें कुछ भी ठोस नहीं था। अत: उस अर्जी को बिना कार्रवाई दाखिल दफ्तर कर दिया गया था। केस फाइल मेरे दफ्तर में मौजूद नहीं है तथा न ही मैनें थाना-3 से मंगवाई थी। मैनें आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक का कोई आदेश नहीं दिया तथा न ही थाना -3 के इस मामले के जांच अधिकारी को एफआईआर दर्ज होने के बाद की कार्रवाई करने से रोका। यदि उसने अपनी डयूटी नहीं निभाई तो वह उसका जबावदेह होगा।
-हरविंदर सिंह डल्ली, एडीसीपी कम चीफ ऑफ
एसआईटी फॉर गोल्ड किट्टी स्कैम
पढ़िए क्या बोले थाना 3 प्रभारी
एफआईआर के बाद केस फाइल सब-इंस्पैक्टर कुलदीप सिंह को मार्क की गई थी। मेरी जानकारी के मुताबिक केस फाइल एडीसीपी हरविंदर सिंह डल्ली के आफिस में मंगवाई गई थी। ऐसा हो सकता है कि उनको इस बात की जानकारी न हो लेकिन केस फाइल थाना में मौजूद नहीं है। यही कारण है कि जांच अधिकारी सब इंस्पैक्टर कुलदीप सिंह ने इस केस बाबत कोई एक्शन नहीं लिया।
-मुकेश कुमार, एसएचओ थाना 3 जालंधर