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*महिला मरीज की कानूनी जंग जीते एडवोकेट कालिया, जोशी अस्पताल के पूर्व डाक्टर को पड़े लेने के देने, पढि़ए 2 नामी अस्पतालों में कार्यरत इस लापरवाह डॉक्टर को कितनी ठुकी पेनेलटी*

By राजेश कपिल/जालंधर

Published on 26 Feb, 2021 04:08 PM.

 जय हिन्द न्यूज/जालंधर

चिकित्सा सेवा में कोताही बरतना जालंधर के एक डाक्टर को इतना भारी पड़ा है कि अब उसको लेने के देने पड़ गए हैं। जिला उपभोक्ता फोरम ने एक महिला मरीज के पुत्र की शिकायत का निपटारा करते हुए शहर के जोशी अस्पताल के पूर्व डाक्टर गुरजीत सिंह सलूजा को इलाज में अनदेखी का दोषी ठहराते हुए इलाज खर्च की रकम 7.5 लाख रुपए लौटाने का आदेश दिया है।

 

 

 

 

 

 

मजे की बात यह भी कि सुनवाई के दौरान अपने खिलाफ खुद गवाही देने पर दोषी करार दिए डाक्टर गुरजीत सिंह सलूजा को फोरम ने यह आदेश भी दिया है कि वह शिकायतकर्ता को 30 हजार रुपए की अदायगी हर्जाने के तौर पर करे, मानसिक परेशानी देने के एवज में 5000 रुपए अदा करे तथा साथ ही साथ 5000 रुपए फोरम के फ्री लीगल ऐड फंड में भी जमा करवाए।

 

 

 

 

 

 

 

दोषी करार दिए डाक्टर गुरजीत सिंह सलूजा के खिलाफ 46 इंदिरा नगर, फगवाड़ा जिला कपूरथला निवासी सुमित जैन पुत्र दीप कुमार ने शिकायत दायर की थी। आरोप के मुताबिक माता स्वर्ण जैन के बीमार होने होने पर 17.11.2016 को कपूरथला चौक जालंधर स्थित जोशी अस्पताल में लाया गया था जहां दोषी करार डाक्टर ने उनको सही से ट्रीट नहीं किया और बिना एडमिट घर भेज दिया।

 

 

 

 

 

 

 

शिकायत में आरोप यह भी कि दोषी करार डाक्टर ने पहले तो बीमारी का सही आकंलन नहीं किया और फिर आपरेशन के बाद भी उनकी माता की नाजुक स्थिति का संज्ञान नहीं लिया। और तो और इलाज के दौरान हमें भी कुछ सही से नहीं बताया कि आखिर बीमारी का कारण क्या है।

 

 

 

 

 

 

 

सुनवाई के दौरान फोरम ने दोषी करार दिए डाक्टर गुरजीत सिंह सलूजा को तलब किया और अपना पक्ष पेश करने का मौका दिया। मजे की बात यह रही कि अपने पेश किए पक्ष में ही डाक्टर ने कुछ ऐसा कहा जिसे फोरम ने पकड़ लिया और उसी गवाही को आरोपी डाक्टर को दोषी साबित करने के लिए काफी मान लिया और यह बड़ा फैसला सुनाया।

 

 

 

बताया जा रहा है कि दोषी करार डॉक्टर गुरजीत सिंह सलूजा इन दिनों अपनी सेवाएं कार्डियोनोवा अस्पताल जालंधर और श्री देवी तालाब मंदिर के चैरिटेबल अस्पताल में दे रहा है। माना जा रहा है कि इस फैंसले का दोनों अस्पतालों के प्रबंधन पर भी विपरीत असर पड़ सकता है। दोनों अस्पताल प्रबंधन फोरम के इस फैंसले के आधार पर दोषी करार डॉक्टर की सेवाओं को लेकर पुन:र्विचार भी कर सकते हैं।

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