अपराध साबित होने से पहले आरोपी की पहचान उजागर करना, उसको कोर्ट से पहले ही दोषी करार देकर उसको समाज में बदनाम करना मानव अधिकारों का उल्लंघन है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में इसी मुद्दे पर लुधियाना के पुलिस कमिश्नर को फटकार भी लगाई। मगर अब ठीक ऐसा ही एक मामला जालंधर में भी पनप रहा है जिसमें अभी तक के हालातों से स्पष्ट लग रहा है कि यहां के रतन अस्पताल के डाक्टर बलराज गुप्ता को एक साजिश के तहत आनन-फानन में एफआईआर करवाकर ब्लैकमेल किया जा रहा है और साजिशकर्त्ताओं के दल में शामिल धंधेबाजों की ओर से जबरन किसी डील के लिए न मानने पर जमकर बदनाम भी किया जा रहा है।
यह किसी से भी छिपा नहीं है कि नामजद आरोपी डाक्टर बलराज गुप्ता का बीते समय में विवाद हुआ लेकिन वो गलतफहमी दूर होने पर सेटल होते गए। संभवत: उनके कई विवाद चल भी रहें होंगे लेकिन कानून की किताबों में हर गुनाह के साबित होने पर सजा का प्रावधान है। न कि उससे पहले ही उनको समाज के सामने कुड़ीमार बोलकर कंलकित ठहरा दिया जाए। हां, यदि कानून ने उनको दोषी ठहरा दिया तो उनका सामाजिक बहिष्कार तक किया जाना बनता है।
बहरहाल, विवादों से घिरे रतन अस्पताल के संचालक डाक्टर बलराज गुप्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 42०-, 12०-बी तथा पीएनडीटी एक्ट के तहत दर्ज मामले की 72 घंटे बाद सूत्रों के माध्यम से यह रिपोर्ट सामने आ रही है कि यह सारा मामला डाक्टर को ब्लैकमेल करने और पैसे न देने पर बदनाम करने का है। हालांकि यह दावा ठोस सबूतों और गवाहों के सामने न आने के कारण किया जा रहा है। मीडिया अब उन सबूतों की मांग कर रहा है और रेड से लेकर पुलिस कार्रवाई पर सवाल खड़े करने लगा है तो सभी कन्नी काटने लगे हैं। मीडिया के तीखे सवालों का जवाब नहीं दिया जा रहा।
अब बात करें आरोपी डाक्टर बलराज गुप्ता के फरार होने व उनको गिरफ्तार न किए जाने की तो, कानूनी दृष्टि से न तो डाक्टर को फरार माना जा सकता है और न ही पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा किया जा सकता है कि वो उसे जानबूझ कर गिरफ्तार नहीं कर रही। क्योंकि कानून समझ रखने वाले बेहतर जानते है कि सीआर.पी.सी. की धारा 41 (ए) का स्पैशल कवर देश के प्रत्येक नागरिक के पास है। इसके तहत सात साल की सजा वाले केसों में गिरफ्तारी से पहले नोटिस देने का प्रावधान है। ऐसे में आरोपी डाक्टर बलराज गुप्ता को बिना नोटिस गिरफ्तार करने का सवाल ही पैदा नहीं होता और न ही उनको कानूनन फरार माना जा सकता है। यदि ऐसा किसी की तरफ से बोलकर, लिखकर शोर मचाया जा रहा है, तो खुद आरोपी डाक्टर बलराज गुप्ता का भी तर्क है कि यह सीधे तौर पर माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है और वो अवमानना याचिका दायर करेंगे।
आरोपी डाक्टर बलराज गुप्ता अपनी सफाई में कहते हैं कि भारतीय संविधान के अनुसार पुलिस को भले एफआईआर दर्ज करने का अधिकार है लेकिन जांच में सबूतों व गवाहों की ही भूमिका संदेह के घेरे में आ जाए तो उसको कैंसिल करने का भी अधिकार है। फिलहाल मैं जांच में शामिल होकर पुलिस को सहयोग करने जा रहा हूं। पुलिस ने नोटिस मिलने तक का इंतजार करने को कहा है। गुप्ता ने दावा किया है कि उनको किसी सोची-समझी साजिश का शिकार बनाकर सिर्फ बदनाम किया जा रहा है। पुलिस को सारी घटना का विस्तार सबूतों समेत पेश करेंगे जिससे सारा साजिश का खेल बेनकाब हो जाएगा।
उधर, एसीपी सैंट्रल हरसिमरत सिंह चेत्रा का कहना है कि थाना 4 में दर्ज इस मामले की रिपोर्ट तलब की गई है। अभी तक सिर्फ सिविल सर्जन से शिकायत मिलने पर एफआईआर दर्ज की गई है। फाइल में कोई सबूत या गवाह नहीं जोड़े गए हैं। जांच को निष्पक्ष करने के लिए थाना प्रभारी को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि जांच में शामिल होने के लिए आरोपी डाक्टर बलराज गुप्ता, पूनम नामक महिला सहित हैल्थ विभाग के अधिकारियों व स्टिंग करने वाली टीम को सबूतों सहित तलब किया जाएगा। यदि फाइल पर कोई सबूत नहीं पेश किया गया तो एफआईआर कैंसिल कर दी जाएगी। मगर पूरे मामले में किसी भी अपराध करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा और पूरी जांच की मानीटरिंग की जाएगी।
जवाब मांगते सवाल
1. Any telephonic or personal conversation recording ?
2. Any money received by Dr. Balraj's allegation or any recovery ?
3. Did team (raiding) catch the doctor red handed doing the scanning as they
had come with the decoy patient.If not Why?
4. Any video/audio recording made by team of Doctor Balraj Gupta.
5. All phones of staff members present in the room at the time door was closed,
were snatched. Why team did not make any video despite 5-6 persons of them?
6. What was the total time duration of the patient in the doctor's chamber as per
CCTV. Why the team did not notice the same?
7. The team misbehaved and manhandled the doctor as per allegation.why
video recording was not made?
8. At that time about 22- 25 patients/attendants were sitting in the reception
Why their version was not recorded.
9. All the persons accompanying the team be identified.
10. Team members should have asked about members of staff present at that
time.
11. Was any expert/radiologist called before dealing with the machine. If yes
what is his opinion?
12. Apart from the statement of decoy patient, what evidence is there against
doctor Gupta?
13. Was the claimed pregnant woman asked any questions and whether
statement of her was recorded alone by the 1.0.or at prompting of other team
members ?
14. Was the Panchnama made at the spot?
15. Whether the statements of staff, patients were recorded at the spot?
16. Whether any conversation was overheard between the doctor and the patient
by any decoy team member?
17. Whether the nurse who was present with the doctor in his room was asked