जय हिन्द न्यूज/जालंधर।
एक मामूली कंटिग पर भी चैक रिटर्न कर देने वाले पंजाब एंड सिंध बैंक की एक अजब हरकत इन दिनों सुर्खियों में है। जी हां, वहीं जिमखाना क्लब को कैटरिंग सेवाएं देने वाली कंपनी डी.एन. हॉसपीटैलिटीज के पार्टनर्स का विवाद जिसकी चर्चा पूरे शहर में ही नहीं बैंकिंग सैक्टर में भी हो रही है और अब जिसकी जांच सिटी पुलिस कर रही है।
जानकारी मिली है कि विवादित फर्म के एक पार्टनर मनोज कुमार मधुकर की शिकायत पर जहां पुलिस रिश्ते में सांढू लगते दो पार्टनरों रछपाल सचदेवा और जसविंदर सिंह के खिलाफ जांच करके सच्चाई की तलाश कर रही है, वहीं सूत्रों के हवाले से खबर है कि इस विवाद में पंजाब एंड सिंध बैंक के हाई लेवल पर इस मामले का विभागीय जांच लेने के लिए प्राथमिक संज्ञान लिया जा रहा है जिसकी गोपनीय शाखा से रिपोर्ट तलब की गई है। हालांकि बैंक अधिकारी अभी तक इस विवाद को लेकर मीडिया के सामने चुप्पी साधे हुए हैं।
वहीं, इसी बीच जय हिन्द न्यूज नैटवर्क के सूत्रों के जरिए एक ऐसी पुख्ता सूचना हाथ लगी है जिससे यह मामला और भी पेचीदा और उच्च स्तरीय जांच का बन गया है। सूत्रों ने दावा किया है कि जिस चैक बुक को लेकर विवाद हो रहा है। दरअसल पर उस पर फर्म और प्रोप्राइटर का नाम उस चैक बुक के जारी होने के बाद स्क्रीन प्रिटिंग के जरिए किया गया था। हालांकि जांच में यह साबित होने तक यह अपुष्ट ही माना जाएगा।
जांच का विषय-1
एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी की माने तो उच्च स्तरीय जांच में यह भी सामने आना जरूरी होगा कि यह कांड आरोपी सांढू भाईयों ने खुद किया, किसी बैंक वाले ने करवाकर दिया या फिर यह मामला एक गहरी साजिश से जुड़ा हुआ है क्योंकि यह सभी चैक सप्लायर्स को जारी किए गए हैं जिनके डिसऑनर होने की सूरत में जिम्मेदारी से बचने के लिए यह पैंतरा अपनाया गया।
जांच का विषय-2
एक रिटायर्ड वरिष्ठ बैंक अधिकारी का मानना है कि जांच में इस तथ्य की भी गहन जांच होना जरूरी है कि ऐसे चैक बैंक ने कैसे स्वीकार करके क्लीयर भी किए और क्लीयरिंग हाउस ने ऐसे चैंकों को क्लीयर करने की इजाजत भी किसकी सहमति से दी क्योंकि अमूनन बैंकिंग सैक्टर में ऐसे चैक रिटर्न कर दिए जाते है जिस पर नाम वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर न होकर किसी और के हो। यहां तक कि नाम वाले के हस्ताक्षर असमान होने पर भी बैंक उस चैक पर सिग्नेचर मिसमैच का मीमो जारी करता है।
जांच का विषय-3
एक वरिष्ठ वकील का कहना है कि जांच में इस तथ्य पर भी गौर करना जरूरी होगा कि बैंक के किस साफ्टवेयर में से पार्टनरशिप फर्म को ऐसी प्रोप्राइटर के नाम वाली चैक बुक जारी होकर आई। इसमें बैंक की चैक जारीकरता और उस पर फर्म और पार्टनर/प्रोप्राइटसã के नाम प्रिंट करने वाली शाखा से इस बाबत स्पष्टीकरण लेना भी जरूरी होगा ताकि सारी सच्चाई और अगर कोई जालसाजी की गई हो तो उसका भंड़ाफोड हो पाए।
शिकायतकर्त्ता से सवाल-जवाब
सवाल – क्या आपको बैंक खाता खुलने की जानकारी थी?
जवाब - जी हां
सवाल - क्या आपने बैंक से कभी कोई चैकबुक मांगी थी?
जवाब - कभी नहीं
सवाल - क्या आपको आरोपी पक्ष के रछपाल या जसविंदर ने आपके नाम से प्रिंट (जिस पर आपको कंपनी का प्रोप्राइटर लिखा है), वाली चैक बुक के बारे में कोई जानकारी दी थी?
जवाब - कभी नहीं
सवाल - क्या आपने कभी फर्म की बैंकिंग का काम देखा?
जवाब - नहीं
सवाल - आपको इस चैक बुक के बारे में कैसे पता चला?
जवाब - चैक बांऊस होने पर वैंडर्स ने मांगने पर दिखाए
आरोपी पक्ष के रछपाल से कुछ सवालों के जवाब मांगे गए जिनसे वो लगातार भागते फिर रहे हैं और इन सवालों का जय हिन्द टीम को इंतजार है। वो अपना जवाब लिखित में भी देने को तैयार नहीं हुए। अत: उनके सवालों से भागने के कारण वो प्रथम दृष्टतया दोषी पाए जा रहे हैं क्योंकि अभी तक के क्राइम सीन में यह दिखाई और महसूस हो रहा है कि उन्होंने वैधानिक दृष्टि से गलत चैकों को जारी किया और साजिश के तहत केवल उन्हीं लोगों को किया जिनके चैक बांउस होने की सूरत में कानूनी जिम्मेदारी तय होने से बचा जा सके।