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पंजाब पुलिस को मिली बड़ी सफलता, पाक-समर्थक रैकेट का पर्दाफाश, विदेशी हथियार और ड्रग मनी बरामद

By Rajesh Kapil

Published on 13 Jul, 2020 10:47 PM.

पंजाब पुलिस ने 4 व्यक्तियों की गिरफ्तारी के साथ पाकिस्तान से चलाए जा रहे नशों और गैर-कानूनी हथियारों की तस्करी वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिनमें जम्मू-कश्मीर के सांबा जि़ले में तैनात एक बीएसएफ सिपाही भी शामिल है। सिपाही सुमित कुमार उर्फ ‘नोनी’ से विदेशी हथियार के तौर पर 9 मिलिमीटर की तुर्की की बनी जिगाना पिस्तौल समेत 80 जीवित कारतूस (जिन पर पाकिस्तान ऑर्डीनैंस फैक्ट्री (पीओऐफ) के निशान उकेरे हुए हैं), दो मैगज़ीन और 12 बोर की बंदूक के दो जीवित कारतूस समेत 32.30 लाख रुपए की ड्रग मनी बरामद की गई है।

 

पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता के अनुसार सिपाही सुमित कुमार उर्फ ‘नोनी’, गाँव मगर मुडिय़ां थाना दोरांगला, जि़ला गुरदासपुर समेत तीन अन्य सिमरजीत सिंह उर्फ ‘सिम्मा’, मनप्रीत सिंह और अमनप्रीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिनके विरुद्ध आइपीसी की धारा 302, 506, 341, 120 बी, 212 और 216, 25 आर्मस एक्ट के अधीन थाना करतारपुर जि़ला जालंधर में मामला दर्ज किया गया है। अमनप्रीत सिंह, सिमरनजीत सिंह और सुखवंत सिंह, सभी निवासी गाँव धीरपुर, के खि़लाफ़ पहले ही जगजीत सिंह के कत्ल का केस दर्ज है।

 

अन्य विवरण देते हुए डीजीपी ने बताया कि जालंधर (ग्रामीण) पुलिस ने अमनप्रीत सिंह को 11 जुलाई को जगजीत के कत्ल केस में गिरफ्तार किया था और जांच के दौरान अमनप्रीत ने खुलासा किया कि वह और उसका भाई पाकिस्तान के एक तस्कर शाह मूसा के साथ भारत-पाक सरहद से हथियार और नशा-तस्करी के लिए संपर्क में थे।

 

अमनप्रीत ने खुलासा किया कि वह मनप्रीत सिंह और जम्मू कश्मीर की सरहद पर तैनात बीएसएफ के एक सिपाही के द्वारा शाह मूसा के साथ संपर्क में आए थे। उसने कहा कि सिपाही सुमित कुमार इससे पहले एक कत्ल केस की सुनवाई के दौरान गुरदासपुर जेल में बंद था, जहाँ वह मनप्रीत सिंह पुत्र गुरबचन सिंह निवासी गाँव दारापुर थाना भैनी मियां खां जि़ला गुरदासपुर के संपर्क में आया था।

 

श्री गुप्ता ने बताया कि सीमा पार से नशों और हथियारों की तस्करी करने की साजिश गुरदासपुर जेल में रची गई थी। मनप्रीत ने आगे अमनप्रीत, सिमरनजीत और सुखवंत को सिपाही सुमित कुमार से अवगत करवाया था। इन खुलासों के बाद जालंधर ग्रामीण पुलिस ने सिमरजीत और मनप्रीत को 12 जुलाई को गिरफ्तार किया था, जबकि डीजीपी पंजाब ने शनिवार (11 जुलाई) को डीजी बीएसएफ के पास निजी तौर पर यह मामला उठाने के बाद सिपाही सुमित कुमार को बीएसएफ के तालमेल करके गिरफ्तार कर लिया था।

 

डीजीपी ने कहा कि सुमित ने सीमा पार से बार-बार नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी में अपने शामिल होने का खुलासा किया है। पहली बार उसने सरहदी बाड़ के द्वारा 15 पैकेट हैरोइन प्राप्त करने और आगे भेजने में सहायता की थी, जबकि दूसरी बार उसने 25 पैकेट हैरोइन और सरहद पर 9 मिलिमीटर की एक जिग़ाना पिस्तौल भारत-पाक सरहदी बाड़ के द्वारा प्राप्त की, जहाँ उसे तैनात किया गया था। कुछ अंजाने व्यक्तियों को यह हैरोइन देने के बाद उसने पिस्तौल अपने पास रख ली थी।

 

सुमित को नशीले पदार्थों और हथियारों की खेपों की सफलतापूर्वक प्राप्ति और आगे भेजने के तौर पर 39 लाख रुपए मिले थे, जिसमें से पहले 15 लाख रुपए और फिर 24 लाख रुपए की दो किस्तों में उसे यह पैसे मिले थे। डीजीपी पंजाब ने आगे कहा कि अब तक की गई जांच में यह खुलासा हुआ है कि हत्या कांड में ज़मानत मिलने के बाद सिपाही सुमित कुमार को सांबा सैक्टर में एक गार्ड टावर में तैनात किया गया था, जहाँ से वह पाकिस्तान के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सरहद पर निगरानी रखता था और सरहद पार से तस्करी करने वाले मनप्रीत सिंह और सुखवंत सिंह के संपर्क में रहता था और आगे से यह दोनों पाकिस्तान के शाह मूसा के साथ संपर्क रखता था।

 

मोड्यूल के काम करने का विवरण देते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि नशे की खेपें और हथियारों की फोटो पाकिस्तान से प्राप्त होने के बाद मनप्रीत सिंह और सुखवंत सिंह अपने मोबाइल फ़ोन से सिपाही सुमित कुमार को भेजते थे। दूसरी और सुमित इधर से सरहदी कँटीली तार की तस्वीरें, उस स्थान का स्क्रीन-शॉट, सरहदी पिल्लर के नंबर और इलाके के आस-पास के गाँवों का विवरण सरहद पार करने वाले तस्करों / सहयोगियों को भेजता था, जो बदले में पाकिस्तानी तस्कर के साथ डिलीवरी के लिए तालमेल स्थापित करते थे।

 

डीजीपी ने कहा कि बाद में खेप की सुपुर्दगी के लिए पूर्व-निर्धारित तारीख़ और समय पर पाकिस्तानी तस्करों द्वारा अपना आदमी आम तौर पर दोपहर को स्थान की टोह लेने और सुमित कुमार से संपर्क स्थापित करने के लिए भेजा जाता था। उन्होंने कहा कि फिर उसी रात ही पाकिस्तानी तस्कर सिपाही सुमित कुमार की शिफ्ट ड्यूटी के दौरान पहले से निर्धारित जगह पर आते थे और रौशनी का फ्लैश करने के रूप में सुमित से हरी झंडी मिलने के बाद ड्रग / हथियारों की खेप को सरहद की बाड़ के ऊपर से फेंक देते थे। सुमित बाद में इस खेप को प्राप्त करके आगे देने के लिए नज़दीकी झाडिय़ों में छुपा देता था।

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