पंजाब में अफसरशाही का बाबा आदम निराला होता जा रहा है क्योंकि जो एक बार किसी शहर में अपने पाँव जमा लेता है तो फिर उस शहर की "खसरा-गिरदावरी" अपने नाम लिखवा ही लेता हैं। हालांकि यह कैसे संभव होता है, यह खेल अब सबको समझ आ चुका है अर्थात बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपय्या।
ताज़ा चर्चा में एक बार फिर पुलिस विभाग है जिसके 2 DSP लेवल के अफसरों को एक हफ्ते में ही बाहर ट्रांसफर करके दोबारा वापिस शहर में लगाया गया है। हैरत इसलिए भी कि काबिल अफसरों को दरकिनार करके "भल्ले" जैसे "निखिद" अफसरों को बार-बार ज़िम्मेदारी वाली पोस्ट का प्रभार दिया जा रहा है जिससे शहर का सुधार ही नहीं हो पा रहा है और शहर की समस्या जस की तस है।
पुलिस अफसर खुद भी खुलेआम कहने लगे है कि दोनों ‘जुगाड़’ लगाकर वापिस आए हैं। इन दोनों में पूर्व एसीपी मॉडल टाउन धर्मपाल और एसीपी ट्रैफिक हरबिंदर सिंह भल्ला शामिल हैं जिनका ट्रांसफर हो गया था। धर्मपाल को डीएसपी स्पेशल ब्रांच एंड क्रिमिनल इंटेलिजेंस कपूरथला और हरबिंदर सिंह को एसीपी इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम लुधियाना लगाया गया था।
सूत्रों की माने तो दोनों ही तबादले के बाद एक बिजनेसमैन के सामने पिट-स्यापा कर रहे थे कि उनको अपने रुतबे से वापिस लगवाया जाए लेकिन पोलिटिकली ट्रांसफर होने के कारण दोनों को एक नेता की शरण लेने के लिए कहा गया जिसके बाद धर्मपाल को भले पुरानी ज़िम्मेदारी नहीं मिली लेकिन भल्ला सीट खाली होने के कारण दुबारा उस पर आ जम गया है।
ठोस जानकारी मिली है कि निखिद अफसर हरबिंदर भल्ला जिसने जालंधर में रहते ट्रैफिक में सुधार के नाम पर एक पत्ता तक नहीं तोड़ा बस महीना ही सेट किया, जुगाड़ लगाकर वापिस लौट आया है। बताया जा रहा है कि इस बार उसने बोली भी ज़रा ऊंची लगा दी है और दरबार में हाज़िरी भी यकीनी बनाने का वादा किया है जिसके बाद जाकर ही गोटी फिट हो पाई है। हालांकि पीपीएस अधिकारी DSP धर्मपाल को एसीपी क्राइम अंगेस्ट वुमेन एंड चिल्ड्रन लगाया गया है। अब देखना शेष होगा कि होम डिपार्टमेंट इस चर्चा पर विराम के लिए इनके तबादले कैंसिल करता है या फिर बदनामी के इस दाग को पहले जैसे चलने देता है।