एक कोर्ट कर्मचारी पर दर्ज मामले को लेकर स्थानीय सेशन कोर्ट से बड़ा फैंसला आया है। कोर्ट ने एक जज के फर्जी हस्ताक्षर करने के मामले में फरार अहलमद जसविंदर सिंह की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।
कोर्ट ने यह कहकर आरोपी को राहत देने से इनकार कर दिया कि आरोपी ने एक साजिश के तहत अदालत से धोखा किया। इस केस में एडवोकेट रेनु अरोड़ा और रोबिन अरोड़ा को भी नामजद है। पुलिस की माने तो वो दोनों आरोपी भी फरार चल रहे हैं।
थाना नई बारादरी के एसएचओ रविंदर कुमार ने कहा कि आरोपी फरार है और उनकी तलाश में रेड की जा रही है। थाना नई बारादरी में 22 मई को अहलमद जसविंदर सिंह, एडवोकेट रेनु अरोड़ा और रोबिन के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, सबूत खुर्द-बुर्द करने और साजिश का केस दर्ज किया है।
क्या है पूरा माजरा, पढ़िए
अली मोहल्ला, जालंधर निवासी दविंदर गुप्ता ने शिकायत में कहा कि उसका रोबिन के साथ चेक बाउंस का केस चल रहा था। इस दौरान रोबिन की गैर-मौजूदगी में रेनु अरोड़ा ने उस के साइन कर अदालत में अर्जी दायर कर दी। गुप्ता ने सेशन जज को शिकायत कर दी थी। गुप्ता की शिकायत पर जांच शुरू की गई तो अहलमद जसविंदर ने माना था कि रेनु ने एप्लीकेशन पर भाई के खुद साइन किए थे और रजिस्टर पर साइन करने की बात कही चली गई थी। मामला तब संगीन हो गया जब केस फाइल से एप्लीकेशन गायब कर दी गई। गुप्ता ने शिकायत की और सेशन जज ने जांच के आदेश दिए। जांच अधिकारी (जज) ने गायब एप्लीकेशन को लेकर अहलमद जसविंदर सिंह को तलब किया। जांच के दौरान गायब एप्लीकेशन पेश की गई।
ऐसे खुला भेद...
शिकायकर्ता गुप्ता ने कहा था कि यह एप्लीकेशन फर्जी है और जज के भी साइन फर्जी किए गए हैं। कोर्ट ने डॉक्यूमेंट को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा तो यह बात सच निकली कि जज के फर्जी साइन किए गए थे। इसके बाद गुप्ता ने पुलिस में अदालत की अनुमति पर शिकायत कर दी।