एक नाबालिग युवक को अपनी नाजायज हिरासत में रखकर मारपीट और उससे झूठे आरोपों की वीडियो बनवाने के आरोपी जालंधर के अंगुराल ब्रदर्स की अग्रिम जमानत अर्जी फिलहाल स्थानीय सेशन कोर्ट ने तकनीकी आधार पर मंजूर नहीं की है बल्कि कोर्ट ने दोनों को जांच में शामिल होने के लिए Interim Bail ग्रांट की है। हालांकि कोर्ट ने बिना आरोप POCSO एक्ट लगाने के अलावा बचाव पक्ष के वकील की कई दलीलों के आधार पर पुलिस की पूरी FIR को ही point out किया है।
कोर्ट ने दोनों को आदेश दिया है कि वह जांच अधिकारी के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करें तथा जांच अधिकारी को भी दोनों को जांच में शामिल करके रिपोर्ट पेेश करने का आदेश दिया है। अग्रिम जमानत अर्जी पर अगली सुनवाई अब 9 जून को होगी और उसी दिन सामने आने वाले ताजा तथ्यों के आधार पर बहस के बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
यहां स्पष्ट कर दें कि ऐसा जरूरी नहीं कि जांच में शामिल होने के लिए प्रदान की गई अंतरिम जमानत के बाद भी आरोपी को रेगुलर जमानत ग्रांट कर दी जाती है। ऐसा कई मामलों में देखने को मिला है कि आरोपी को अंतरिम जमानत दी जाती है। वह जांच में शामिल भी होता है लेकिन उसके बावजूद अदालत तथ्यों के आधार पर उसकी अग्रिम जमानत अर्जी को नामंजूर कर देती है।
उधर, एक वकील ने इस मामले पर आधारित भ्रामक खबरों के प्रसारण का संज्ञान लेने की बात कही है। उसका तर्क है कि विचारधीन मामले को लेकर कोर्ट के फैंसले का गलत प्रचार करना Contempt of court की श्रेणी में आता है जिसको जल्द ही कोर्ट के ध्यानार्थ किया जाएगा।
उक्त वकील का यह भी कहना है कि उनकी ओर से कुछ खबर प्रसारण करने वाले वेब प्लेटफार्म की स्क्रीन रिकॉर्डिंग भी कोर्ट को सुपुर्द की जाएगी।बहरहाल, यह मामला काफी पेचीदा होता दिखाई दे रहा है।