"चोर-उच्चके चौधरी ते गुंडी रण प्रधान" यह कहावत तो सबने सुनी ही होगी। अब इसका नया वर्जन जालंधर की ट्रेवल ट्रेड की संस्था Association of consultants for overseas studies ACOS के रूप में सामने आया है। दरअसल, इस संस्था के प्रधान जसपाल सिंह और चेयरमैन कमल कुमार भुम्बला दोनों ही पेशे से वकील है और दोनों ने कानून की आंखों में धूल झोंककर ट्रेवल ट्रेड का भी लाईसेंस ले रखा है, जो विवादों में आ गया है।
अब मुद्दा यह कि ट्रेवल ट्रेड में ठगी-ठोरी जमकर हो रही है और यह दोनों उनके सरताज बनकर पंजाब से लेकर चंडीगढ़ तक अफसरों के साथ "तालमेल" स्थापित करने का काम भी कर रहे हैं जबकि यह खुद दोनों कानूनी तौर पर ट्रेवल का धंधा कर ही नहीं सकते।
बता दे कि दोनों ट्रेवल एजेंट प्रधान-चेयरमैन को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अधीनस्थ पंजाब बार काउंसिल की ओर से वकालत का लाइसेंस जारी किया हुआ है। कम लोग जानते होंगे कि वकील को वकालत का लाइसेंस सिर्फ एक शर्त पर मिलता है कि वो कोई और बिज़नेस या नौकरी नहीं करेगा।
यह जानते हुए भी कि लाईसेंस सरेंडर किए बिना ट्रेवल ट्रेड का धंधा करना कानूनन गलत है, दोनों कर रहें है। इतना ही नहीं, चेयरमैन कमल कुमार भुम्बला तो इतने बेशर्म हैं कि विगत DBA चुनावों में वोट डालने से पहले यह शपथ पत्र भी देते आ रहें है कि वो सिर्फ वकालत करते हैं और कोई बिजनेस या नौकरी नहीं करते हैं।
अब इस ताज़ा खुलासे के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों ने पंजाब सरकार को अंधेरे में रखकर ट्रेवल ट्रेड का लाइसेंस ले रखा है और अवैध रूप से ट्रेवल का धंधा कर रहे है। अब ट्रेवल कानून की दृष्टि से देखा जाए तो दोनों ट्रेवल कानून का भी उलंघन कर रहे हैं। इस तथ्य को डिप्टी कमिश्नर की संबंधित शाखा के प्रभारी के ध्यान में लाया गया है। देखना शेष होगा कि अब इस खुलासे के बाद पंजाब सरकार दोनों के लाइसेंस कब कैंसिल करती है।