पंजाब पुलिस के डीएसपी सुरिन्दर पाल को घरेलू उड़ान से उतारने वाली एयर इंडिया के खिलाफ उपभोक्ता फोरम ने कड़ा संज्ञान लिया। डीएसपी की शिकायत पर फोरम ने एयरलाइंस को दो लाख रुपए पेनेल्टी लगाई है। एयरलाइंस की धक्केशाही के शिकार होकर फोरम का रूख करने वाले सुरिंदर पाल वर्तमान में जालंधर की सब डिवीजन करतारपुर के डीएसपी तैनात है। दरअसल, बîमघम (इंग्लैंड) से लौटते वक्त कंफर्म टिकट होने के बावजूद नई दिल्ली से अमृतसर के लिए फ्लाइट में नहीं बैठने दिया गया था। तब उन्होंने सीनियर अफसरों से भी बात की लेकिन सुनवाई नहीं की गई। उन्हें अगले दिन डोमेस्टिक फ्लाइट में आना पड़ा। इसके बाद उन्होंने कंज्यूमर फोरम में शिकायत कर दी। स्थानीय 57, विवेक विहार, मकसूदां जालंधर निवासी सुरिंदर पाल ने फोरम को दी शिकायत में बताया था कि एयर इंडिया का ब्रांच ऑफिस सिविल लाइंस जालंधर में है। उन्होंने एयर इंडिया से विदेशी दौरे के लिए टिकट बुक कराई थी। उन्हें यूके से भारत आना था। उनके पास बîमघम से नई दिल्ली के लिए फ्लाइट नंबर एआई 114 में कंफर्म टिकट थी। उन्हें 2० अगस्त को बîमघम से 9.3० बैठकर 21 अगस्त को सुबह 1०.3० बजे नई दिल्ली पहुंचना था। वहां से उन्हें एआइ 16 फ्लाइट में अमृतसर आना था। इस फ्लाइट को दिल्ली से शाम 5.15 बजे उड़ान भरकर 6.2० पर अमृतसर पहुंचना था। यह टिकट उन्होंने 23 जून 2०17 को बुक की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें सीनियर का 21 अगस्त को ड्यूटी ज्वाइन करने का आदेश आया। इलाके में अमन-कानून की स्थिति बिगड़ने से उन्हें तुरंत यह आदेश दिया गया। उन्होंने यात्रा को रीशेड्यूल्ड करते हुए नई दिल्ली से पहले बुक की टिकट को एक्सचेंज करते हुए दूसरी टिकट बुक कराई। यह टिकट उसी फ्लाइट का था, जिसमें वो बîमघम से नई दिल्ली आ रहे थे। यह फ्लाइट एआइ 114 रात को सवा 12 बजे नई दिल्ली से निकलकर रात को ही सवा एक बजे अमृतसर पहुंचनी थी। उनकी फैमली भी रात डेढ़ बजे उन्हें लेने अमृतसर एयरपोर्ट आ गई। बîमघम से उन्हें 33 एफ सीट मिली। चूंकि उन्हें इसी फ्लाइट में अमृतसर आना था, इसलिए दिल्ली पहुंचने के बाद वो इसी में बैठे रहे। इसी दौरान एयर इंडिया स्टाफ वहां आया और उन्हें सीट खाली करने को कहा। उन्होंने कहा कि उनकी सीट सिर्फ नई दिल्ली तक बुक थी और यहां से किसी दूसरे यात्री को यह सीट दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि उन्हें ड्यूटी ज्वाइन करनी है और उनके पास अमृतसर तक की कन्फर्म बुकिग है। उन्होंने अपनी गलती मानी लेकिन फ्लाइट में नहीं बैठने दिया। उनका सामान भी दिल्ली ही उतार दिया गया। उन्होंने सीनियर अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन मामला हल नहीं हुआ। इस कारण फ्लाइट मिस हो गई। इसके बाद उन्हें अगले दिन शाम को सवा पांच वाली फ्लाइट में बैठाया गया। इस वजह से वो 21 अगस्त को ड्यूटी ज्वाइन नहीं कर सके। उपभोक्ता फोरम ने नोटिस निकाला तो एयर इंडिया ने जवाब दिया कि शिकायतकर्ता का टिकट बîमघम से नई दिल्ली तक ही था। वहां पास देते हुए भी उन्हें स्पष्ट किया गया था कि नई दिल्ली से उन्हें अगली डोमेस्टिक फ्लाइट में अमृतसर भेजा जाएगा, लेकिन उन्होंने इससे इंकार कर दिया। फोरम के प्रेजिडेंट करनैल सिंह व मेंबर ज्योत्सना ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि दस्तावेजों से स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता ने एक्सचेंज टिकट ली थी और उसमें कहीं यह नहीं लिखा गया कि नई दिल्ली से उन्हें डोमेस्टिक फ्लाइट में जाना होगा। टिकट होने के बावजूद उन्हें फ्लाइट में नहीं बैठने दिया गया जबकि कंफर्म टिकट होने की वजह से बतौर उपभोक्ता यह उनका अधिकार था। उन्होंने एयर इंडिया को आदेश दिया कि वो शिकायतकर्ता को हर्ज़ाने व केस खर्च के तौर पर दो लाख रुपये दे। इसके लिए आदेश मिलने के बाद महीने का वक्त दिया गया है। देरी होने पर शिकायत करने की तारीख यानि 29 नवंबर 2०17 से पेमेंट करने तक 12 फीसद ब्याज भी देना होगा।