Latest News

देश के दुश्मनों की अब खैर नहीं, सेना अब ऐसे करेगी सर्जिकल स्ट्राइक

By JNN News/New Delhi

Published on 16 May, 2019 11:22 AM.

नई दिल्ली  : भारतीय सेना में पहली बार उरी और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे स्पेशल ऑपरेशन, साइबर हमले और अंतरिक्ष सुरक्षा की दृष्टि से स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन शुरू किया गया है। यह खास दस्ता साइबर-स्पेस की सुरक्षा और दुश्मनों पर सर्जिकल स्ट्राइक करेगा। स्पेशल फ़ोर्स यूनिट के मेजर जनरल एके धींगड़ा को इस डिवीजन का पहला कमांडर बनाया गया है। इसमें विशेष तौर पर सेना की पैराशूट रेजिमेंट, नौसेना की मार्कोस और वायु सेना के गरुड़ कमांडो बल के विशेष कमांडो शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि धींगड़ा के अलावा एडमिरल मोहित गुप्ता को नई डिफेंस साइबर एजेंसी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसी तरह एक डिफेंस स्पेस एजेंसी भी बनायी गई है जिसकी जिम्मेदारी इंडियन एयर फ़ोर्स के एक वाइस एयर मार्शल को सौंपी जाने वाली है, हालांकि उनका नाम अभी तक सामने नहीं आया है। आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन कमाडोंज की एक छोटी सी टीम के जरिए काम करना शुरू करेगा। इसमें 3,000 प्रशिक्षित कमांडोज़ होंगे जो जंगलों, समुद्र में युद्ध करेंगे और हेलीकॉप्टर रेस्क्यू ऑपरेशंस का काम करेंगे।

 

इन तीन एजेंसियों के हाथ में होगा बहुत कुछ

रिपोर्ट के मुताबिक ये तीनों एजेंसियां इसी साल अक्टूबर-नवंबर से पूरी तरह काम करने लगेंगी। इन तीनों की जिम्मेदारी मैदानी, समुद्री और हवाई युद्ध और सामान्य आतंकवाद की जगह साइबर हमले, अंतरिक्ष सुरक्षा और सर्जिकल स्ट्राइक या हॉस्टेज स्थितियों में स्पेशल ऑपरेशंस को अंजाम देगी।  फ़िलहाल स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन के पास ज़रूरत के हिसाब से काफी कम संख्या में कमांडो मौजूद हैं। बता दें कि सेना के पार फिलहाल नाइन पैरा-स्पेशल फोर्सेज और फाइव पैरा बटालियन मौजूद हैं जिनमें 620-620 कमांडो मौजूद हैं। जबकि नेवी के पास 1200 मार्कोस जिन्हें मरीन कमांडो भी कहा जाता है उपलब्ध हैं, साथ ही 1000 गार्ड कमांडो भी हैं। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक तीनों नई एजेंसियां आपस में और भारतीय सेना, नेवी और वायु सेना के साथ कंधे से कंधा मिलकर काम करेगी।

 

नए हथियार और नया तरीका

सरकार काफी वक़्त से इन नई तीन डिवीजन की कमी महसूस कर रही थी। अब जब ये डिवीजन बन गई हैं तो इन्हें दुनिया के सबसे आधुनिक हथियार और साजो-सामान मुहैया कराए जाएंगे। अभी भी पैरा और मार्कोज के पास सेना के मुकाबले आधुनिक हथियार मौजूद हैं। इन हथियारों में लॉन्ग रेंज स्नाइपर राइफल्स, एंटी टैंक मिसाइल, अंडर वाटर स्कूटर और माइक्रो ड्रोन शामिल हैं।

 

क्यों बनीं नई एजेंसियां?

सूत्रों के मुताबिक अभी भी स्पेशल ऑपरेशंस के लिए पैरा और मार्कोस जैसी फोर्सेज तो थीं लेकिन उनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं था। ऐसे में उन्हें काम करने के लिए कई तरह की कमेटियों और मंजूरियों से गुजरना होता था। साल 2012 में नरेश चंद्रा टास्क फ़ोर्स का गठन हुआ जिसने भी इन एजेंसियों के लिए सिफारिश की थी। खासकर मुंबई हमले, उरी अटैक और सर्जिकल स्ट्राइक जैसी परिस्थितियों में लालफीताशाही सबसे बड़ी मुश्किल थी। जैसे कि डिफेंस स्पेस एजेंसी को डिफेंस इमेजरी प्रोसेसिंग एंड अनालिसिस सेंटर (दिल्ली) और डिफेंस सैटेलाइट कंट्रोल सेंटर (भोपाल) को मिलाकर बनाई गई है।

Reader Reviews

Please take a moment to review your experience with us. Your feedback not only help us, it helps other potential readers.


Before you post a review, please login first. Login
Related News
ताज़ा खबर
e-Paper

Readership: 295663