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पंजाब: विवादित कंपनी लगाएगी अवैध ऐजुकेशन फेयर!, डीसी साब इट्स नॉट फेयर

By JNN News/Jalandhar-Ludhiana

Published on 22 Jan, 2019 05:39 PM.

जय हिन्द न्यूज/जालंधर। विदेशी शिक्षा संस्थानों की जांच रिपोर्ट्स से विवादों से घिरी इमीग्रेशन कंस्लटेंट कंपनी आईडीपी ऐजुकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड अब ऐजुकेशन फेयर लगाने को लेकर विवाद में घिर गई है। दरअसल, मामला यह है कि विवादित कंपनी आईडीपी ने लुधियाना-जालंधर में 24-25 जनवरी को यह ऐजुकेशन फेयर स्थानीय होटलों में रखा है। कानूनी दृष्टि से देखने पर उक्त फेयर को इमीग्रेशन कानून के लाइसेंस नियमों के प्रत्यक्ष उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक कंपनी के पास लुधियाना के डिस्टि्रक्ट मेजिस्ट्रेट से हासिल किया लाइसेंस है जो कि आशीष अरोड़ा पुत्र मनोहर लाल अरोड़ा के नाम पर है। लाइसेंस में आफिस का पता एससीओ 41, पहली मंजिल फिरोज गांधी मार्किट, भाई बाला चौक, लुधियाना रजिस्टर्ड किया गया है। इसी लाइसेंस में ही स्पष्ट लिखा है कि लाइसेंस धारक अपना विदेश जाने संबंधी सलाह देने का धंधा दिए गए पते पर ही कर सकता है। अब उल्लंघन को ऐसे देखा जा रहा है कि कंपनी संचालक ने एक ऐजुकेशन फेयर को रजिस्टर्ड आफिस पते के बाहर हयात रिजैंसी में 24 जनवरी को तथा दूसरा जालंधर के होटल में 25 जनवरी को रखा है। जाहिर बात है कि विदेशी शिक्षा बारे सलाह देने वाला स्थान अब होटल हो जाएगा।

कंपनी से विवाद की सूरत में डीलिंग वाले स्थान को लेकर लोगों को कानूनी अड़चनों का सामना भी करना होगा क्योंकि सरकार ने लोगों को भी हिदायत दे रखी है कि वो रजिस्टर्ड पते वाले आफिसों में ही जाकर एजेंटों व सलाहकारों से डील करें। कानूनी माहिर एडवोकेट जतिंदर अरोड़ा की माने तो रजिस्टर्ड पते वाले एजेंट के साथ बाहर किसी अन्य स्थल पर डीलिंग की सूरत में विवाद होने पर शिकायत कमजोर हो जाती है। कंपनी के दिए नंबरों पर संपर्क करने पर कंपनी अफसर विजय जैन ने आफिस के बाहर होने जा रहे एजुकेशन फेयर को जायज बताया और अनुमति हासिल करने की बात भी कही लेकिन वो इस बाबत कोई विशेष अनुमति पत्र पेश नहीं कर पाए।

कानूनी माहिरों की भी माने तो ऐसी किसी अनुमति का नए एक्ट में कोई प्रावधान ही नहीं है। बहरहाल, कंपनी के इस अवैध एजुकेशन फेयर्स की खबर जय हिन्द न्यूज नेटवर्क को तो हो गई लेकिन लुधियाना व जालंधर का जिला प्रशासन बेखबर है। लाइसेंस शाखा ने ऐसी खबर न होने की बात की है। अब देखना शेष होगा कि प्रशासन इस खुलासे के बाद क्या एक्शन लेता है या फिर विवादित कंपनी के इस अवैध कृत्य को अनदेखा कर खुद पर भ्रष्टाचार की अंगुलियां उठने का अवसर पैदा करता है।

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